केवल रेफर सेंटर बनकर रह गया है मंदसौर का जिला अस्पताल
मंदसौर
मंदसौर का जिला चिकित्सालय इन दिनों डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहा है. डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों का इलाज समय पर नहीं हो पा रहा है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन मरीजों को इंदौर या उदयपुर रेफर कर दे रहा है. बता दें कि मंदसौर का जिला चिकित्सालय 500 बेड वाला है. जिला स्तर पर एक अस्पताल में जितनी सुविधाएं होनी चाहिए उन सभी सुविधाओं का यहां पर होने का दावा भी किया जाता है. लेकिन हकीकत पूरी उल्टी है. हकीकत यह है कि यहां पर न तो डॉक्टर है और न स्टाफ हैं. यहां पर मरीज तो आते हैं, लेकिन उनका इलाज नहीं हो पाता है. उन्हें समय पर दवाइयां भी नहीं मिल पाती हैं. प्रतिशत के हिसाब से बताया जाए तो यहां केवल 20 प्रतिशत डॉक्टर कार्यरत हैं. यानि 80 प्रतिशत डॉक्टर के पद यहां पर खाली पड़े हैं.
साथ ही जो डॉक्टर यहां पर कार्यरत हैं, वे भी समय पर अस्पताल नहीं आते हैं. ओपीडी पर लंबी कतारें लगी रहती हैं. मरीज परेशान होते रहते हैं. लेकिन डॉक्टर अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस में लगे रहते हैं. यहां आने वाले मरीज डॉक्टरों की कमी के कारण समय पर अपना इलाज नहीं करा पाते हैं. ऐसे में कई बार तो मरीजों की हालत खराब भी होने लगती है. मरीजों को इंदौर या उदयपुर रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में परिजनों को मरीज को शहर से बाहर ले जाना पड़ता है. इलाज के अभाव में कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. वहीं शासन की योजनाओं का लाभ न मिलने के कारण लोगों को बाहर जाकर महंगा इलाज कराना पड़ता है.
इस बारे में जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार मिश्रा का कहना है कि सुविधाएं यहां पर पर्याप्त हैं. लेकिन डॉक्टर और स्टाफ की भारी कमी है. उन्होंने कहा कि केवल बीस प्रतिशत डॉक्टर के बल पर ही अस्पताल चल रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि यहां पर्याप्त संख्या में डाक्टर और स्टाफ की भर्ती क्यों नहीं की जा रही है. सरकार की इस लापरवाही के कारण न सिर्फ गरीब मरीजों को शहर से बाहर जाकर इलाज कराने को बाध्य होना पड़ रहा है बल्कि उनकी बचत के पैसे भी खर्च हो रहे हैं.