MP विधानसभा चुनाव के नतीजे 16 घंटे देरी से आए, EC ने बताई ये 5 वजह

MP विधानसभा चुनाव के नतीजे 16 घंटे देरी से आए, EC ने बताई ये 5 वजह

 नई दिल्ली
 
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Assembly Elections) में परिणाम घोषित करने में 16 घंटे से ज्यादा का समय लगा। इसे लेकर उठ रहे सवालों पर चुनाव आयोग (Election Commission) ने पांच कारण गिनाए हैं। आयोग का कहना है कि ईवीएम (EVM) से संबंधित मुद्दों पर लगातार की गई आपत्तियां प्रमुख वजह हैं। इनमें कई आपत्तियां ऐसी भी थीं जो बेहद मामूली थीं। 

...तो लोकसभा चुनाव में भी होगी देरी
आयोग के सूत्रों के अनुसार देरी के इन कारणों का कोई तोड़ नहीं है, यह उम्मीदवारों पर ही निर्भर है कि वे छोटी आपत्तियों पर जोर न दें। उन्होंने कहा कि यदि यही आपत्तियां लोकसभा चुनावों में की गईं तो उस समय भी देरी हो सकती है।

1. ईवीएम पर आपत्तियां : 
उम्मीदवार मशीनों की सील, उनके टैग, हस्ताक्षरों का मिलान तथा मशीनों के केस को गणना टेबल पर लाने की जिद करते रहे। अनेक मामलों में उम्मीदवारों ने सील और टैग नंबर को लेकर आपत्तियां कीं जो बहुत मामूली थीं और निर्वाचन अधिकारी के समझाने पर वे मान गए। आयोग ने कहा कि 66,000 ईवीएम में से कोई भी ऐसी नहीं पाई गई, जिससे छेड़छाड़ हुई हो। लेकिन उम्मीदवारों की आपत्तियों के कारण गिनती प्रक्रिया सुस्त हो गई थी। 

2. फोटोकॉपी : 
जब वोटिंग मशीन से परिणाम लिया जाता है तो इसे फार्म 17 सी पर लिखा जाता है। इस दौरान गणना एजेंट इसका सत्यापन करते हैं और एक शीट पर हस्ताक्षर करते हैं। इस शीट की फोटो कॉपी की जाती है। इसके बाद सभी काउंटिंग टेबल की सूची बनाई जाती है और इसे फिर से एजेंट को दिया जाता है तथा काउंटर साइन लिए जाते हैं। ये कॉपियां उम्मीदवारों को वितरित की जाती है। इस प्रक्रिया का सख्ती से पालन करने के कारण गणना की प्रकिया ढीली हो गई। 

3. दौरेवार रिजल्ट की घोषणा : 
उम्मीदवारों ने एक-एक राउंड की मतगणना की सूची बोर्ड पर लिखने और लाउडस्पीकर पर उसकी घोषणा करने तक दूसरे राउंड की गिनती नहीं करने दी। इस कारण अतिरिक्त समय लगा जबकि इस घोषणा को राउंड के बीच में करके समय बचाया जा सकता था। हर बार इस कार्य में लगभग पांच मिनट का समय लग रहा था और कुल 22 दौरों के कारण इसमें दो घंटे का अतिरक्त समय लग गया।

4. सीआरसी (क्लोज-रिजल्ट-क्लीयर) मामले यानी पर्चियों का मिलान: 
कुल 66,000 ईवीएम में से 250 मामले पर्ची मिलाने के लिए गए। इन ईवीएम का रिजल्ट पर्चियों की गिनती के आधार पर लिया गया। हर विधानसभा सीट पर ऐसे एक से दो मामले ऐसे थे जिसके कारण पर्चियां गिननी पड़ीं और रिजल्ट में देरी हुई। इससे मतगणना में एक घंटा अतिरक्त लग गया। 

5. मतगणना दौरों की संख्या :  
मप्र में पिछले चुनावों की अपेक्षा 13,000 अतिरिक्त पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे। इसके कारण  मतगणना के दौरों की संख्या 22 तक बढ़ानी पड़ी। जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में यह संख्या 18-19 तक ही रही।