'आरबीआई ने सेक्शन 7 के इस्तेमाल के लिए मजबूर किया'

नई दिल्ली
सरकार को दर्जनभर मुद्दों पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एेक्ट के सेक्शन 7 के तहत चर्चा शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि केंद्रीय बैंक ने उनमें से किसी को लेकर कोई पहल नहीं की। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी है। सूत्रों ने बताया कि इन मुद्दों पर सरकार लंबे समय से रिजर्व बैंक के साथ संपर्क में थी, लेकिन उसे इन पर पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला। इससे पहले आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 का प्रयोग कभी नहीं हुआ था।
एक अधिकारी ने बताया, 'हम इनमें से कई मुद्दों पर एक साल या उससे अधिक समय से आरबीआई के संपर्क में थे। रिजर्व बैंक को इनमें से चार या पांच प्रस्तावों को स्वीकार करना चाहिए था और वह बाकी के लिए मना कर सकता था। हालांकि, उसने इनमें से एक भी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी और न ही आरबीआई की बोर्ड मीटिंग में ये मुद्दे उठे। ऐसे में सरकार के पास कोई रास्ता नहीं बचा था।'
बोर्ड की बैठक में मुद्दे सुलझने की उम्मीद
सरकार उम्मीद कर रही है कि इनमें से कुछ मसले आरबीआई की 19 नवंबर को होने वाली अगली बोर्ड मीटिंग में सुलझ जाएंगे। जिन 12 मुद्दों के लिए सेक्शन 7 का इस्तेमाल किया गया है, उनमें एनबीएफसी, होम लोन कंपनियों और म्यूचुअल फंडों के लिए स्पेशल विंडो, माइक्रो, मीडियम एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज लोन पर लो रिस्क वेटेज और उनके लोन एकाउंट्स की रिस्ट्रक्चरिंग के लिए फ्रेमवर्क शामिल हैं।
केंद्र को आरबीआई को तीन पत्र लिखे
एक अन्य शख्स ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने इन मुद्दों पर आरबीआई को तीन अलग-अलग लेटर लिखे थे। सरकार ने बैंकों के 30 अरब डॉलर की रकम जुटाने के लिए फैसिलिटी की भी मांग की है। उसने आरबीआई के नॉर्म्स से कम प्रोविजनिंग वाले बैंकों की खातिर बाजल 3 कैपिटल नॉर्म्स को लागू करने की मांग भी की थी। रिजर्व बैंक का कॉमन इक्विटी टियर 1 कैपिटल नॉर्म 5.5 पर्सेंट है, जो बाजल 3 के 4.5 पर्सेंट से अधिक है। ऐसे में बाजल 3 रूल्स लागू करने से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अतिरिक्त फंड होगा।
मेंडेटरी हेजिंग की शर्त हटाने की मांग
केंद्र चाहता है कि 10 साल से कम के इंफ्रास्ट्रक्चर लोन से मैंडेटरी हेजिंग की शर्त हटा ली जाए और कॉरपोरेट बॉन्ड पोर्टफोलियो के मामले में विदेशी संस्थागत निवेश के लिए और ढील दी जाए। अभी एफपीआई एक कंपनी में कॉरपोरेट बॉन्ड पोर्टफोलियो से 20 पर्सेंट से अधिक निवेश नहीं कर सकते। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने एफपीआई के लिए वॉलंटरी रिटेंशन रूट पर चर्चा का प्रस्ताव रखा था, जिसमें यह बंदिश लागू नहीं होगी।
उसने हाल में ऑइल मार्केटिंग कंपनियों को हेजिंग से कुछ छूट भी दी थी। सरकार ने कमजोर बैंकों के लिए प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क के फायदे पर भी सवाल खड़े किए हैं। उसने आरबीआई बोर्ड के पास केंद्रीय बैंक की कैपिटल संबंधी जरूरतों पर चर्चा का भी प्रस्ताव भेजा है। इससे सरकार को आरबीआई के रिजर्व का इस्तेमाल करने की इजाजत मिल जाएगी।