अटल इरादों और लौह इच्छाशक्ति के कारण ही सरदार को लौह पुरुष कहा जाता है-ओम प्रकाष शर्मा
noman khan
झाबुआ । भारतीय जनता पार्टी खेल प्रकोष्ठ द्वारा बुधवार 31 अक्तुबर को विधानसभा मुख्यालय झाबुआ पर रन फार यूनिटी अर्थात एकता के लिये दौड का आयोजन स्थानीय विजयस्तंभ चैराहे से विधायक शांतिलाल बिलवाल एवं जिला भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा द्वारा झण्डी दिखा कर किया गया ।पूरे विधानसभा क्षेत्र से बडी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता पदाधिकारियों एवं नगर के गणमान्य जनों ने इस एकता दौड मे ं सहभागिता की ।

एकता दौड बस स्टेंड, थांदला गंेट, चन्द्रशेखर आजाद मार्ग, आजाद चैक तक पहूंची जहां शहीद चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर विधायक बिलवाल, जिला भाजपाध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा,सहित भाजपा के पदाधिकारियों ने माल्यार्पण किया । खेल प्रकोष्ठ के संयोजक गोलू उपाध्याय एवं राजा ठाकुर के संयोजन में उक्त मेराथन दौड मनोकामना चैराहा से होकर राजवाडा चैक पहूंची जहां जिला भाजपाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा ने एकता के लिये दौड के विषय में बताया कि आज ही के दिन देश के लौहपुरूष कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती होने तथा आज ही के दिन सरदार सरोवर बांध के किनारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 182 मीटर उंची सरकार वल्लम भाई पटेल की स्टेच्यू आफ यूनिटी का उदघाटन किया जारहा है। सरदार पटेल को स्मरण करने तथा उनके बताये मार्गो के संकल्प एवं संदेश के लिये उक्त एकता के लिये दौड का आयोजन किया गया है ।, श्री शर्मा ने कहा कि पटेल इस देश के पहले गृहमंत्री थे। कहा जाता है कि उनसे बेहतर नेता और प्रशासक बहुत कम होते हैं। पटेल की तुलना जर्मनी के एकीकरण के सूत्रधार बिस्मार्क से की जाती है। ना बिस्मार्क ने कभी मूल्यों से समझौता किया और ना सरदार पटेल ने। देश जब स्वतंत्र हुआ तो 562 रियासतें थीं। पटेल ने इन्हें एक सूत्र में पिरोया और वो काम कर दिखाया जिसकी उस वक्त कल्पना भी कठिन थी। अटल इरादों और लौह इच्छाशक्ति के कारण ही उन्हें लौह पुुरुष कहा जाता है।
इस अवसर पर विधायक शांतिलाल बिलवाल ने अपने संबोधन में सरदार पटेल को देश का एक मात्र असरदार नेता बताते हुए कहा कि सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ। पिता का नाम झावेर भाई और माता का नाम लाडबा पटेल था। माता-पिता की चैथी संतान वल्लभ भाई कुशाग्र बुद्धि के थे। उनकी रुचि भी पढ़ाई में ही ज्यादा रही। लॉ डिग्री हासिल करने के बाद वो वकालात करने लगे। सरदार कितने मेधावी थे इसका अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1910 में वो पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और लॉ का कोर्स उन्होंने आधे वक्त में ही पूरा कर लिया। इसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला। इसके बाद वो भारत लौट आए। 1947 में भारत को आजादी तो मिली लेकिन बिखरी हुई। देश में कुल 562 रियासतें थीं। कुछ बेहद छोटी तो कुछ बड़ी। ज्यादातर राजा भारत में विलय के लिए तैयार थे। लेकिन, कुछ ऐसे भी थे जो स्वतंत्र रहना चाहते थे। यानी ये देश की एकता के लिए खतरा थे। सरदार ने इन्हें बुलाया और समझाया। वो मानने के लिए तैयार नहीं हुए तो पटेल ने सैन्य शक्ति का इस्तेमाल किया। आज एकता के सूत्र में बंधे भारत के लिए देश सरदार पटेल का ही ऋणी है। कहा जाता है कि एक बार उनसे किसी अंग्रेज ने इस बारे में पूछा तो सरदार पटेल ने कहा- मेरा भारत बिखरने के लिए नहीं बना।
मुख्य वक्ता दौलत भावसार ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरदार पटेल ने जो स्वर्णीम इतिहास रचा उसके लिये देश उनका ऋणी रहेगा । देश की अखण्डता एवं एकता के लिये उन्होने कई देसी रियासतों विशेषकर हैदराबाद एवं कश्मीर की रियासत को भारत मे विलीनीकरण के लिये तेयार किया । वे स्वतंत्र भारत के निर्माता थं, महात्मा गांधी के बाद यदि दुसरा कोई व्यक्तित्व देश के एकीकरण के लिये याद किया जावेगा तो वह थे सरदार वल्लभभाई पटेल । उनहोने कहा कि आजादी के बाद सरदार को पिछली सरकारों ने भ्रुला दिया था किन्तु केन्द्र में भाजपा की सरकार आने के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल को जो सम्मान दिया गया , उनकी विश्व की सबसेबडी प्रतिमा गुजरात के सरदार सरोवर पर स्थापित करके उसे तीर्थ बनाया गया है । श्री भावसार ने कहा कि हमस ब को मिल कर देश की अखंण्डता के लिये काम करना है।
इस अवसर पर गोलू उपाध्याय ने भी उपने विचार व्यक्त करते हुए उन्हे एकात्मकता का प्रतिक बताया । एकता के लिये आयोजित दौड में बडी संख्या में महिलाओं ने भी सहभागिता की । श्रीमती मीना चैहान, मयूरी चैहान, लीला ब्रजवासी, रंजना शाक्यवाल,साधना कुमावत, ओपी राय, प्रवीण सुराणा, मेगजी अमलीयार, ईरशाद कुर्रेशी, भूपेंश सिंगोड, बबलु सकलेचा, कल्याणसिंह डामोर, राजेन्द्र सोनी,महेन्द्र राठौरिया, अंकुर पाठक, डा. अरविन्द दांतला, नंदलाल रेड्डी, राकेश शर्मा,गेंदाला बामनका, सुनील परमार, राजा ठाकुर, नाना राठौर अर्पित कटकानी, अमरू, हेमेन्द्र राठौर, अवि भावसार, हरू भूरिया, विवके मेडा, शैलेन्द्र सोलंकी, कांतिलाल प्रजापत, दिलीप नलवाया सहित बडी संख्या में युवकों एवं पदाधिकारियों ने दौड मे भागीदारी की । कार्यक्रम के अंत मे आभार बबलू सकलेचा ने व्यक्त किया ।