पानी पिलाने की रस्म निभाकर युवतियां अच्छा पति पाने और सुहागिनें अखंड सुहाग की कामना कर पूजा गणगौर

रायपुर
कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में मंदिर बंद होने के कारण राजस्थानी समाज के लोग घर घर में ही गणगौर पर्व का उत्साह मना रही है। आज पानी पिलाने की रस्म निभाकर युवतियां व सुहागिनों ने अखंड सुराग के लिए भगवान गणगौर को पूजा। इस दैरान भगवान शिव रूपी इशरदेव और माता पार्वती स्वरूप गौरा माता की विधि विधान से पूजा की गई। होलिका की राख से 16 पिंड बनाकर पूजा स्थल में दीवार पर गण यानी शिव और गौरा यानी पार्वती की पुतली उकेरकर पूजा अर्चना का दौर 17 दिन से जारी है। कल यानी गुरुवार को अंतिम पूजा करेंगे युवतियां व महिलाएं।
इसकी शुरूआत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से हुई थी और समापन 18वें दिन चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि पर व्रत का पारणा करके किया जाएगा। युवतियां मनपसंद पति की चाह में और सुहागिनें अपने पति की सुख-समृद्धि और अखंड सुहाग की कामना को लेकर गणगौर की पूजा कर रही हैं। बुधवार को गणगौर को पानी पिलाने की रस्म निभाई गई और गुरुवार को अंतिम पूजा की जाएगी। सत्ती बाजार, सदरबाजार, गुढि?ारी, पुरानी बस्ती के अनेक स्थानों पर रहने वाले राजस्थानी परिवारों के सदस्यों ने दूरी बनाए रखते हुए गणगौर को बारी बारी से पानी पिलाया। हर साल गणगौर को पानी पिलाने किसी कुएं या मंदिर से उपवासधारी युवतियां व महिलाएं मटके में पानी भरकर लाती थी लेकिन पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना महामारी के कारण उत्साह थोड़ा फीका रहा। गणगौर को बाहर ले जाने की जगह सभी रस्में घर पर ही निभाई जा रही है।
इसी के चलते व्रतधारी सुहागिनें इस बार घर पर ही पारणा करेंगी। हर साल 16 महिलाओं को भोजन करवाकर अखंड सुहाग के प्रतीक स्वरूप मेहंदी, काजल, कुमकुम, हल्दी समेत सौंदर्य सामग्री भेंट करने की परंपरा निभातीं थीं। इस साल अपने आसपास की महिलाओं को ही टिफिन में भोजन पहुंचाएंगी। किसी को घर में आमंत्रित नहीं किया जा रहा है।