यात्री वाहनों में ढोए जा रहे हैं रसोई गैस के सिलेंडर

यात्री वाहनों में ढोए जा रहे हैं रसोई गैस के सिलेंडर

भभुआ
कैमूर जिले के यात्री वाहनों में रसोई गैस सिलेंडर ढोया जा रहा है। इससे बड़े हादसे की आशंका जतायी जा रही है। लेकिन, इसके प्रति वाहन ऑपरेटर व स्टॉफ बेफिक्र बने हुए हैं। परिवाहन विभाग के अधिकारियों की भी नजरें इस ओर नहीं पहुंच पा रही है। इसी कारण वाहन कर्मी बड़े हादसे को खुद न्योता दे रहे हैं। किसी वाहन पर स्टॉफ की स्वीकृति के बाद तो किसी वाहन में यात्रियों के दबाव में गैस भरे सिलेंडर ढोए जा रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि ऐसे सिलेंडर को यात्रियों की सीट के पास या फिर बस के केबिन में रखा जा रहा है।

बताया गया है कि शादी-विवाह के दिनों में बस, टेकर, जीप, टेम्पो आदि यात्री वाहनों से गैस सिलेंडर ज्यादातर पर ढोए जाते हैं। आमजन अपनी जरूरतें पूरी करने और स्टॉफ रुपयों के चंद सिक्कों की खातिर ऐसा कर रहे हैं। भीषण गर्मी के बीच ऐसे कार्य को करना खतरनाक है। शहर में तो कई ऑटो रिक्शा छोटे गैस सिलेंडर से चलाए जा रहे हैं। इससे भी खतरे की आशंका रहती है। लेकिन, अधिकांश यात्रियों की नजर सिलेंडर पर इसलिए नहीं पड़ती क्योंकि उसे ड्राइवर सीट के नीचे फीट किया रहता है।

कॉमशिर्यल अथवा घरेलू एलपीजी सिलेंडर से रिफलिंग का धंधा भी यहां जोरशोर से चल रहा है। हालांकि ऐसा कारोबार करना गैर कानूनी है। इससे भी आग लगने की आशंका बनी रहती है। एलपीजी स्टेशन पर ही गैस भरवाने का नियम है। रिफलिंग का सही तरीका पंप पर ही होता है। जब क्षेत्र में कोई पंप नहीं है तो किसी सिलेंडर या वाहन में अवैध तरीके से गैस रिफलिंग करना या कराना खतरनाक और नियम के खिलाफ है। ग्रामीण क्षेत्र में लोग गैस कनेक्शन तो ले लेते हैं, लेकिन नियमित रूप से गैस चूल्हा पर भोजन पकाने के बजाय पुराने तौर तरीके ही अपनाते हैं।

केंद्रीय उज्जवला योजना के तहत जिले के अधिकांश घरों में रसोई गैस का कनेक्शन लिया गया है। जो लोग इस योजना का लाभ लेने से वंचित हैं उन्हें भी कनेक्शन देने का प्रयास किया जा रहा है। शादी-विवाह के मौके पर गैस भरे सिलेंडर की आवश्यकता बढ़ जाती है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लोग अपने रिश्तेदारों के घर से रसोई गैस के सिलेंडर मंगवाते हैं। लाने का कोई साधन नहीं होने की वजह से वह वाहन पर लादकर गंतव्य स्थानों पर ले जाते हैं, जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है।

घरेलू एलपीजी गैस का प्रयोग फुटपॉथ दुकानदार भी खूब कर रहे हैं। बड़ी दुकानों में भी इसका उपयोग हो रहा है। शहर के समाहरणालय पथ में मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल के पास ठेला पर लगी एक नाश्ते की दुकान में रखे गैस सिलेंडर में तीन माह पहले आग लग गई थी। तब बाजार में भगदड़ मच गई थी और दुकानें बंद होने लगी। स्थानीय लोगों द्वारा काफी मशक्कत करने के बाद इसपर काबू पाया गया था। तत्कालीन एसडीओ अनुपमा सिंह ने छापेमारी अभियान के दौरान गैस रिफलिंग करनेवाले दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की थी और एलजीपी गैस का उपयोग करनेवाले दुकानदारों को चेताया था। लेकिन, लोग गैरकानूनी कार्य से अभी अपने को अलग नहीं कर सके हैं।

यात्री वाहनों से गैस सिलेंडर ढोने पर रोक लगाने संबंधी निर्देश जिलाधिकारी द्वारा पिछली बैठक में दिया गया है। इसके लिए एसडीओ व स्थानीय पदाधिकारियों को भी जिम्मेदारी दी गई है।