BJP राज्यपाल के समर्थन में, PDP-कांग्रेस भड़के

 BJP राज्यपाल के समर्थन में, PDP-कांग्रेस भड़के

 
श्रीनगर 

जम्मू-कश्मीर में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया। राज्यपाल ने इसके पीछे चार प्रमुख कारण गिनाए। इस पर पीडीपी और उसके साथ सरकार बनाने के प्रयास में जुटी पार्टियों ने राज्यपाल और बीजेपी पर हमला बोल दिया। 
 

महागठबंधन के विचार से इतनी बेचैनी: महबूबा 
महबूबा ने कई ट्वीट्स में कहा कि पिछले पांच महीनों से राजनीतिक संबद्धताओं की परवाह किए बगैर 'हमने इस विचार को साझा किया था कि विधायकों की खरीद-फरोख्त और दलबदल को रोकने के लिए राज्य विधानसभा को तत्काल भंग किया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'लेकिन हमारे विचारों को नजरअंदाज किया गया। लेकिन किसने सोचा होगा कि एक महागठबंधन का विचार इस तरह की बैचेनी देगा।' उन्होंने यह भी कहा कि आज की तकनीक के दौर में यह बहुत अजीब बात है कि राज्यपाल आवास पर फैक्स मशीन ने हमारा फैक्स प्राप्त नहीं किया, लेकिन विधानसभा भंग किए जाने के बारे में तेजी से बयान जारी किया गया। 
 

गुलाम नबी का बीजेपी पर वार 
इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार का गठन करने के लिए वार्ता प्रारंभिक चरण में थी और केन्द्र की बीजेपी सरकार इतनी चिंतित थी कि उन्होंने विधानसभा भंग कर दी। आजाद ने कहा, 'स्पष्ट है कि बजेपी की नीति यही है कि या तो हम हों या कोई नहीं।' 

राज्यपाल के समर्थन में बीजेपी 
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीजेपी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बेहतर विकल्प यह है कि यहां जल्द-से-जल्द नए विधानसभा चुनाव कराए जाएं। बीजेपी ने विपक्षी पार्टियों के प्रस्तावित गठबंधन की निंदा करते हुए इसे 'आतंक-अनुकूल पार्टियों का गठबंधन' बताया। जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए प्रतिद्वंद्वी दलों के दावों के बीच राज्यपाल द्वारा विधानसभा भंग किए जाने के तुरन्त बाद बीजेपी ने ट्वीटर पर कहा कि सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए यह सीमाई राज्य विधायकों की खरीद-फरोख्त और अस्थिरता का जोखिम नहीं उठा सकता है। 
 
अचानक विधानसभा भंग किया जाना कोई संयोग नहीं: उमर 
उधर, नैशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि उनकी पार्टी पांच महीनों से विधानसभा भंग किए जाने का दबाव बना रही थी। यह कोई संयोग नहीं हो सकता कि महबूबा मुफ्ती के दावा पेश किए जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर अचानक विधानसभा को भंग किए जाने का आदेश आ गया। साथ ही, उमर ने महबूबा के ट्वीट्स को भी रीट्वीट करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं। उमर ने अपने ट्वीट में कहा, 'और मैंने कभी नहीं सोचा था कि आपसे सहमत होते हुए मैं आपके किसी भी बयान को रीट्वीट करूंगा। राजनीति वाकई में अजीब संसार है। आगे की लड़ाई के लिए शुभकामनाएं।' उमर ने महबूबा के बयान को 15 मिनट में चार बार रीट्वीट किया।