करोड़ों डकारकर पलायन की फिराक में रिलायबल क्रेडिट सोसायटी

सतना से लेकर विंध्य व मैकलांचल तक फैले हैं फर्जीवाड़े के तार, प्रशासनिक अधिकारी मौन

rajesh dwivedi सतना। यदि आप रिलायबल क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी में अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने की मंशा से निवेश करने जा रहे हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि आपकी खून-पसीने की गाढ़ी कमाई सोसायटी के कर्ता-धर्ताओं द्वारा हड़पी जा सकती है। लोगों को भारी भरकम ब्याज का लालच देकर करोड़ों रूपए जमा करा चुके रिलायबल क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी के कर्ता-धर्ता भागने की फिराक में हैं। भरहुत नगत में कार्यालय संचालित करने वाले सोसायटी के प्रबंधक समेत अन्य कर्मचारियों का रवैया तो इसी ओर इशारा कर रहा है। [caption id="attachment_88818" align="aligncenter" width="448"]bhavtarini bhavtarini[/caption] दिलचस्प बात यह है कि निवेशकों ने सोसायटी के प्रबंधक मंडल की धोखाधड़ी व साजिष से पुलिस व जिला प्रशासन से लेकर उच्चस्तर तक शिकायतें की हैं, लेकिन प्रशासनिक गलियारों में निवेशकों की आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित हुई है। माना जा रहा है कि यदि प्रशासन ने इस मामले को यूं ही नजरंदाज किया तो वह दिन दूर नहीं जब चिटफंड कंपनी की तरह संचालित की जा रही रिलायबल क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी शहर के कई निवेशकों को करोड़ों का चूना लगाकर अपना शटर गिरा देगी। बताया जाता है कि सोसायटी के कर्ता धर्ताओं ने भ्रहुत नगर स्थित कार्यालय से सोसायटी का बोर्ड भी हटा लिया है । क्या है मामला दरअसल वर्ष 2013-14 में रीवा जिले के चुआ गांव निवासी अरविंद त्रिपाठी, बीना निवासी मयंक कांगोनलकर व सतना निवासी नवीन अग्रवाल ने रिलायबल क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी का पंजीयन करा भरहुत नगर में कार्यालय का संचालन शुरू किया। कार्यालय का संचालन करते हुए सोसायटी के कर्ता-धर्ताओं ने लोगों को ऐसे सब्जबाग दिखाए कि देखते ही देखते निवेशकों की भीड़ लगने लगी। राजेंद्र प्रसाद पांडे, विमल कुमार नामदेव, विजय कुमार नामदेव, राकेश कुमार तिवारी, पुष्पेंद्र अग्निहोत्री,संतोष बाटी, विजय कुमार जायसवाल समेत शहर के सैकड़ों निवेशक प्रबंधकों द्वारा दिखाए गए सब्जबाग के जाल में फंसकर अपनी जीवनभर की गाढ़ी कमाई जमा करा दी। एक अनुमान के मुताबिक सोसायटी प्रबंधन अब तक अकेले सतना जिले में तकरीबन 20 करोड़ रूपए निवेशकों ने निवेश किया है। बदनीयति का शिकार बने निवेशकों ने बताया कि यह राशि आरडी (रेकरिंग डिपाजिट), एफडी (फिक्सड डिपाजिट)व एमआईएस(मंथली इन्कम स्कीम) के तौर पर जमा कराई जाती है। निवेशकों के अनुसार भारी भरकम ब्याज का लालच देकर पैसा तो जमा करा लिया गया लेकिन परिपक्वता अवधि पूर्ण होते ही निवेशकों की राशि वापस करने में आनाकानी की जा रही है। कई निवेशकों को चेक दिए गए जो बाउंस हो गए हैं। अब रूपए के बदले मिल रही धमकी राजेंद्र, विमल, विजय, राकेश, पुष्पेंद्र समेत कई निवेशकों ने बीते दिनों कोलगवां थाने के अलावा एसपी,एसडीएम व कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज करते हुए बताया था कि अमानत में ख्यानत करने वाले अरविंद त्रिपाठी, मयंक व नवीन अग्रवाल परिपक्वता अवधि बीतने के बाद अपना पैसा मागने पर निवेशकों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। आरोपों के मुताबिक जब निवेशकों ने अपने निवेश वापसी का दबाव बनाना शुरू किया तब अरविंद त्रिपाठी ने न केवल अपना नंबर बदल लियाा बल््िरक उसने भरहुत नगर कार्यालय से कन्नी भी काट ली है। पड़ोसी जिलों में भी गोरखधंधा सतना में करोड़ों रूपए जमा होने से उत्साहित सोसायटी के कर्ता धर्ताओं ने पड़ोसी जिलों में भी अपना जाल बिछाया और सेमरिया,रीवा, मऊगंज, मनगवां, सीधी, सिंगरौली, कोतमा, रीवा आदि स्थलों पर भी कार्यालय खोलकर अनाप-शनाप ब्याज का लालच दिया और करोड़ो रूपए जमा कराए हैं। हटा बोर्ड, मोबाइल भी बंद इस मामले की वस्तुस्थिति जानने सोसायटी के मास्टरमाइंड अरविंद त्रिपाठी से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन निवेशकों को उसके द्वारा दिया गया हर मोबाइल नंबर बंद पाया गया। इतना ही नहीं रिलायबल क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी का भरहुत नगर में लगा बोर्ड भी कार्यालय से हटा लिया गया जो इस बात की ओर इशारा करता है कि कर्ता धर्ता निवेशकों को चूना लगाकर भागने की फिराक में है। वर्जन फिलहाल यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है, लेकिन यदि ऐसा है तो निश्चित ही गंभीर बात है। इस मामले की जानकारी जुटाकर जल्द ही कार्यवाही की जाएगी । निवेशकों से धोखाधड़ी करने वालों को भागने का मौका नहीं दिया जाएगा। बलवीर रमन, एसडीएम कमेंट ...सांप निकलने के बाद फिर लकीर पीटेगा प्रशासन जिला मुख्यालय में प्रशासनिक अधिकारियों की नाक के नीचे चिट फंड कंपनी की तरह सोसायटी खोलकर निवेशकों को चूना लगाने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इसकी शुरूआत तकरीबन डेढ़ दशक पूर्व उत्तम चटर्जी से हुई थी जिसके बाद कई कंपनियां यहां दुकानें खोलकर लोगों को चूना लगाती रही हैं। हर मामले में जिला प्रशासन के आला अधिकारियों तक शिकायत पहुंचती थी लेकिन प्रशासन हरकत में तभी आता है जब लोगों की गाढ़ी कमाई को हड़पकर कर्ता धर्ता भाग खड़े होते हैं। अब एक और कंपनी का प्रबंधन भागने की फराक में लेकिन नीचे से लेकर ऊपर तक की गई शिकायतों के बावजूद प्रशासन अभी रहस्यमयी चुप्पी साधे हुए है। जाहिर है कि जब प्रबंधन बोरिया बिस्तर समेट लेगा तब प्रशासन हरकत में आएगा लेकिन तब प्रशासनिक सक्रियता सांप निकलने के बाद लकीर पीटने वाली ही साबित होगी।