पुत्रदा एकादशी का व्रत इतना महत्वपूर्ण क्यों है, क्या है इसका महत्व?

पुत्रदा एकादशी का व्रत इतना महत्वपूर्ण क्यों है, क्या है इसका महत्व?

 
नई दिल्ली     

व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का होता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है,हारमोन की समस्या भी ठीक होती है तथा मनोरोग दूर होते हैं.

पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति तथा संतान की समस्याओं के निवारण के लिए किया जाने वाला व्रत है. सावन की पुत्रदा एकादशी विशेष फलदायी मानी जाती है. इस उपवास को रखने से संतान सम्बंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है. इस बार सावन की पुत्रदा एकादशी 11 अगस्त यानी आज है.

क्या हैं इस व्रत को रखने के नियम ?

- यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है -निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत

- सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए

- अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए

- बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए

- संतान सम्बन्धी मनोकामनाओं के लिए इस एकादशी के दिन भगवान कृष्ण या श्री नारायण की उपासना करनी चाहिए


संतान की कामना के लिए क्या करें?

- प्रातः काल पति पत्नी संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की उपासना करें

- उन्हें पीले फल , पीले फूल , तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें

- इसके बाद संतान गोपाल मन्त्र का जाप करें

- मंत्र जाप के बाद पति पत्नी संयुक्त रूप से प्रसाद ग्रहण करें

- अगर इस दिन उपवास रखकर प्रक्रियाओं का पालन किया जाय तो ज्यादा अच्छा होगा

क्या है संतान गोपाल मंत्र?

- "ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते , देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम् गता"

- "ॐ क्लीं कृष्णाय नमः"