श्रावण मास की पहली सवारी नए द्वार से निकलेगी नगर भ्रमण के लिए

उज्जैन
श्रावण मास की शुरुआत 25 जुलाई से हो रही है। परंपरा अनुसार 26 जुलाई सोमवार को श्रावण मास में भगवान महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। बताया जाता है कि इस बार भी सवारी के इतिहास में नया अध्याय जुड़ सकता है। वजह मंदिर के आसपास चल रहे निर्माण कार्य के कारण पारंपरिक मुख्य द्वार से पालकी बाहर निकालना संभव नहीं है, इसलिए अधिकारी नए द्वार से पालकी निकालने पर विचार कर रहे हैं। बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन ने पारंपरिक मार्ग की बजाय नए छोटे मार्ग से भगवान महाकाल की सवारी निकाली थी। इस बार भी रूट छोटा होगा।
पारंपरिक शहनाई द्वार पर यह परेशानी
प्रदेश शासन व मंदिर समिति द्वारा करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से मंदिर के आसपास सुंदरीकरण व विकास कार्य कराए जा रहे हैं। मंदिर के पारंपरिक शहनाई प्रवेश द्वार के सामने खोदाई चल रही है। इस मार्ग से आवागमन पूर्णत: बंद है। ऐसे में इस द्वार से पालकी बाहर निकालना संभव नजर नहीं आ रहा है। अगर मंदिर समिति को परंपरा कायम रखना है, तो खोदाई स्थल पर अस्थायी रैंप का निर्माण कराना पड़ सकता है। बता दें कि वर्ष 2020 तक भगवान महाकाल की पालकी इसी द्वार से नगर भ्रमण के लिए निकलती रही है।
इस गेट से पालकी निकालने निकालने की चर्चा
सूत्र बताते हैं कि अफसरों की योजना है कि सभा मंडप में परंपरागत पूजन के पश्चात भगवान महाकाल की पालकी को परिसर में लाया जाएगा। यहां से ओंकारेश्वर मंदिर के पास से पालकी देवास धर्मशाला के यहां बनाए गए नए रैंप से प्रवचन हाल परिसर में आएगी और वीआइपी गेट के रास्ते वाले द्वार से बाहर निकलेगी। यहां सशस्त्र बल की टुकड़ी अवंतिकानाथ को सलामी देगी और कारवां विक्रम टीले के पास से सीधे शिप्रा तट की ओर रवाना होगा।