इन कद्दावर विधायकों को नहीं मिली मंत्री मंडल में जगह, समर्थक नाराज
भोपाल
मध्य प्रदेश में नई कैबिनेट ने आकार ले लिया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज यहां आयोजित एक गरिमामय समारोह में मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार के 28 मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई। सीएम नाथ ही पहली कैबिनेट में कांग्रेस के दो वरिष्ठ विधायकों का नाम शामिल नहीं होने से उनके समर्थक नाराज हैं। इनमें दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह और केपी सिंह शामिल हैं।
केपी सिंह का नाम मंत्रियों वाली सूची से गायब होने की सूचना मिलते ही उनके समर्थक भोपाल में केपी सिंह के धरने पर बैठ गए हैं। जबकि केपी सिंह अज्ञातवास पर चले गए हैं। पिछोर विधायक केपी सिंह कक्काजू का नाम नहीं हैं जबकि वे ग्वालियर चम्बल संभाग के दूसरे वरिष्ठ विधायक हैं । उनका नंबर 7 बार के विधायक डॉ गोविन्द सिंह के बाद आता है। ऐसा ही कुछ दिग्विजय सिंह के भाई के साथ हुआ है। वह कई बार सांसद और विधायक रहे हैं। दिग्विजय सिंह से हटाकर उनकी अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है। लेकिन सिंह परिवार से होने के चलते उनका नाम शामिल नहीं किया गया है। क्योंकि दिग्विजय के बेटे जयवर्धन सिंह का नाम मंत्री लिस्ट में शामिल था।
वहीं, सिंधिया समर्थक चंदेरी विधानसभा अशोक नगर जिले की तीनों सीटों पर कांग्रेस को विजयश्री मिली है वहीं अशोकनगर जिले से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया गोपाल सिंह चौहान अशोकनगर जिले में सबसे ज्यादा कद्दावर और सीनियर नेता का नाम भी शामिल नहीं किया गया। मालवा में कांग्रेस ने इस बार काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। मंदसौर गोलीक कांड के बाद से किसानों में काफी नाराजगी थी। कांग्रेस को इसका काफी फायदा भी हुआ। लेकिन मंदसौर के सुवासरा से कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग को मंत्री मंडल में शामिल नहीं किए जाने से वह नाराज हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र से वह कांग्रेस के इकलौते विधायक हैं लेकिन फिर भी मुझे नहीं लिया गया। उन्होंने इस फैसले को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि जातिय समीकरण पर भी सिख का प्रतिनिधित्व होना चाहिए था।
टीम कमलनाथ में प्रदेश के सभी अंचलों का संतुलन बैठाने की कोशिश की गई है। राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि है कि मंत्री के चयन में कमलनाथ का ही सिक्का चला है। जबकि सिंधिया खेमे के विधायकों को कम जगह मिली है। जातीय समीकरण के हिसाब से देखे जाए तो मंत्री मंडल में 8 ओबीसी, 9 सवर्ण, 3 आदिवासी, 1 मुस्लिम, 4 एससी विधायक शामिल किए गए हैं।