अब पूर्व सांसद कुसमरिया ने गौर से की मुलाकात, गरमाई सियासत

अब पूर्व सांसद कुसमरिया ने गौर से की मुलाकात, गरमाई सियासत

भोपाल 
मध्यप्रदेश में इन दिनों मुलाकातों का दौर तेजी से चल रहा है। इसका मुख्य केन्द्र पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर बने हुए है। कांग्रेस नेताओं के बाद अब बीजेपी से बागी हुए भाजपा नेता भी उनके घर पहुंच जा रहे है। इसी कड़ी में सोमवार को बीजेपी से निष्कासित वरिष्ठ नेता रामकृष्ण कुसमारिया बाबूलाल गौर से मिलने उनके घर पहुंचे और काफी देर तक उनसे चर्चा की । इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और कहा लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान भी किया। इस मुलाकात के बाद सियासत फिर गर्मा गई है। राजनैतिक गलियाओं में हलचल मच गई है।अब लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं की ये मुलाकात कई मायने बयां कर रही है।

दरअसल, आज सोमवार को कांग्रेस नेताओं के बाद विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से निष्काषित हुए दमोह के पूर्व सांसद  रामकृष्ण कुसमरिया पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर से मिलने उनके घर पहुंचे। यहां गौर के बंगले के बगीचे में बैठ दोनों जमकर ठहाके लगाए और कहा कि हम तो योद्धा है, बाजू-हाथ फड़कते हैं और अभी हथियार नहीं डाले हैं।अब लोकसभा चुनाव भी लड़ूंगा। जहां से सम्मानजनक स्थिति होगी उनकी ओर से लड़ूंगा, पर चुनावी मैदान में जरूर उतरुगां।कुसमारिया ने कहा बीजेपी के सभी बुजुर्ग नेता एकजुट होकर रणनीति बना रहे हैं। 

इस रणनीति का असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा और पार्टी के कई बुज़ुर्ग नेताओं ने तो लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए ताल भी ठोंक दी है। वही गौर ने कहा कि सर्वे में नाम होने के बावजूद पार्टी ने कुसमारिया जैसे जिताऊ नेता को टिकट नहीं दिया। पार्टी की हार का यही कारण रहा। विधानसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी के सामने वैसे ही कई चुनौतियां हैं, ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ और बुजुर्ग नेताओं का इस तरह से बागी होना, कहीं न कहीं नुकसान दायक साबित हो सकता है। 

गौरतलब है कि इन दिनों मध्यप्रदेश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर से नेताओं की मुलाकात से सियासत गर्माई हुई है। हाल ही उन्होंने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा था कि भाजपा अब कुशाभाऊ ठाकरे वाली पार्टी नहीं है। अब यहां पर वरिष्ठों का सम्मान नहीं होता है, उन्हें अपमानित किया जाता है। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा में एक के बाद एक वरिष्ठ नेताओं को षड़यंत्र कर ठिकाने लगाया गया। कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता को प्रदेश छोड़ना पड़ा।
 
लक्ष्मीकांत शर्मा का कद बढ़ने लगा तो व्यापमं में फंसा दिया। राघवजी, सरताज सिंह और रामकृष्ण कुसमरिया जैसे उम्र और अनुभव में बड़े, पांच-छह बार के सांसद रहे नेताओं को किस तरह अपमानित किया गया।किस तरह उनकी दुर्गति की गई, किसी से छिपी नहीं है। सब जानते हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है। सब कुछ प्लानिंग से किया गया। मैं सम्मान की लड़ाई लड़ रहा हूं। अगर लोकसभा चुनाव में भी वरिष्ठ नेताओं के साथ ऐसा ही किया गया तो उसका नुकसान पार्टी को भुगतना पड़ेगा।