पहली बार अनाधिकारिक तौर पर तालिबान के साथ मंच साझा करेगा भारत!

पहली बार अनाधिकारिक तौर पर तालिबान के साथ मंच साझा करेगा भारत!

 
नई दिल्ली 

रूस में शुक्रवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर होने वाली बैठक में भारत भी शामिल होगा। हालांकि भारत की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि उसकी हिस्सेदारी 'अनाधिकारिक' स्तर पर होगी। सरकार ने इसके साथ ही भारत की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि शांति के सभी प्रयासों का नेतृत्व और नियंत्रण अफगान लोगों के हाथ में होना चाहिए।  
 

मॉस्को में होने वाली इस बैठक में भारत की उपस्थिति हालांकि अनाधिकारिक स्तर की है लेकिन इससे भी कई लोगों को हैरानी हो सकती है। यह पहली बार होगा जब भारत तालिबान के साथ मंच साझा करेगा। भारत की ओर से इस बैठक में रिटायर्ड डिप्लोमैट टीसीए राघवन और अमर सिन्हा भाग लेंगे। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि भारत के फैसले पर काफी विचार किया गया और इसमें अफगानिस्तान सरकार के 'कम्फर्ट लेवल' का खास ख्याल रखा गया। 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'हमें पता है कि रूसी प्रशासन 9 नवंबर को मॉस्को में एक बैठक की मेजबानी कर रहा है।' उन्होंने कहा, 'भारत ऐसे सभी प्रयासों का समर्थन करता है जिससे अफगानिस्तान में शांति और सुलह के साथ एकता, विविधता, सुरक्षा, स्थायित्व और खुशहाली आए। भारत की यह नीति रही है कि इस तरह के प्रयास अफगान-नेतृत्व, अफगान-मालिकाना हक और अफगान-नियंत्रित होनी चाहिए और इसमें अफगानिस्तान की सरकार की भागीदारी होनी चाहिए। हमारी हिस्सेदारी गैर-अधिकारी स्तर पर होगी।' 

सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव अमर सिन्हा, अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रहे हैं और टीसीए राघवन, पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त के तौर पर कार्यरत रहे हैं। ये दोनों ही इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। 

समाचार एजेंसी स्पतनिक के अनुसार रूस ने 'मॉस्को फॉर्मेट' में अफगानिस्तान, भारत, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ताजकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, अमेरिका और अफगान तालिबान को न्योता दिया है। 

पहले मॉस्को फॉर्मेट में भारत की ओर से संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हुए थे लेकिन उसमें तालिबान नहीं था। मॉस्को की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'पहली बार दोहा स्थित तालिबान मूवमेंट के राजनीतिक दफ्तर से एक दल भाग ले रहा है।' हालांकि अफगान सरकार इसमें सीधे तौर पर भाग नहीं ले रही है लेकिन देश की हाई पीस काउंसिल इसमें भाग ले सकती है। रूसी उच्चायोग ने कहा है कि वह भारत और अन्य देशों का स्वागत करता है और शांति प्रक्रिया में भारत के प्रयासों का समर्थन करता है।