आईसीआईसीआई बैंक ने चंदा से झाड़ा पल्ला

आईसीआईसीआई बैंक ने चंदा से झाड़ा पल्ला

नई दिल्ली
आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी चंदा कोछड़ के खिलाफ चल रही कई तरह की जांच के बीच इस निजी बैंक ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से चंदा और बैंक के खिलाफ अलग-अलग जांच करने का अनुरोध किया है। बैंक ने इस मामले में अपने पिछले रुख को बदल दिया है और वह चाहता है कि उसके खिलाफ अलग से जांच की जाए। साथ ही उसने चंदा के बारे में सेबी को कुछ अहम जानकारी भी दी है।  अभी सेबी चंदा के पति दीपक कोछड़ और वीडियोकॉन समूह के बीच कारोबारी सौदे में हितों के टकराव की संभावना की जांच के लिए बैंक और चंदा दोनों के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर काम कर रहा है। 
 
एक सूत्र के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक ने 10 जनवरी को सेबी को एक पत्र लिखकर बैंक और चंदा के खिलाफ जांच अलग करने को कहा है क्योंकि दोनों मामले अलग-अलग हैं। सेबी के भेदिया कारोबार नियम का हवाला देते हुए बैंक ने कहा कि अपने कारोबार के बारे में खुलासा करने की जिम्मेदारी कर्मचारी पर है। चंदा ने 2015 और 2018 के बीच बैंक को दी गई व्यक्तिगत जानकारी में अपने पारिवारिक कारोबार के बारे में नहीं बताया।  बैंक ने सेबी को बताया कि चंदा ने पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने अपने पति की कंपनी पिन्नेकल एनर्जी ट्रस्ट में किसी भी तरह का लाभकारी हित होने से इनकार किया था। इस ट्रस्ट का काम दीपक कोछड़ देखते हैं और इसमें वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत ने कथित रूप से 64 करोड़ रुपये का निवेश किया था। बैंक ने कहा कि चंदा ने बैंक की खुद को अलग करने की नीति का उल्लंघन किया था जो आरबीआई के दिशानिर्देशों के मुताबिक है।     
 
चंदा ने खुद को कभी भी किसी बैठक से अलग नहीं किया। साथ ही उन्होंने कभी भी उन कंपनियों में अपने हितों का खुलासा नहीं किया जिन्हें ऋण मंजूर किया गया था। सेबी ने पिछले साल 23 मई को बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसका जवाब दाखिल किए जाने के बाद बाजार नियामक ने हाल में बैंक से कई तरह के सवाल पूछे थे। इसके बाद ही बैंक ने चंदा के बारे में ये खुलासे किए हैं।  सेबी ने पिछले साल 16 अक्टूबर को चंदा को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाया था लेकिन तब बैंक ने उनका बचाव किया था। तब बैंक ने कहा था कि उसकी आचारसंहिता नीति में किसी बैंक कर्मचारी के पति या पत्नी की कंपनियों के निवेश या लेनदेन का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है। इस बारे में बैंक ने बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजे गए सवाल का जवाब नहीं दिया। बैंक ने पहले यह भी दावा किया था कि चंदा के बारे में सारी जानकारी ऑन रिकॉर्ड ली गई थी और स्टॉक एक्सचेंजों को भी इससे अवगत कराया गया था। वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण देने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए बैंक ने कहा था कि चंदा इस ऋण से संबंधित समिति की अध्यक्ष नहीं थीं।गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआईं) ने वीडियोकॉन ऋण मामले में चंदा, उनके पति और उनकी कंपनियों को आरोपी बनाया था। सीबीआई इस मामले में आपराधिक साजिश की जांच कर रही है। एजेंसी का कहना है कि इन आरोपियों ने निजी कंपनियों को कुछ ऋण देकर आपराधिक साजिश की थी और आईसीआईसीआई बैंक को 1,730 करोड़ रुपये का चूना लगाया था। सीबीआई के मुताबिक उसने धूत और दीपक के बीच एकदूसरे को परस्पर फायदा उठाने के आरोपों की जांच की थी। 
 
धूत ने अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी (एसईपीएल) के जरिये दीपक की कंपनी न्यूपावर रिन्यूवेबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया था। साथ ही धूत ने 2010 और 2012 के बीच पिन्नेकल एनर्जी में हेरफेर के जरिये निवेश किया था। एजेंसी ने इस मामले में पिछले साल मार्च में प्राथमिक जांच दर्ज की थी। जांच के तुरंत बाद आईसीआईसीआई बैंक का बोर्ड चंदा के बचाव में उतर गया था और उसने किसी तरह के परस्पर फायदे के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उसे चंदा पर पूरा भरोसा है।