पुरस्कार प्राप्त करने वाले मासूम बच्चे मुरैना के कार्तिक और आर्दिका
khemraj mourya
शिवपुरी। 2 अप्रैल 2018 को मुरैना में जब चारों ओर हिंसा का दृश्य था। पूरे शहर में कफ्र्यू लगा हुआ था और गोलियां चल रही थीं। रेलवे स्टेशन पर रेल यात्री दरवाजा बंद कर भूखे प्यासे अपनी जान बचाने में लगे हुए थे तब मुरैना के दो मासूम भाई बहनों आर्दिका और कार्तिक ने अपनी जान को जोखिम में डालकर रेल यात्रियों को भोजन कराया। उनके इस साहस के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कल राष्ट्रपति भवन के एक गरिमापूर्ण समारोह में नेशनल चिल्ड्रन अवार्ड से सम्मानित किया। यह पहली बार है कि बहादुरी का यह पुरस्कार दो भाई बहनों को मिला है। खास बात यह है कि सम्मानित होने वाले दोनों भाई बहन शिवपुरी से प्रकाशित दैनिक सत्य पताका के प्रधान संपादक ललित गोयल के भानजे हैं। दोनों भाई बहनों की इस उपलब्धि पर उन्हेें बधाईयों का तांता लगा हुआ है।

2 अप्रैल को एससीएसटी एक्ट के विरोध में मुरैना जल रहा था। चारों ओर आगजनी तोडफ़ोड़, मारपीट, गोलीबारी व कफ्र्यू के बीच स्टेशन के पास में रहने वाले दो छोटे भाई बहन कार्तिक व अर्दिका के मन मेें संवेदना जागी थी वह भूख से फंसे रेल यात्रियों को खाना खिलाएं। उस समय रेलवे स्टेशन पर माहौल बहुत खराब था। ट्रैक को खराब कर दिया गया था और घंटों से रेल यातायात रूका हुआ था। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के यात्री 5-6 घंटे से रेलवे स्टेशन पर फंसे हुए थे। चारों ओर दंगाई घूम रहे थे और रेल यात्री दरवाजा बंद कर सीटों के नीचे छिपे हुए थे। भूख के कारण छोटे-छोटे बच्चों की बहुत हालत खराब थी और वे रो रहे थे। किसी तरह से अपनी जान को दांव पर लगाकर कार्तिक और अर्दिका घर वालों से छुपाकर खाना लेकर स्टेशन पर पहुंची और उन्होंने किसी तरह से ट्रेन का दरवाजा खुलवाकर जो भी उनके पास बिस्कुट, केक, रोटियां और सब्जियां थीं वह छोटे-छोटे बच्चों और बुजुर्गों को देना शुरू कर दिया। किसी तरह से यह खबर बच्चों के पिता को लगी और वह उनकी सलामती की आशा करते हुए स्टेशन पहुंचे और जब उन्होंने बच्चों को मानवीयता के इस उच्च स्तर पर देखा तो उन्होंने उनकी हिम्मत बढ़ाई और कहा कि मैं खाना लेकर आता हूं। इस तरह से छोटे-छोटे बच्चों ने मानवीयता की ऐसी मिसाल पेश की जिसकी दूसरी नजीर मिलना मुश्किल है। उनके इस बहादुरी के काम पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कल उन्हें राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया।