100 Cr लेकर भी नहीं दिए फ्लैट, बिल्डर अरेस्ट

100 Cr लेकर भी नहीं दिए फ्लैट, बिल्डर अरेस्ट

नोएडा
अपना आशियाना पाने के लिए बिल्डरों के हाथों जीवन भर की पूंजी गंवा चुके बायर्स का दबाव धीरे-धीरे रंग ला रहा है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने नोएडा सेक्टर 107 में लोटस 300 नाम से लॉन्च प्रॉजेक्ट के बायर्स की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत पर बिल्डर ग्रुप के तीन डायरेक्टर सुरप्रीत सिंह, विदुर भारद्वाज और निर्मल सिंह को गिरफ्तार किया है। इससे पहले पिछले एक साल में पुलिस 11 बिल्डरों को जेल भेज चुकी है। इनमें से दो जमानत के बाद से फरार हैं।

आरोप है कि इन्होंने नोएडा सेक्टर 107 में वर्ष 2010 में लोटस 300 नाम से सुपर लग्जरी फ्लैटों का प्रॉजेक्ट लॉन्च किया था। वादा किया कि फ्लैट 39 महीने में मिल जाएंगे, लेकिन अब तक नहीं दिए। बायर्स से करीब 100 करोड़ रुपये वसूले, लेकिन दूसरी जगह लगा दिया। सुरप्रीत सिंह, विदुर भारद्वाज और निर्मल सिंह कंपनी में डायरेक्टर थे। दिल्ली के पॉश इलाके पंचशील विहार, सैनिक फार्म और ग्रेटर कैलाश में रहते हैं। इनमें निर्मल आईआईटी ग्रैजुएट है। इनकी कंपनी ने 9 प्रॉजेक्ट लॉन्च किए। सभी में फ्लैट बुक हुए लेकिन 2014 के बाद से बिल्डर की किसी भी साइट पर कोई काम नहीं हो रहा है। ये बायर्स ने 24 मार्च को धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश जैसे आरोपों में FIR दर्ज कराई थी।

बढ़ा जा रहा है दबाव
पुलिस के मुताबिक, बायर्स का पैसा लेकर फरार हो जाने पर प्रीमिया ग्रुप का मैनेजर अमित सोमाल पहले ही अरेस्ट हो चुका था, जबकि कंपनी की एचआर मैनेजर नताशा राजपूत को नोएडा क्राइम ब्रांच ने कनाडा से वापसी पर इंदिरा गांधी हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया। अर्थ इंफ्राटेक ग्रुप के डायरेक्टर अवधेश कुमार गोयल, अतुल गुप्ता, रजनीश मित्तल और विकास गुप्ता तिहाड़ जेल में बंद हैं। इसी ग्रुप में वाइस प्रेजिडेंट अमित सतीजा और डायरेक्टर मुकुल गर्ग को नोएडा क्राइम ब्रांच ने दबोचा था। ये दोनों लुक्सर जेल में बंद हैं। वहीं मैनेजर बुशरा आलम और निशांत अरोड़ा गिरफ्तारी के बाद जमानत मिलने पर फरार हो गए। इसी ग्रुप का डायरेक्टर रत्न विजयवर्गीय फिलहाल फरार है। पुलिस इन तीनों की तलाश कर रही है। जीबीजी ग्रुप के मालिक संजय कसाना को सेक्टर 63 से अरेस्ट किया गया था। क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक, आम्रपाली ग्रुप, जेपी, अर्थ, प्रीमिया, शुभकामना और एयरविल समेत कई बिल्डर ग्रुपों के खिलाफ विभिन्न थानों में केस दर्ज है। एसपी क्राइम अशोक कुमार सिंह के मुताबिक पुलिस पीड़ितों को बुलाकर उनके बयान दर्ज कर रही है और लापता हो चुके आरोपित बिल्डरों की तलाश में छापेमारी कर रही है।

'25% बिल्डर पैसे लेकर गायब'
नेफोवा की महासचिव श्वेता भारती बताती हैं कि नोएडा- ग्रेटर नोएडा में करीब डेढ़ लाख बायर्स फ्रॉड में फंसे हुए हैं। बिल्डरों ने लुभावने सपने दिखाकर फ्लैट देने के नाम पर उनसे जिंदगीभर की पूंजी छीनी और उसके बाद टाल मटोल करने लगे। पूरे जिले में लोगों से बुकिंग करने वाले करीब 25 पर्सेंट बिल्डर बायर्स से पैसा लेने के बाद गायब हो गए। वहीं, 50 पर्सेंट ने पैसे लेने के बाद मुखौटा कंपनियों में डायवर्ट कर दिया और बायर्स को बेवकूफ बनाने के लिए प्रॉजेक्टों पर थोड़ा- थोड़ा काम करवाते रहे। शेष बचे केवल 25 पर्सेंट बिल्डर ही ऐसे हैं, जिनके प्रॉजेक्टों पर सही ढंग से काम कर रहे हैं। इन हजारों बायर्स को इंसाफ दिलवाने की मांग को लेकर 14 दिसंबर को दिल्ली में संसद पर प्रदर्शन करने की तैयारी की जा रही है।

'पैसे लेकर कंपनी से अलग हो गए थे डायरेक्टर्स'
नोएडा और आसपास के इलाकों में 2007 में 3सी कंपनी के लोटस नाम से लॉन्च होने वाले प्रॉजेक्टों पर बायर्स का बहुत विश्वास था। इस ग्रुप के रियल एस्टेट में एंट्री के एक दशक के बाद ही बायर्स का विश्वास पूरी तरह से टूट गया। साल 2014 के बाद से बिल्डर की किसी साइट पर कोई काम नहीं हो रहा है। धीरे धीरे कर कंपनी के पार्टनर भी अलग होते गए। इसके साथ ही बायर्स के सपने भी टूटने लगे। बायर्स अपने घर के लिए अदालत और अन्य महकमों के चक्कर लगा रहे हैं। आरोप है कि बिल्डरों ने एक प्रॉजेक्ट लॉन्च कर वहां से पैसे लिए और उसे दूसरे प्रॉजेक्ट में लगा दिया।