एफआईआर में देरी से आरोपियों को मिली थी जमानत

 
रायबरेली/लखनऊ

यूपी के चर्चित उन्नाव कांड की शुरुआत रायबरेली के लालगंज से हुई। इस मामले में लालगंज पुलिस की लापरवाही कदम-दर-कदम उजागर हो रही है। पीड़िता के वकील का आरोप है कि मुकदमा दर्ज करने में देरी की वजह से अभियुक्तों को हाई कोर्ट से जमानत मिल पाई और बाद में उन्होंने रेप पीड़िता को जलाकर मार डाला।

प्रेमी-प्रेमिका के तौर पर आरोपी शिवम त्रिवेदी और पीड़िता रायबरेली के साकेत नगर में किराए के कमरे में रहते थे। शादी से मुकरने के बाद शिवम ने मंदिर में सुलह के बहाने साथी शुभम त्रिवेदी के साथ गैंगरेप किया। 12 दिसंबर 2018 को पीड़िता मुकदमा दर्ज करवाने लालगंज कोतवाली पहुंची, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। 20 दिसंबर को एसपी रायबरेली को रजिस्टर्ड डाक से शिकायती पत्र भेजा, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
 
मुकदमा दर्ज करने में भी उदासीन रही पुलिस
इसके बाद अपर मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में मुकदमा दर्ज करवाने की अर्जी दी। 10 जनवरी 2019 को मैजिस्ट्रेट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस उदासीन रही। 26 फरवरी को कोर्ट की अवमानना की अर्जी दी गई। इसके बाद पुलिस ने 5 मार्च को मुकदमा दर्ज किया, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। सितंबर में पीड़िता सीएम के जनता दरबार पहुंची तो 22 सितंबर को आरोपितों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
 
पुलिस की लचर तफ्तीश भी जिम्मेदार!
रेप पीड़िता के वकील महेश सिंह ने बताया कि देर से केस दर्ज होने और पुलिस की लचर तफ्तीश के कारण हाई कोर्ट से आरोपितों को जमानत मिल गई। शादी के अनुबंध पत्र को फर्जी बताते हुए वकील ने कहा कि 9 जनवरी को मामले को दबाने के लिए शिवम ने कोर्ट में ले जाकर एक अनुबंध पत्र तैयार करवाया। इसमें गवाहों के नाम हैं और न हस्ताक्षर।