खैरी विस्फोट कांड: जांच रिपोर्ट 3 साल बाद पहुंची कमिश्नर कार्यालय, फंसे 4 अधिकारी
जबलपुर
संभाग के बालाघाट जिले के खैरी क्षेत्र में अवैध रूप से चल रही पटाखा फैक्टरी ब्लास्ट की रिपोर्ट 3 साल बनकर तैयार हो सकी। सूत्रों के मुताबिक संभाग कमिश्नर राजेश बहुगुणा के पास भेजी गई जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई तो जिले के कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
गौरतलब है कि 7 जून 2017 दिन बुधवार को बालाघाट के खैरी की पटाखा फैक्टरी में धमाका होने से 25 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई। फैक्टरी में अनुमति से अधिक विस्फोटक रखे जाने से यह हादसा हुआ था।
बताया जाता है कि विस्फोट में 25 लोगों की मौत के बाद हरकत में आए प्रशासन ने बालाघाट एडीएम गोविंद मरकाम को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस मामले में पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट की जांच व लोगों के बयान दर्ज करने पर स्पष्ट हुआ कि फैक्टरी मालिक को अनुमानित मात्रा से अधिक विस्फोटक रखने की अघोषित छूट दे रखी थी।
जांच रिपोर्ट में जिन अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप सही पाया गया उनमें तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ मंजूषा विक्रांत राय, तत्कालीन एसडीएम कमलेश्वर चौबे,तत्कालीन तहसीलदार एसआर वर्मा, तत्कालीन लेबर इंस्पेक्टर सोनकर के नाम शामिल हैं। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि इन अधिकारियों ने पटाखा फैक्टरी की समय समय पर जांच नहीं की।
सूत्रों के मुताबिक एडीएम ने जांच रिपोर्ट संभाग कमिश्नर कार्यालय भेज दी है और जल्द ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ मंजूषा विक्रांत राय सहित 3 अन्य अधिकारियों को 25 लोगों की मौत में जिम्मेदार माने जाने की सुगबुगाहट से जिला प्रशासन में खलबली मची है।
बताया जाता है विस्फोट कांड के बाद राज्य शासन के निर्देश पर बालाघाट प्रशासन ने नागपुर से एक्सपर्ट्स बुलाकर जांच कराई थी। प्रारंभिक जांच में ही स्पष्ट हो गया था कि पटाखा फैक्टरी के संचालक को सिर्फ 5 किलो विस्फोटक रखने की परमिशन थी जबकि उसने सैकड़ों किलो बारूद एकत्र कर रखा था जिससे विस्फोट में 25 मजदूरों की जान चली गई थी।