दक्षिण पूर्वी मध्य रेलवे बिलासपुर टीम की हुई राजनांदगांव की निशा

बिलासपुर
परेशानियों,समस्यों और मुसीबतों के समंदर से जो अपने जीवन की नाव को मजबूत इरादों से खेते हुए मुकाम पर पहुंचता है वहीं सही अर्थों में चैपिंयन होता है फिर भले ही जीवन का यह क्षेत्र कोई सा भी क्यूं हो। यह गाथा उसी वीर बालिका का की है जिसने नक्सल क्षेत्र में अपने बचपन में माता-पिता को खो दिया लेकिन उसकी बड़ी बहन ने उसकी हौसला हफजाई करने और अपनी बहन को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोडी और इस वीर बाला ने बास्केटबाल के मैदान पर अपनी धाक जमाते हुए दक्षिण पूर्वी मध्य रेलवे बिलासपुर में नौकरी हासिल कर ली।
आदिवासी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की बालिकाओं में से एक है निशा कश्यप जिसने बतौर खेल में अपना कैरियर तलाशा और ने केवल टीम में स्थान बनाया बल्कि अपने प्रतिभा के दम पर रेलवे में नौकरी भी हासिल कर ली। निशा केमाता एवं पिता बचपन में उसे छोड़कर इस दुनिया से विदा हो गये। इतनी कम आयु में निशा के सर पर माता पिता की छात्र-छाया उठ गई ऐसे में निशा की बड़ी बहन उसके साथ साये की तरह खड़ी हुई। उसकी बड़ी बहन ने कपड़े की दुकान में काम कर अपना और अपनी बहन निशा का पालन पोषण किया।
निशा को खेल में अपना कैरियर उस समय दिखाई दिया जब उसकी कुछ सहेलियाँ अम्बिकापुर में बास्केटबाल मैदान पर खेलने जाती थी उनको देखकर निशा भी उनके साथ साथ बास्केटबाल मैदान पर उतर गई। कहते हैं कि पारखी की नज? जिस पर पड़ जाये उसे तराश कर वह उसे उसका मुकाम तक पहुंचा देता है और उसकी वास्तविक चमक भी पारखी के बिना संभव नहीं है। सरगुजा जिला बास्केटबॉल संघ के सचिव एवं प्रशिक्षक राजेश प्रताप सिंह की नजर निशा कश्यप के खेल पर पड़ी तो उनकी पारखी नजरों को यह समझते देर नहीं लगी कि यदि इस लड़की को सही मार्ग दर्शन और प्रशिक्षण मिल जाये तो यह आने वाले समय में बास्केटबॉल की एक बेहतरीन खिलाड़ी बन सकती है। निशा को नियमित अभ्यास करने को कहा और उसकी लगन का आंकलन कर साई के बास्केटबॉल के अंतराष्ट्रीय प्रशिक्षक के राजेश्वर राव एवं राधा राव से अनुरोध किया कि वे उसे राजनांदगांव ले जाकर उसे आधुनिक प्रशिक्षण दिए जाने की बातें कही ।
फिर क्या था निशा का साई में प्रशिक्षण के लिये बैटरी टेस्ट किया गया जिसमें उसका चयन हो गया। फिर निशा को साई कोटे से शिक्षा के लिये युगांतर पब्लिक स्कूल राजनांदगांव में एडमिशन कराया और उसे रखकर नियमित अभ्यास कराया और इस लडकी के टेलेंट को देखकर साई ट्रेनिंग सेंटर राजनांदगांव में उसे सिलेक्ट किया। उसके बाद निशा ने पिछे मुडकर नहीं देखा। उसने की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण रजत एवं कांस्य पदक जीते एवं एशियन एवं विश्व स्कूल बास्केटबॉल प्रतियोगिता सहित तीन अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया। उसकी इस प्रतिभा को देखते हुए दक्षिण पूर्वी मध्य रेलवे बिलासपुर भी कायल हो गया और उसे स्पोर्टस कोटे के अंतर्गत नौकरी देते हुए रेलवे की अपनी बास्केटबाल टीम में शामिल कर लिया। निशा कश्यप ने अपनी इस उपलब्धि का संपूर्ण श्रेय के. राजेश्वर राव, राजेश प्रताप सिंह एवं के.राधा राव को दिया। साथ ही उसने अपनी उस बड़ी बहन के प्रति भी कृतज्ञता जाहिर की जिसने माता-पिता के चले जाने के बाद अपने स्नेह की छत्रछाया में उसे पालापोसा।