बीजेपी-कांग्रेस की घोषणाओं और वादों में उलझी संस्कारधानी!

बीजेपी-कांग्रेस की घोषणाओं और वादों में उलझी संस्कारधानी!

जबलपुर 
मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर में इन दिनों बड़ी-बड़ी घोषणाएं सियासत का हिस्सा बनी हुई हैं. एक ओर जहां लोकसभा चुनाव पूर्व पांच साल पुरानी फ्लाईओवर योजना भूमिपूजन के इंतज़ार में है तो वहीं कांग्रेस अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम की सौगात शहर को देने का दावा कर रही है, लेकिन क्या ये दावे वाकई हकीकत हो पाएगी या सिर्फ चुनावी बातें हैं.

दरअसल, महाकौशल में अपनी साख बचाने में जुटे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह अपनी संसदीय सीट जबलपुर से फ्लाईओवर के सहारे लोकसभा का चुनाव पार करने की तैयारी मे दिख रहे हैं. जबकि कांग्रेस क्रिकेट के बाद अब फुटबॉल फुटबॉल स्टेडियम का तोहफा देने की तैयारी मे है. दोनो ही घोषणाएं जबलपुर के विकास के लिहाज़ से बेहद उपलब्धि भरी हो सकती हैं बशर्ते इनमें राजनीति हावी ना होने पाए.

शहर का सियासी इतिहास चुनाव पूर्व लॉलीपॉप घोषणाओं के लिए बदनाम रहा है. पिछले चुनाव में शहर को एक फ्लाईओवर की स्वीकृति मिली थी जिसे पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने स्वीकृत किया था लेकिन चुनाव बाद ये योजना फाइलों में सिमटकर रह गई. वहीं इस बार फिर फ्लाईओवर मामले में भूमिपूजन को लेकर विवाद गहराने लगा है.

जबलपुर में कांग्रेस द्वारा फुटबॉल स्टेंडियम की सौगात पर भाजपा प्रदेष अध्यक्ष राकेश सिंह ने निशाना साधा है और दलील दी कि जबलपुर को अब तक जो भी सौगातें मिली हैं वो एनडीए की ही देन है. जहां तक फ्लाईओवर की बात है तो 700 करोड़ की इस योजना की स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है.

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी भूमिपूजन के लिए आने भी तैयार हैं लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ से अब तक कोई स्वीकृति नहीं मिली है. ऐसे में फ्लाईओवर की सौगात शहर को चुनाव पूर्व मिल पाए इसका अनुमान कम ही लगा रहा है. दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा दो दिन पूर्व शहर को अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम की सौगात दे गए. उन्होंने जल्द इसके लिए भूमि चयन की बात भी कही है.

चुनाव नज़दीक है ऐसे में जबलपुर की जनता भाजपा के फ्लाईओवर के सहारे आगे बढ़े या कांग्रेस की फुटबॉल के साथ खेले ये उसे ही तय करना है. बहरहाल शहर के विकास के लिए अच्छा तब ही होगा जब दोनो घोषणाएं धरातल पर भी सही साबित हो.