कांग्रेस प्रत्याशी के तीन हमनाम प्रतापपुर में खड़ी कर सकते हैं मुसीबत

कांग्रेस प्रत्याशी के तीन हमनाम प्रतापपुर में खड़ी कर सकते हैं मुसीबत

प्रतापपुर 
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में नामांकन दाखिल करने के बाद चुनावी चक्रम का दौर जारी है. जिले की आरक्षित सीट प्रतापपुर में कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमसाय सिंह को अब मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े अपने तीन हमनाम (एक ही तरह का नाम रखने वाला) प्रत्याशियों का सामना करना पड़ेगा, जो शायद कांग्रेस प्रत्याशी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं.

बता दें कि सूरजपुर में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन जमा करने के बाद स्क्रूटनी का दौर भी खत्म हो चुका है. इस दौरान जिले की प्रेमनगर विधानसभा में 15 नामांकन में से 5 रिजेक्ट हुए हैं और भटगांव विधानसभा में 26 नामांकन में से 1 का नामांकन निरस्त हुआ है. वहीं प्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में भी 20 नामांकन में से 1 नामांकन रिजेक्ट हुआ है. मामले की जानकारी डिप्टी कलेक्टर रवि सिंह ने दी.

डिप्टी कलेक्टर रवि सिंह ने कहा कि प्रतापपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमसाय सिंह खड़े हैं, तो वहीं इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में तीन और प्रेमसाय ने नामांकन जमा कर चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है. बहरहाल, दूसरी तरफ बीजेपी के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा भी प्रतापपुर से खड़े हैं, जो कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनौती बनती नजर आ रही है.

लिहाजा, सूरजपुर का आरक्षित सीट प्रतापपुर विधानसभा इस बार कई कारणों से सुर्खियों में है, जहां प्रदेश के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा यहां से दूसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वहीं पिछली विधानसभा चुनाव में रामसेवक पैकरा से शिकस्त पाने के बाद दोबारा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में डॉ. प्रेमसाय सिंह खड़े हुए हैं. हालांकि इस बार बीजेपी के साथ ही तीन हमनाम उम्मीदवार भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं.

इसे लेकर कांग्रेस के भटगांव प्रत्याशी पारसनाथ राजवाड़े का कहना है कि यह विपक्षियों की चाल है. ताकि मतदाताओं को भ्रमित वे कर सके, लेकिन मतदाता कांग्रेस पार्टी के सिंबल को पहचानती है. वहीं प्रतापपुर प्रत्याशी प्रेमसाय सिंह ने बीजेपी पर जनता को परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस बार आम जनता प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाएगी.

बहरहाल, एक ही नाम के चार उम्मीदवारों को समझने में शायद नगरीय क्षेत्रों के मतदाताओं को परेशानी न हो, लेकिन ग्रामीण अंचलों में मतदाताओं को समझाने में शायद कांग्रेस के प्रत्याशी को पसीना बहाना पड़ सकता है.