चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे बोले - केसों की वर्चुअल सुनवाई में वादियां, पेंटिंग और बंदूकें देखने को मिलीं

चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे बोले - केसों की वर्चुअल सुनवाई में वादियां, पेंटिंग और बंदूकें देखने को मिलीं

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन कहा कि वह संतुष्ट होकर जा रहे हैं और उन्होंने अपने स्तर पर बेहतर करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वह शीर्ष अदालत को खुशी, गुडविल और सुनहरी यादों के साथ अलविदा कह रहे हैं। बोबडे ने कहा कि मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि अपने लेवल पर मैंने बेहतर काम करने की कोशिश की है। अयोध्या विवाद पर फैसले के समेत कई अहम मामलों की सुनवाई करने वाले एस.ए. बोबडे ने नवंबर 2019 में सीजेआई की शपथ ली थी और आज उनका आखिरी दिन था। अब उनकी जगह एनवी रमाना मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम संभालेंगे। वह देश के 48वें चीफ जस्टिस होंगे। चीफ जस्टिस बोबडे ने ऐसे दौर में सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व किया, जब दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है। ऐसे में उन्होंने केसों की ऑनलाइन सुनवाई और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि के जरिए अदालतों का संचालन तय करने का काम किया। अपने आखिरी दिन एस.ए बोबडे ने कहा, 'मैं यह कहना चाहूंगा कि आखिरी दिन मिली-जुली भावनाएं देखने को मिल रही हैं और इसके बारे में वर्णन करना मुश्किल है। मैं इस कोर्ट को खुशी, गुडविल और अच्छी यादों के साथ छोड़ रहा हूं।' उन्होंने कहा कि 21 साल तक जज के तौर पर काम करने के बाद अब मैं पद छोड़ रहा हूं। उन्होंने कहा कि इस दौरान मुझे अपने साथी जजों से जो सहयोग मिला, वह काबिलेतारीफ है।  अदालतों में ऑनलाइन सुनवाई की शुरुआत को याद करते हुए एस.ए. बोबडे ने कहा कि इसका यह फायदा था कि हम घर बैठे ही अहम केसों की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस दौरान मुझे वकीलों के पीछे वादियों के सीन, खूबसूरत पेंटिंग्स और कई बार तो हथियार भी देखने को मिले। एस.ए बोबडे ने कहा कि मैं संतुष्ट होकर छोड़ रहा हूं और अब न्यायपालिका की मशाल जस्टिस एनवी रमाना के हाथ में है। मुझे भरोसा है कि वह पूरी काबिलियत के साथ अदालत को आगे ले जाने का काम करेंगे। इस दौरान अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस का कार्यकाल कम से कम तीन साल का होना चाहिए।

वेणुगोपाल बोले, महामारी के दौरान बोबडे के काम रहेंगे याद
एस.ए. बोबडे के कामों को याद करते हुए कहा कि बीते साल मार्च के दौरान पूरी दुनिया में कोरोना का कहर शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि इस मौके का इस्तेमाल एस.ए. बोबडे ने केसों की वर्चुअल सुनवाई शुरू करने के लिए किया। उन्होंने कहा कि एस.ए. बोबडे के इन प्रयासों के चलते ही कोरोना काल में भी ऑनलाइन 50,000 केसों की सुनवाई हो सकी।