ठंड के मौसम में अधिक होती है पेट की समस्याएं, ऐसे करें बचाव

ठंड के मौसम में अधिक होती है पेट की समस्याएं, ऐसे करें बचाव

विशेषज्ञ बताते हैं कि ठंड के मौसम में पाचन तंत्र अपेक्षाकृत अधिक बेहतर तरीके से काम करता है। इसके बावजूद खाने-पीने में कुछ गड़बड़ियों के कारण इस मौसम में पेट की समस्याएं सामने आती हैं। एक स्वस्थ पेट समग्र स्वास्थ्य की नीव है। एक व्यक्ति की खानपान की आदतें उसके पाचन तंत्र का स्वास्थ्य निर्धारित करती हैं। जाड़े के मौसम में अकसर लोग जरूरत से अधिक खा जाते हैं और खानपान की गलत आदतें आपके पाचन तंत्र पर अतिरिक्त बोझ डालती हैं। जाड़े के मौसम को लजीज व्यंजनों के लिए जाना जाता है, जो विभिन्न रेस्तरां और ठेले पर मिलती हैं। कम तापमान बैक्टीरिया की वृद्धि की गति घटा देता है और खाने-पीने की चीजें ज्यादा देर तक ताजी बनी रहती हंै। इसका यह कतई मतलब नहीं है कि इस मौसम में सड़क पर खुले में बेची जा रही चीजें खाने के लिहाज से स्वास्थ्यप्रद होंगी। पकाने की सामग्री और तरीके, खाना स्टोर करने की व्यवस्था किसी भी खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता तय करती हैं। ज्यादातर स्ट्रीट वेंडर अच्छी गुणवत्ता के खाद्य तेल का उपयोग नहीं करते। इसके अलावा, वे तेल को बार-बार खौलाते हैं, जिससे खाने की गुणवत्ता गिरती है।
जाड़े का मौसम और बीमारी
जाड़े में शरीर को खुद को गर्म रखने के लिए अतिरिक्त कैलरी की जरूरत पड़ती है। अतिरिक्त कैलरी की मांग से पाचन तंत्र सक्रिय स्थिति में आ जाता है और लोगों को अधिक भूख महसूस होती है। अधिक मात्रा में भोजन करना पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव डालता है और पाचन धीमा कर देता है। यही मुख्य वजह है, जिससे लोगों को जाड़े के मौसम में अकसर सीने में जलन होती है।
पाचन तंत्र पर प्रभाव
आप जिस प्रकार की चीजें खाते हैं, आपका पाचन तंत्र उसी प्रकार से प्रतिक्रिया करता है। गलत ढंग की चीजें अकसर या तो पेट गड़बड़ कर देती हैं या फिर कब्ज पैदा कर देती हैं। अधिक वसा और चीनी युक्त चीजें खाने से वजन बढ़ता है। एक समय बाद वजन बढ़ने से पेट की समस्याएं होंगी। वसा पाचन तंत्र को सुस्त कर सेहत को नुकसान पहुंचाती है।
रेशे युक्त भोजन
जाड़े का मौसम रेशे से भरपूर कई चीजें अपने साथ लाता है, लेकिन ज्यादातर लोगों का इनके प्रति झुकाव नहीं होता। कुछ लोग मांसाहारी भोजन को अधिक पसंद करने लगते हैं। रेशे युक्त चीजों का सेवन कम करने से भी पेट की दिक्कतें आती हैं। कम फाइबर युक्त भोजन से पाचन धीमा होता है और कब्ज की समस्या पैदा होती है।
पानी की खपत
गर्मियों में हम हल्का भोजन लेते हैं और पर्याप्त पानी पीते हैं। पानी एक स्वस्थ पाचन तंत्र बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसके उलट जाड़े के मौसम में पानी की खपत काफी कम रहती है और तरल चीजों में चाय और कॉफी अधिक शामिल होती हैं, जिससे गैस की समस्या पैदा होती है।
अल्कोहल के प्रति झुकाव
अल्कोहल और ठंड को लेकर सबसे बड़ी भ्रांति यह है कि यह शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। हालांकि अल्कोहल का सेवन आपके शरीर का तापमान घटा देता है, जिससे फूड रिफ्लक्स होता है। इसमें खाया हुआ भोजन ऊपर की ओर आने का अहसास होता है। ऐसी चीजों में चॉकलेट और अम्लीय भोजन भी शामिल हैं।
घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता
जाड़े में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है, जिस कारण लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए च्यवनप्राश और अदरक व तुलसी की चाय पीते हैं। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता का मतलब है कि रोगाणु आपके ऊपर आसानी से हमला कर सकते हैं।
अनदेखी करने से बढ़ सकती है समस्या
यदि आप दी गई सलाहों को अपनाने से चूकते हैं और पेट की समस्याओं से ग्रसित होते हैं तो आपको डॉक्टर की ही सहायता लेनी पड़ेगी। खासकर सीने में जलन और डायरिया जैसी समस्याओं से बचाव के लिए जरूरी दवाओं की जानकारी रखें।
साफ-सफाई का रखें खास ध्यान
जाड़े के मौसम में खाने-पीने की चीजें आपको लुभा सकती हैं। ऐसे में आप वसा से भरपूर चीजें खाएंगे। पर मात्रा का ध्यान रखें, क्योंकि मात्रा का ध्यान रखने से पेट की समस्याएं रोकने में मदद मिल सकती है। जाड़े के दिनों में पार्टियां भी खूब होती हैं, जो नववर्ष के आयोजन तक चलती हैं। यदि आप कई सारी पार्टियों में शरीक हो रहे हैं तो यह सुनिश्चित करें कि दिन का भोजन हल्का और रेशेयुक्त चीजों से भरपूर रहे, ताकि वह पार्टी के खाने की भरपाई कर सके।  खूब चबा-चबाकर धीरे-धीरे खाना और रात्रि के भोजन के बाद हल्की-फुल्की चहलकदमी करना पूरे साल जरूरी है। इन दोनों आदतों से पाचन को दुरुस्त रखने में मदद मिलती है। अल्कोहल और चॉकलेट को मोटापा लाने वाली चीजों के तौर पर जाना जाता है और ये जाड़े के त्योहारी सीजन में हर जगह खाने को मिल जाती हैं। स्वस्थ रहने के लिए इनका सीमित उपयोग करने में ही समझदारी है। अपने पाचन तंत्र के बारे में जानना पेट से जुड़ी समस्याओं को रोकने में काफी मददगार साबित होता है। हर किसी का शरीर अलग होता है और अलग-अलग खाने की किस्मों के मुताबिक प्रतिक्रिया करता है। आपकी उम्र बढ़ने के साथ भी आपका शरीर अलग-अलग भोजन पर अलग प्रतिक्रिया करता है। जब आपको पेट की दिक्कत हो तो आप जो कुछ भी खाएं, उसका लेखा-जोखा रखें। यदि आपको कोई चीज खाने से दोबारा समस्या हो तो उसे अपने भोजन से निकाल दें और ऐसी चीजों के प्रति सावधानी बरतें। उदर ज्वर वास्तव में कोई ज्वर नहीं है, बल्कि यह आंत का संक्रमण है और यह अकसर दूषित भोजन या दूषित पानी पीने से होता है। इसके लक्षणों में दस्त होना, पेट में मरोड़, मिचली और बुखार आना शामिल है। चूंकि वायरल गैस्ट्रोएन्टराइटिस का कोई प्रभावी इलाज नहीं है, इसलिए इससे बचाव ही महत्वपूर्ण है। खाने से पहले हर बार अपने हाथों को धोएं और खानपान की स्वस्थ आदतें डालें। बाहर खाना खाने जा रहे हैं तो यह सुनिश्चित करें कि जहां खाने आप जा रहे हैं, वहां साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता हो और खाद्य सुरक्षा के नियमों का पालन भी किया जाता हो। जहां साफ-सफाई न हो, वहां बिल्कुल भी न खाएं।