तान्या के नृत्य पर मोहित हुआ महाविद्यालय परिवार

तान्या के नृत्य पर मोहित हुआ महाविद्यालय परिवार

तान्या के नृत्य पर मोहित हुआ महाविद्यालय परिवार

कार्यशाला सह प्रदर्शन से छात्रों ने जाना शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत की बारीकियां

3 दिवसीय आरम्भ मंडला का आर. डी. कॉलेज में हुआ यादगार समापन

r-d-college-family-fascinated-by-tanyas-dance Syed Javed Ali मंडला - डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म प्रमोशन कॉउन्सिल और रज़ा फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किए गए "आरम्भ मंडला" के तहत बुधवार को तान्या सक्सेना ने रानी दुर्गावती महाविद्यालय में अपने प्रदर्शन के साथ ही शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। तान्या ने छात्रों से भरतनाट्यम के नृत्य कला की उत्पत्ति के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि भरतनाट्यम भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली का एक प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य शैली की उत्पत्ति तमिलनाडु राज्य से हुई है और यह भारत के सबसे प्राचीन शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। इसकी शुरुआत लगभग 2000 वर्ष पूर्व मानी जाती है। भरतनाट्यम नृत्य द्वारा नृत्यकर्ता अपनी भावनाओं को विभिन्न मुद्राओं से व्यक्त करता है इस नृत्य में भावना, संगीत, लय और अभिव्यक्ति अद्भुत सामंजस्य होता है। मुद्रा जो हाथ की स्थिति, चेहरा भाव की स्थिति तथा पद्म पैरों की स्थिति को व्यक्त करते हैं। भरतनाट्यम तमिलनाडु में देवदासियों द्वारा विकसित व प्रसारित किया गया था। देवदासियों द्वारा भरतनाट्यम के जरिये मंदिरों में भगवन से प्रार्थना की जाती थी। इसी से भरतनाट्यम की शुरुआत हुई। r-d-college-family-fascinated-by-tanyas-dance तान्या ने मधुराष्टकम से अपनी प्रस्तुति शुरू की, जो भगवान कृष्ण की सुंदरता को छूता था। कवि वल्लभाचार्य कहते हैं, कृष्ण के बारे में सब कुछ इतना मधुर है, लगभग शहद से भरा हुआ है और यह हम पर निर्भर है कि हम आज दुनिया में अपने लिए इस मिठास की खोज करें। टुकड़ा ने भरतनाट्यम के नृत (शुद्ध नृत्य) और अभिनय (अभिव्यंजक) दोनों पहलुओं को न केवल दर्शाया बल्कि दोनों के बीच के अंतर को लेकर विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने छात्रों को पारंपरिक भूमि प्रणाम सिखाया, जिससे शास्त्रीय नृत्यों की शुरुआत होती है। उन्होंने अभिनय की बारीकियों को भी समझाया। अभिनाय प्रस्तुति के लिए तान्या ने हिंदी में एक प्यारा भजन को चुना जो महाराजा स्वाति थिरुनल द्वारा लिखा गया था। इसमें कृष्ण के बचपन की एक कहानी का विवरण है। बालक कृष्णा ने यशोदा से कहा, “मैं थका यमुना के किनारे जाना चाहता था। लेकिन वहां सभी गोपियों मुझे गले लगाती है और मुझे चिढ़ाते हुए मानो मैं एक खिलौना हूँ। इसलिए मैं यमुना के किनारे नहीं जाऊंगा। प्रस्तुति के अंत में एक दिलचस्प मोड़ आता है जब गोपियों ने देखा कि यमुना किनारे उनके प्यारे कृष्ण नहीं हैं, तो वे भी वहां जाने के लिए अपनी इच्छाशक्ति खो देती हैं। यह टुकड़ा रागम बेहाग और तालम आदि में सेट किया गया था जिसे तान्या ने यह समझाने के लिए प्रयोग किया कि गोपियों और कृष्ण की कहानी वास्तव में आत्मा का परमात्मा की ओर यात्रा के लिए एक रूपक है जो नृत्य की दार्शनिक कड़ी को उजागर करती है। तान्या ने बारिश की खुशी मनाते हुए एक तिलाना के साथ अपनी प्रस्तुति को समाप्त किया जो हॉल के बाहर हो रही बारिश के अनुकूल थी। इसमेंं तान्या ने अपने अंदाज में बारिश का आनंद लिया। इस प्रस्तुति में बखूबी यह दर्शाया गया कि नृत्यांगना अपने नृत्य के जरिये कैसे बारिश को दर्शाती है और उसका आनंद लेती है। तान्या ने बताया अन्य सभी तरह के नृत्य केवल मनोरंजन के लिए किये और देखे जाते है लेकिन शास्त्रीय नृत्य व संगीत में सन्देश छिपा होता है जो भारतीय दर्शन पर आधारित होता हैं। r-d-college-family-fascinated-by-tanyas-dance अपने प्रदर्शन के बीच तान्या ने कॉलेज के छात्र - छात्राओं को स्टेज पर बुलाया और उनसे शास्त्रीय नृत्य भी कराया। तान्या की प्रतुती इतनी मनोहक रही कि छात्र - छात्राओं के साथ - साथ कॉलेज स्टाफ भी तान्या के नृत्य का मुरीद हो गया। सभी प्रोफेसर्स ने भी दिल खोलकर उनके भरतनाट्यम की तारीफ की। कार्यक्रम का संचालन कर रही डॉ. रमा गुप्ता ने कहा कि यह प्रस्तुति इतनी शानदार थी कि इसकी तारीफ के लिए उनके पास शब्द नहीं है। आभार जताते हुए महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. राजेश चौरसिया ने कहा कि महाविद्यालय के इतिहास में इससे पहले कोई ऐसी प्रस्तुति नहीं हुई। यह एक अविस्मरणीय प्रस्तुति थी। यह पहला मौका है जब महाविद्यालय में शास्त्रीय नृत्य की इतनी बारीकियों को जानने - समझने का मौका मिला। इससे पता चला कि नृत्य के माध्यम से भी बातचीत की जा सकती है। उन्होंने नृत्यांगना तान्या सक्सेना के कला के उच्चतम शिखर पर पहुँचने की कामना की। r-d-college-family-fascinated-by-tanyas-dance डॉ. राजेश चौरसिया ने इस मौके पर कलेक्टर डॉ. जगदीश चन्द्र जटिया का ख़ास तौर से आभार जताया। उन्होंने कहा कि उनकी कलेक्टर ने डेड माह पहले मुझे बुलकर कहा था कि महाविद्यालय 25 सितम्बर को भरतनाट्यम की प्रस्तुति कराना है। आज इतनी बढ़िया प्रस्तुति देखकर पूरा कॉलेज मंत्रमुग्ध है। उन्होंने डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म प्रमोशन कॉउन्सिल के साथ ही रज़ा फाउंडेशन का भी आभार जताया जिसके सहयोग से जिले में ऐसे आयोजन हो रहे है। रानी दुर्गावती गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में हुए इस आयोजन को सफल बनाने में आयोजन समिति डॉ. रमा गुप्ता, प्रोफ. सीमा धुर्वे, प्रदीप कछवाहा, जयंती पटैल, पूजा खरे, प्रशांत पांडे का उल्लेखनीय योगदान रहा। आरम्भ मंडला के 3 दिवसीय अवस्मरणीय कार्यक्रम को मूर्त रूप देने में रज़ा फाउंडेशन के सदस्य सचिव संजीव चौबे ने एहम भूमिका का निर्वहन किया।