हर इच्छा होगी पूरी, बस दिया जलाते समय रखें इन बातों का ध्यान!
भगवान की पूजा-अर्चना करते समय दीप प्रज्वलित करने का एक एक अलग ही धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि बिना दीप जलाए भगवान की पूजा करने से पूरा फल नहीं मिलता है. जलता हुआ दीपक प्रतीक है अंधकार में उम्मीद की रौशनी का अर्थात जब जीवन में घोर अंधकार हो तो भी उम्मीद का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. आइए जानते हैं किस प्रकार का दीपक भगवान की पूजा के लिए सबसे सही होता है और किस दिशा में दीपक जलाने से मन मुताबिक परिणाम प्राप्त होते हैं:
पूजा में लोग ज़्यादातर पीतल का दीपक जलाते हैं. यह धातु काफी पवित्र मानी जाती है इसलिए पूजा में इसका प्रयोग होता है. कई बार लोग पूजा में मिट्टी, आटा, तांबा, चांदी, लोहे और सोने से बना दिया भी इस्तेमाल करते हैं. लेकिन मूंग, चावल, गेहूं, उड़द और ज्वार को पीसकर इसके आटे से बनाया गया दिया भगवान की पूजा के लिए सबसे ठीक होता है. पूजा से पहले इस बात की तसदीक कर लेनी चाहिए कि दिया अच्छे से साफ़ है या नहीं.
ब्रम्हवर्तक पुराण, देवी पुराण, उपनिषदों तथा वेदों में में इस बात का जिक्र है कि पूजा के समय गाय के देसी घी और तिल के तेल का ही इस्तेमाल करना शुभ माना गया है. पूजा करते समय घी का दिया अपने दायीं तरफ और तिल के तेल का दिया बायीं तरफ स्थापित करना चाहिए. दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवाह बना रहता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर भागती है.
शुभ काम शुरू करने से पहले करें ये
कोई भी मांगलिक कार्य शुरू करने से पहले दिया जलाते वक्त इस मंत्र का पाठ करना शुभ होता है- दीपज्योति: परब्रह्म:! दीपज्योति: जनार्दन:! दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नमोस्तुते...! शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां! शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति...!
दिए में रक्षासूत्र (मौली) की बाती बनाकर जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. मान्यता है कि ऐसी बाती का दिया जलाने पर जीवन खुशहाली से भर जाता है और यश और धन जातक के पास आकर्षित होते हैं. लेकिन इसके साथ ही सच्चे मन की पूजा ही इसे प्रभावी कर सकती है.