इस मानसून छत से बुझेगी धरती की प्यास, हर घर बचाएगा एक लाख लीटर पानी
इंदौर
इस मानसून में इंदौर के एक हजार घरों से 10 करोड़ लीटर पानी इकट्ठा कर जमीन में डाला जाएगा। यानी एक घर से एक लाख लीटर पानी की बचत। यही नहीं, इन परिवारों को खर्चीले रूफ वाटर हार्वेस्टिंग से भी निजात दिलाने की योजना तैयार है। बूंद-बूंद बचाने की योजना के तहत निगम एनजीओ और एक उद्योग के साथ मिलकर काम कर रहा है। जिससे वाटर हार्वेस्टिंग का सिस्टम लगाने वाले परिवारों को सिर्फ पाइप और प्लंबर का खर्च ही देना होगा। शहर में पहली बार घर-घर पानी बचाने का यह अभियान शुरू हुआ है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार इंदौर देश के उन शहरों में शामिल है, जहां भूजल स्तर को खतरा है। यानी जितना पानी जमीन से लिया जा रहा है उतना लौटाया नहीं जा रहा है। इस वजह से 2020 से आने वाले कुछ सालों में ही भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ेगा। इधर, आलम यह है कि रूफ वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य होने के बावजूद रहवासी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
नियमानुसार नगरीय क्षेत्र में कोई भी इमारत बनाने के पहले निगम की अनुमति ने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सिक्यूरिटी डिपॉजिट करना पड़ता है। प्रदेश में इंदौर नगर निगम सिक्यूरिटी डिपॉजिट में सबसे आगे है। यहां करीब 100 करोड़ रुपए से ज्यादा जमा हैं लेकिन 1 फीसदी मकानों में भी पानी बचाने के लिए सिस्टम नहीं लगे हैं। इसीलिए निगम ने विशेष योजना बनाकर जलसंरक्षण पर काम शुरू किया।
अब मानसून के मौसम में छत का पानी जमीन में उतारा जा सकता है। इसके लिए 1 हजार घरों को चिन्हित कर वहां अनिवार्य रूप से सिस्टम लगाया जा रहा है। अब मकान मालिक को सिर्फ 3-4 हजार रुपए ही खर्च करने होंगे। इसमें पाइप व प्लंबर का खर्च मकान मालिक करेंगे व फिल्टर मोयरा स्टील्स अपने सीएसआर प्रोग्राम के तहत निशुल्क उपलब्ध करवाएगा।
योजना के अनुसार इस मानसून सत्र में 10 करोड़ लीटर पानी यानी 100 एमएलडी पानी बचाने की तैयारी है। एक घर से 1 लाख लीटर पानी का बचाव होगा, वहीं 1 हजार घरों से 10 करोड़ लीटर बचेगा। इसके लिए जलसंकट वाले क्षेत्रों में जाकर उन्हें जलसंरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि करीब 4 हजार रुपए कीमत का फिल्टर उन्हें कंपनी द्वारा भेंट किया जाएगा जबकि पाइप और इसे लगाने में आने वाला प्लंबर का खर्च संबधित परिवार को उठाना पड़ेगा।
पहले चरण में बड़ी इमारतें
सीएसआर कार्यक्रम के तहत काम कर रही कंपनी के जनरल मैनेजर रोहन झाझरिया ने बताया कि हम नगर निगम व एनजीओ के साथ मिलकर जल संरक्षण का काम शुरू कर रहे हैं। पहले 1 हजार घरों में सिस्टम लगाकर योजना शुरू की जा रही है। पहले चरण में सोसायटी को लिया जा रहा है जहां इमारतों में सिस्टम लगेंगे, इसके बाद निजी घरों में सिस्टम लगाए जाएंगे। सिस्टम लगवाने वाले को टैक्स में छूट दी जाएगी और नहीं लगवाने वालों पर जुर्माने का प्रावधान रहेगा।
जहां ज्यादा संकट वहां प्राथमिकता
शहर में सर्वाधिक जलसंकट वाले क्षेत्रों में प्राथमिकता पर सिस्टम लगाने की तैयारी है। इस प्रोग्राम में तकनीकी सहयोग कर रहे नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट के सुरेश एमजी ने बताया कि पहले राऊ में सिलीकॉन सिटी, खंडवा रोड पर श्रीयंत्र नगर सहित बिलावली तालाब की आसपास की कॉलोनियों को चिन्हित किया गया है। यहां के परिवारों से संपर्क कर उन्हें जलबचाव के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
जागरूकता ला रहे एनजीओ
नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट के सुरेश एमजी ने बताया कि शहर के प्रति हम जल संरक्षण के लिए प्रशासन की सहायता कर रहे हैं। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में तकनीकी मदद व जागरूकता के संबंध में काम कर रहे हैं।
यह है नियम
प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में वर्ष 2009 के बाद बिल्डिंग परमिशन के लिए 140 वर्गमीटर से बड़े साइज के प्लॉट पर मकान बनाने पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य है। नगर निगम वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सिक्यूरिटी डिपॉजिट जमा करवाने के बाद ही बिल्डिंग परमिशन जारी करता है। यह राशि सिस्टम लगने के बाद लौटा दी जाती है।