क्राइम इन्वेस्टिगेशन में साइकोलॉजी का इस्तेमाल पर पहुंच सकते हैं अपराधियों तक

क्राइम इन्वेस्टिगेशन में साइकोलॉजी का इस्तेमाल पर पहुंच सकते हैं अपराधियों तक

रायपुर
फोरेंसिक इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के द्वारा रोल आॅफ साइकोलॉजी इन क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें बताया कि क्राइम इन्वेस्टिगेशन में साइकोलॉजी का इस्तेमाल कैसे अपराधियों तक पहुंचा जा सकता हैं।

मुख्य वक्ता के रूप में सुमंजरी शर्मा विभागाध्यक्ष साइकोलॉजी विभाग, बिलासा कन्या महाविद्यालय बिलासपुर ने फोरेंसिक साइंस के छात्रों को क्राइम इन्वेस्टिगेशन में साइकोलॉजी के महत्व को बताया कि किस प्रकार से घटना स्थल निरीक्षण के दौरान हम अपराधियों तक पहुंचने के रास्ते खोज कर अपराध में संलिप्त हुए अपराधियों तक पहुंच सकते है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि व्यक्तियों के मोडस आॅपरेंडी के आधार पर हम क्रिमिनल का प्रोफाइलिंग तैयार कर सकते है जिससे बहुत ही कम समय में मुख्य अपराधी तक पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा फोरेंसिक साइकोलॉजी विशेषज्ञ की भूमिका और उसपे आधारित बिंदुओं जैसे- व्यक्ति के चेहरे के हावभाव, व्यक्ति की अभिवृति  एवं व्यक्ति के रहन सहन के आधार पर उसी दिशा में जांच करने पर भी अपराधिक अनुसंधान में मदद मिलती है।

इस कार्यक्रम में उपस्थित फोरेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ, सुधीर यादव ने बताया कि कभी कभी व्यक्ति ना चाहते हुए भी अपने मानसिक तनाव के कारण अपराध को अंजाम दे देता है परन्तु उसका उद्देश्य नहीं होता ऐसे मामलों में फोरेंसिक जांच की जरूरत होती है। फोरेंसिक इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के डायरेक्टर दिपेन्द्र बारमते ने बताया कि साइकोलॉजी विशेषज्ञ के मदद से अनसुलझे अपराधिक मामले को आसानी से सुलझाने में सहायता मिलती है। कार्यक्रम में डॉ सुधीर यादव, फोरेंसिक इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के सभी टीम सदस्य, अर्क वियत फाउंडेशन के फाउंडर विनय सोनवानी, नेशनल यूथ अवॉर्डी नितेश साहू एवं फोरेंसिक साइंस विभाग के समस्त छात्र उपस्थित रहे।