प्रदेश के 3,946 गांवों में आधे घर खंडहर
देहरादून
उत्तराखंड में पलायन की समस्या दिनों-दिन विकराल रूप धारण कर रही है, जिससे साल दर साल गांव के गांव वीरान हो रहे हैं। पिछले दस साल से हर दिन औसतन 33 लोग गांवों से जा रहे हैं। यह खुलासा खुद राज्य सरकार की रिपोर्ट में हुआ है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे जारी किया।
रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 3,946 गांव से लगभग 1,18,981 लोगों ने स्थाई रूप से पलायन कर लिया है। यहां लगभग आधे घर खंडहर हैं। वहीं 6338 गांव के तकरीबन 383726 लोग अस्थाई रूप से काम-धंधे और पढ़ाई-लिखाई के फेर में राज्य छोड़ने को मजबूर हुए। सबसे ज्यादा पलायन पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में हुआ है।
राज्य सरकार ने पिछले दिनों पलायन आयोग गठित किया था। इस आयोग ने 13 जिलों की 7950 ग्राम पंचायतों में सर्वे कराया था। इसके बाद पलायन पर रिपोर्ट तैयार हुई। रिपोर्ट के अनुसार 50% लोगों ने रोजगार, 15% ने शिक्षा के लिए और 8% ने चिकित्सा के लिए पलायन किया है। राज्य के 734 गांव पूरी तरह खाली हो चुके हैं। पलायन करने वालों में 70% लोग गांवों से गए तो वहीं 29% ने शहरों से पलायन किया है।
बेरोजगारी बड़ी वजह
उत्तराखंड के 13 जिलों में 5,31,174 पुरुष और 3,38,588 महिला बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं। इनमें ग्रैजुएट पुरुष बेरोजगार 1,08,248 और महिला ग्रैजुएट 1,11,521 हैं। जाने वालों में 42 फीसदी लोगों की उम्र 26 और 35 वर्ष की है। 25 साल से कम आयु के 28 फीसदी लोग गए हैं। यानी 70 फीसदी युवा राज्य से चले गए।
पलायन कहां से:
734 गांव पूरी तरह खाली
70 फीसदी गांवों से गए
29 फीसदी शहरों से
जाने की वजह:
50 फीसदी ने रोजगार के लिए घर छोड़ा
15 फीसदी ने शिक्षा के लिए
8 फीसदी ने इलाज कराने के लिए