अनिर्वाय सेवानिवृत्ति की कार्रवाई में बाधक बना नियम

अनिर्वाय सेवानिवृत्ति की कार्रवाई में बाधक बना नियम

जिन्हें नहीं था अधिकार उन्हें जारी कर दिया कार्रवाई के लिए पत्र, उठे कई सवाल

shailendra mishra भिण्ड। निर्वाचन ड्यूटी से बचने के लिए बिना मेडीकल प्रमाण पत्र के अवकाश पर गए कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने का फैसला लिया गया है, लेकिन इसमें एक ऐसा पेच है कि कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति दिए जाने में यह अढ़चन पैदा कर सकता है। अभी हाल ही में दो कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने को लेकर पत्र जारी किए गए और इन पत्रों में कहा गया कि बिना मेडीकल प्रमाण पत्र के अवकाश पर गए कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति 20-50 के सुसंगत नियमों के अनुसार की जाए और यही 20-50 का सुसंगत नियम इस कार्रवाई में अढ़चन पैदा कर रहा है। इस नियम की जानकारी की गई तो पता चला की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की यह कार्रवाई सिर्फ उन कर्मचारियों पर की जा सकती है, जो 20 वर्ष की नौकरी पूर्ण कर चुके हों या फिर कर्मचारी की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो। ऐसे में शिक्षा विभाग के कर्मचारी पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई नहीं हो सकी है। डीईओ बोले- 20-50 का सुसंगत नियम आ रहा कार्रवाई में आढ़े जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) बीएस सिकरवार से पूछा गया कि अभी दो दिन पूर्व प्रशासन ने पत्र जारी कर धरई के शासकीय माध्यमिक विद्यालय के अध्यापक सुधीर त्रिपाठी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की कार्रवाई करने को कहा गया था उसमें क्या कार्रवाई हुई, तो उन्होंने कहा कि 20-50 के सुसंगत नियम के तहत इस कार्रवाई को करने का पत्र प्राप्त हुआ है, लेकिन जब प्रकरण का परीक्षण किया गया तो उक्त अध्यापक पर इसके तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है। उन्होंने बताया कि न तो अध्यापक की नौकरी 20 वर्ष की हुई है और न ही उसकी उम्र 50 वर्ष है। ऐसे में इस नियम के तहत उस पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कलेक्टर के पास पहुंचा अध्यापक का मेडीकल प्रमाण पत्र जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि उक्त अध्यापक मेडीकल बोर्ड के प्रमाण पत्र के बिना अवकाश पर था और अध्यापक को अनिर्वाय सेवानिवृत्ति दिए जाना का पत्र प्राप्त हुआ था, लेकिन अब इसका मेडीकल प्रमाण पत्र कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी के पास पहुंच गया है और उनकी ओर से आगे कोई आदेश जारी होगा तो उसका पालन करेंगे। अब तक किसी की नहीं पड़ी इस नियम पर नजर निर्वाचन ड्यूटी से बचने के लिए अवकाश पर गए कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की कार्रवाई के लिए प्रशासन को कई लोगों ने हीरो बना दिया, लेकिन इस 20-50 के सुसंगत नियम पर किसी की नजर नहीं पड़ी। कई मीडिया संस्थानों ने इस कार्रवाई की जमकर तारीफ की, लेकिन इस पर गौर नहीं किया कि यह नियम ही इस कार्रवाई के लिए अढ़चन बना हुआ है और अब इसका उदाहरण भी पेश हो चुका है। जिन्हें नहीं था अधिकार उन्हें कर दिया पत्र जारी कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की कार्रवाई के लिए जारी किए गए पत्र में एक और अनदेखी सामने आई है। प्रशासन ने जिला उद्यान विभाग के सहायक संचालक और जिला शिक्षा विभाग के डीईओ को अपने यहां के दो कर्मचारियों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई करने के लिए पत्र जारी किया, लेकिन इन दोनों ही अधिकारियों को सेवानिवृत्ति की कार्रवाई करने का अधिकार ही नहीं है। ऐसे में इन्हें पत्र जारी करना भी सवालों में आ गया है। ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी पहुंच गए ड्यूटी पर ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी पर सेवानिवृत्ति की कार्रवाई करने का पत्र जारी हुआ वैसे ही वह फिट होने का प्रमाण पत्र लेकर ड्यूटी पर पहुंच गए और उन्होंने कलेक्टर के समक्ष स्वंम को निर्वाचन ड्यूटी के फिट बताया है।