दादागिरी : शहर के बस स्टैंड पर बाहरी बसों को नहीं रुकने देते दबंग बस ऑपरेटर

दादागिरी : शहर के बस स्टैंड पर बाहरी बसों को नहीं रुकने देते दबंग बस ऑपरेटर

ग्वालियर से मुरैना के लिए लंबे रूट की गाडिय़ों में नहीं बैठाए जाते हैं यात्री

गुना से दिल्ली जाने वाली गाडिय़ां भी नहीं रुकती हैं मुरैना बस स्टैंड पर

awdhesh dandotia मुरैना। देश की राजधानी दिल्ली या भगवान श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा या फिर ताज नगरी आगरा जाना है तो आपको मुरैना बस स्टैंड से सीधे वहां पहुंचने के लिए वाहन नहीं मिलेगा। क्योंकि इन लंबे रूटों के लिए जाने वाली गाडिय़ां यहां उपलब्ध नहीं हैं। साथ ही जो गाडिय़ां ग्वालियर या गुना की ओर से आ रही हैं उन्हें यहां बस स्टैंड पर रुकने नहीं दिया जाता। यहां के कुछ दबंग ऑपरेटर इन गाडिय़ों को इसलिए नहीं रुकने देते कि उनकी निजी बसों में फिर छोटे रूट धौलपुर व उससे कुछ आगे तक पहुंचने के लिए सवारियां नहीं होंगीं। इसलिए आपको पहले धौलपुर तक मुरैना के ऑपरेटरों की बसों मेें मजबूरन बैठना होगा, उसके बाद वहां उतरकर आगे की गाड़ी पकडऩी होगी। यह तो एक स्थिति जाने की है। जबकि दूसरी स्थिति लंबे रूट से मुरैना आने की है, जो इससे भी ज्यादा दिक्कत भरी है। मुरैना से लंबे रूट पर जाने की स्थिति को देखें तो आप उसमें बस स्टैंड से एक किलोमीटर दूर खड़े होकर इन लंबे रूटों की गाडिय़ों में बैठ सकते हैं। क्योंकि वहां तक इन दबंग ऑपरेटरों के गुर्गे नहीं पहुंचते हैं। जबकि दूसरी स्थिति आने की है, जो इससे भी कठिन है। क्योंकि आपको लंबे रूट की गाडिय़ों से मुरैना बस स्टैंड से एक किलोमीटर पहले या बाद में उतारा जाएगा। वरना उस लंबे रूट की बस के स्टाफ को यहां के दबंग ऑपरेटरों के बॉक्सरों से मार खानी पड़ेगी। यह स्थिति अब इतनी ज्यादा विकराल हो चुकी है कि बाहरी बसों का मुरैना बस स्टैंड पर रुकना पूरी तरह बंद हो चुका है। यह समस्या नवागत कलेक्टर प्रियंका दास के संज्ञान में कल ही लाई गई है, जिस पर जल्द एक्शन होने की उम्मीद लगाई जा रही है। समस्या इसलिए लंबे अर्से से है : मुरैना बस स्टैंड, जो कि सरकारी तौर पर बनाया गया, जिसका निर्माण वर्ष 1996-97 के दरमियान तत्कालीन कलेक्टर राधेश्याम जुलानिया के समय में शुरू हुआ, आज केवल मुरैना जिले के बस ऑपरेटरों की मिल्कियत जैसा होकर रह गया है। यहां कभी दिल्ली, आगरा, मथुरा, जयपुर, झांसी, गुना, इंदौर तक की गाडिय़ां रुकती थीं, वहीं आज इन क्षेत्रों के वाहनों का प्रवेश पूरी तरह निषेध जैसा कर दिया गया है। आपको कभी भी इस सरकारी बस स्टैंड पर मुरैना के अलावा किसी अन्य जिले के बस ऑपरेटर की गाड़ी खड़ी नहीं मिलेगी। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों। इसकी तह में जाने पर मिलता है कि यहां के बस ऑपरेटर बाहरी बसों को इस बस स्टैंड में प्रवेश ही नहीं करने देते। उनकी सोच है कि बाहरी जिले की बस अगर बस स्टैंड में आएगी तो यहां से सवारियां ले जाएगी, जो कि मुरैना के बस ऑपरेटरों में से ज्यादातर को कतई पसंद नहीं है। इस वजह से वे इन बसों को लंबे अर्से से यहां प्रवेश से रोकते आ रहे हैं। सवारियां सड़क से भी नहीं ले सकते : रोजाना देखा जाता है कि दिल्ली की ओर जाने वाली और दिल्ली की ओर से आने वाली बसें मुरैना बस स्टैंड के सामने सड़क पर नहीं रुकतीं। यह नेशनल हाईवे-3 है, जिसे आगरा-बॉम्बे रोड बोला जाता है, इस रोड पर मुरैना बस स्टैंड के सामने बस रोककर अगर किसी बाहरी जिले या प्रांत की बस के ड्राइवर ने सवारी बैठाई या उतारी तो उसे मारपीट का शिकार होना पड़ेगा। यह मारपीट मुरैना के कुछ दबंग बस ऑपरेटरों के बॉक्सर करते हैं। जिससे बाहरी जिलों व प्रांतों की बसों के स्टाफ के बीच इतना खौफ है कि वे अपने वाहन को मुरैना बस स्टैंड के सामने नहीं रोकते। उनका बस स्टैंड में आना तो अनाधिकृत रूप से प्रतिबंधित किया ही गया है, उनके वाहन का यहां बस स्टैंड के सामने रोड पर रुकना भी पूरी तरह से रोका गया है। एक-एक किलोमीटर पहले उतार देते हैं यात्री को : देखने में आता है कि कोई दिल्ली, मथुरा या आगरा, सैंया, मनिया व धौलपुर से बाहरी प्रांत की बस में बैठकर मुरैना आता है और उसे यहां उतरना है तो बस कंडक्टर उसे मुरैना बस स्टैंड से एक किलोमीटर पहले ही उतार देते हैं। उनका कहना रहता है कि हमें मुरैना बस स्टैंड के सामने गाड़ी रोककर वहां पिटना थोड़े ही है। तब यात्री या तो मजबूरी में वहीं उतर जाते हैं या मुरैना बस स्टैंड निकलने के बाद एक किलोमीटर दूर जाकर उतरने को मजबूर होते हैं। क्योंकि इतनी दूरी से पहले कोई भी बाहरी बस यहां रुकती ही नहीं है। पूछने पर कोई सामने नहीं आता : कई बार ऐसा भी हुआ है कि कोई यात्री इस बात को लेकर बस स्टाफ से हुज्जत कर बैठा है कि उसे तो बस स्टैंड पर ही उतरना है। उसने यहां तक भी कहा है कि देखें कौन रोकता है बस को रुकने से। ऐसे हालात में मुरैना स्टैंड के सामने जब बाहरी प्रांत की गाड़ी रुकी है और उसमें से वह अडिय़ल रुख वाला यात्री उतरा है तो उसके सामने उस समय कोई नहीं आया, लेकिन बाद में उस बस के स्टाफ को मुरैना के कुछ दबंग बस ऑपरेटरों के गुर्गों के गुस्से का शिकार होना पड़ा है। बेरियर गोलंबर से पहले ही उतार देते हैं : पहली बात तो आपको ग्वालियर से मुरैना के लिए कोई बाहरी जिले या प्रांत की बस लेकर नहीं आएगी। अगर आप जैसे-तैसे उसमें सवार होकर मुरैना तक आ भी गए तो वह गाड़ी आपको बस स्टैंड पर नहीं उतारेगी, बल्कि उससे पहले ही बैरियर पर उतार देगी। स्टाफ का कहना रहता है कि मुरैना बस स्टैंड पर गाड़ी नहीं रुक सकती। क्योंकि वहां के दादा लोग हमें पीटने लगते हैं। बाहरी प्रांतों का स्टाफ डरा रहता है : देखने में आता है कि बाहरी प्रांतों व जिलों की बसों का स्टाफ मुरैना के नाम से इतना डरा हुआ रहता है कि वह यहां के यात्री को अपनी गाड़ी में इसी शर्त पर बैठाता है कि मुरैना बस स्टैंड पर गाड़ी नहीं रुकेगी। अगर पहले या बाद में उतर सकते हो तो ही बैठो। तब यात्री मजबूरी में उस बस स्टाफ की यह शर्त मानने को मजबूर होते हैं। दिल्ली से ग्वालियर की ओर जाने वाली बस के यात्री दिनेश शर्मा ने बताया कि उन्हें बस वाले ने बस स्टैंड पर न उतारकर बेरियर ले जाकर उतारा। तब उन्हें अपने घर के लिए वापस ऑटो रिक्शे से आना पड़ा। उस बस का स्टाफ डरा हुआ था, जिसकी मजबूरी के आगे वे भी झुक गए। मुझे बाईपास मोड़ पर उतारा : मथुरा से गिर्राजजी की परिक्रमा करके लौटे रामकुमार सिंह ने बताया कि वे दिल्ली वाली गाड़ी में सवार होकर आए तो उन्हें उस बस के स्टाफ ने मुरैना आने से पहले ही देवरी के पास बोल दिया कि आपको शहर से पहले ही उतरना होगा। क्योंकि गाड़ी मुरैना बस स्टैंड पर नहीं रुकेगी। वहां अगर हमने गाड़ी रोकी तो बस वालों के लोग हमें पीटेंगे। तब मजबूरी में उन्हें मुरैना के अंबाह बाईपास मोड़ के पास ही उतार दिया गया। उनके साथ ही चार सवारियां और उतरीं। फिर वहां से वे ऑटो में ज्यादा किराया खर्च करके घर पहुंच पाए। मुझे मुरैना के लिए नहीं बैठाया : अशोक डंडोतिया ने बताया कि वे सोमवार को ग्वालियर से मुरैना आ रहे थे तो इंदौर-दिल्ली वीडियो कोच वाले ने उन्हें मुरैनार के लिए नहीं बैठाया। जबकि उसकी बस मेें सीटें खाली पड़ी थीं। उससे जब कहा कि सीटें तो खाली हैं, वे किराया भी पूरा देंगे, फिर क्यों नहीं बैठा रहे हो तो बस स्टाफ ने कहा कि भाई साहब पैसे हमें भी बुरे नहीं लगते, लेकिन मार कौन खाएगा, आपके मुरैना की बसों के मालिक ज्यादातर दबंग हैं जो बॉक्सर रखते हैं, अगर हमने वहां बस स्टैंड पर गाड़ी रोकी तो हमारा मुंह तोड़ दिया जाएगा। लोगों ने कई बार पिटते देखा है स्टाफ को : बाहरी प्रांतों व जिलों की बसों के स्टाफ की पिटाई होते लोगों ने कई बार देखी है। खास बात होती है कि यहां जब बाहरी बस के स्टाफ को, जिसमें ड्राइवर व कंडक्टर दोनों शामिल रहते हैं, को पीटा जाता है तो उन्हें बचाने कोई बीच में नहीं आता। यहां तक कि पुलिस भी कुछ नहीं कहती। अव्वल तो पुलिस बस स्टैंड पर नजर आती नहीं है, और कोई एक-दो सिपाही हों भी या वहां से गुजर भी रहे हों तो वे बाहरी प्रांत के बस स्टाफ को पिटते देख उस मामले में कोई एक्शन नहीं लेते। इसका सबूत यहीं से मिलता है कि पुलिस थाना सिविल लाइन और सिटी कोतवाली में बाहरी प्रांत की बसों के स्टाफ की ओर से रिपोर्ट दर्ज का कोई आंकड़ा नहीं है। यह फिगर निल ही है। इस बारे में बाहरी बसों के स्टाफ से सवाल करने पर जवाब मिला कि भाई साहब रिपोर्ट दर्ज कराकर क्या हमें और पिटना है, क्योंकि कोर्ट की तारीख पर हाजिर होने तो हमें यहीं आना होगा ना। कभी कोई एक्शन न होने से बिगड़े हालात : यहां इतने बुरे हालात इसलिए निर्मित हुए हैं कि इस मामले में कभी कोई एक्शन प्रशासनिक स्तर से नहीं हुआ। इस वजह से दबंग बस ऑपरेटरों के हौंसले बुलंद होते गए। इसके चलते आज ऐसी स्थिति है कि अब दबंग बस ऑपरेटरों ने मनमानी के चलते यहां बाहरी जिलों व प्रांतों की बसों का प्रवेश पूरी तरह बंद कर दिया है। नई कलेक्टर ले सकती हैं एक्शन : यहां बतो दें कि अब इस मामले में नवागत कलेक्टर प्रियंका दास एक्शन ले सकती हैं। क्योंकि कल ही संपन्न हुए उनकी प्रथम पत्रकार वार्ता में उनके द्वारा जब मुरैना की समस्याएं पत्रकारों से पूछी गईं तो उनके संज्ञान में यह मामला भी लाया गया। जिसे उन्होंने नोट कर लिया है। अब देखना है कि वे इस ओर कब क्या कितना कड़ा रुख अख्त्यार करती हैं।