मरीज़ों को बाहर से ख़रीदना पड़ती हैं दवाइयां, प्रशासन लैप्स कर रहा है बजट

मरीज़ों को बाहर से ख़रीदना पड़ती हैं दवाइयां, प्रशासन लैप्स कर रहा है बजट

भोपाल 
एमपी में सरकार शिवराज की हो या फिर कमलनाथ की, इससे सरकारी मशीनरी पर जरा भी फर्क नही पड़ रहा है. अफसरों का बेपरवाह रवैया हर सरकार में जारी है. इसकी बानगी ग्वालियर में देखने को मिल रही है, जहां अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल प्रबंधन की गलती से 19 करोड़ 62 लाख रूपए का बजट लेप्स हो गया. ये वो पैसा है, जिससे मरीजों की दवाओं से लेकर अलग-अलग व्यवस्था पर खर्च किया जाना था.

प्रशासन की लापरवाही- मध्य प्रदेश शासन ने साल 2018-19 में जयारोग्य चिकित्सालय समूह को अलग-अलग 8 मदों में मरीज़ और स्टाफ की सुविधा के लिए बजट दिया था. बजट लैप्स हुआ तो कमिश्नर बीएम शर्मा ने काम में लापरवाही बरतने जयारोग्य चिकित्सा समूह के प्रशासकीय अधिकारी अनिल सारस्वत और अधीक्षक डॉ. अशोक मिश्रा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा.

इस पर जवाब आया कि अस्पताल का बजट लैप्स नही हुआ है, बल्कि पोर्टल में टेक्निकल फॉल्ट होने के कारण और वित्तीय वर्ष खत्म होने के कारण सरेंडर किया गया है. मरीजों के लिए बाजार से दवाएं लाने के लिए मजबूर करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.