अब ग्राहकों से ठगी नहीं, नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक से जुड़ी 9 बातें

अब ग्राहकों से ठगी नहीं, नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक से जुड़ी 9 बातें

 
ग्राहकों को और अधिक अधिकार देने के लिए तीन दशक पुराने कानून को बदला जा रहा है। लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण बिल 2018 पास हो गया है और इसे अब राज्य सभा में भेजा जाएगा। नया कानून उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 की जगह लेगा। यह देश में उपभोक्ता अधिकारों को लेकर क्रांतिकारी साबित हो सकता है। इसके तहत उपभोक्ताओं और एजेंसियों को मौजूदा कानून के मुकाबले बहुत अधिक अधिकार दिए गए हैं। आइए जानें बिल की मुख्य बातें... 
  
1. बिल में सेंट्रल कंज्यूमर प्रॉटेक्शन अथॉरिटी के गठन का प्रस्ताव है। उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और अनैतिक व्यापारिक गतिविधियों को रोकने के लिए एजेंसी हस्तक्षेप कर सकती है। प्रॉडक्ट वापस लेने या रिफंड के आदेश के अलावा कंपनी के खिलाफ 'क्लास ऐक्शन' लिया जा सकता है। इस एजेंसी को अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन की दर्ज पर अत्यधिक प्रभावी बनाया जाएगा। 
 
2. बिल में 'क्लास ऐक्शन' का नया कॉन्सेप्ट जोड़ा गया है, जिसका मतलब है कि मैन्युफैक्चरर्स या सर्विस प्रोवाइडर्स की जिम्मेदारी केवल एक या उपभोक्ताओं के एक समूह तक सीमित नहीं होगी, बल्कि सभी ग्राहकों के प्रति होगी। क्लास ऐक्शन के तहत सभी प्रभावित उपभोक्ता लाभार्थी होंगे। 

3. किसी प्रॉडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, डिजाइन, फॉर्म्युला, निर्माण, असेंबलिंग, टेस्टिंग, सर्विस, इंस्ट्रक्शन, मार्केटिंग, पैकेजिंग, लेबलिंग आदि में खामी की वजह से ग्राहक की मौत, घायल या अन्य नुकसान की स्थिति में मैन्युफैक्चरर, प्रॉड्यूशर और यहां तक की विक्रेताओं को भी जिम्मेदार बनाने की व्यवस्था की गई है। 

4. बिल में उपभोक्ता विवादों को सुलझाने के लिए जिला, राज्य और नैशनल लेवल पर मौजूद संरचनाओं को हटाने का प्रस्ताव है। यह उपभोक्ताओं को अधिक शक्तिशाली बनाएगा। नए विधेयक में प्रावधान है कि अगर जिला और राज्य उपभोक्ता फोरम उपभोक्ता के हित में फैसला सुनाते हैं तो आरोपी कंपनी राष्ट्रीय फोरम में नहीं जा सकती। 

5. सभी स्तरों पर उपभोक्ता आयोग से उपभोक्ता मध्यस्थता सेल को जोड़ा जाएगा ताकि आयोग अत्यधिक केसों के बोझ में ना दबे। 

6. ई-कॉमर्स को लेकर भी इस कानून में बहुत कुछ है। मौजूदा समय में एक ग्राहक विक्रेता के खिलाफ उसी स्थान पर लीगल ऐक्शन ले सकता है, जहां लेनदेन हुआ हो। नए कानून में उपभोक्ता ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकता है या फिर अपने निवास स्थान के नजदीक उपभोक्ता अदालत में जा सकता है। नया कानून मामलों के जल्द निपटारे के लिए महत्वपूर्ण है। उपभोक्ता विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी सुनवाई में हिस्सा ले सकता है। 

ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं के डेटा एक्सेस के लिए सहमति लेना अनिवार्य किया गया है। ई-कॉमर्स कंपनियों को बिजनस डीटेल्स और सेलर अग्रीमेंट का खुलासा भी करना होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि कंज्यूमर डेटा का इस्तेमाल किस रूप में किया जाता है। 


7. बिल में मैन्युफैक्चरर के अलावा प्रॉडक्ट का प्रचार करने वाले लोगों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। ग्राहकों को नुकसान पहुंचाने वाले गलत या भ्रामक विज्ञापन पर 2 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना का प्रावधान है। गंभीर मामलों में अधिकतम 10 साल जेल और 50 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। भ्रामक विज्ञापनों में शामिल सिलेब्रिटीज पर जुर्माना लगाया जाएगा, हालांकि उन्हें जेल नहीं होगी। 

8.बिल में कंपोजिट सप्लाई या बंडल सर्विसेज को लेकर भी प्रावधान है। मसलन, यदि एक प्लैटफॉर्म होटल स्टे और एयरलाइन टिकट के साथ ट्रेवल सर्विसेज दे रही है तो उसे सभी सेवाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। 

9. झूठे शिकायतों को रोकने के लिए बिल में 10 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।