15 दिन पहले सुझाव लें और फिर बैठक में सुझावों पर चर्चा कर फैसले लें : कमल नाथ

भोपाल
चुनाव के नजदीक आते ही कमलनाथ सरकार एक्शन मोड में आ गए है और एक के बाद एक बैठके कर प्रदेश की स्थितियों का जायजा ले रही है। छह साल बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अनुसूचित जाति सलाहकार मंडल की बैठक की और नाराजगी जताते हुए कहा पिछली सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में मंडल की बैठक आयोजित नहीं की। लेकिन अब ऐसा न हो। यह बैठक चाय, नाश्ता, कॉफी तक सीमित न रहे। संविधान में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए जो प्रावधान और अधिकार हैं, सभी शासकीय विभागों में उनका सख्ती से पालन किया जाए। सलाहकार मंडल सार्थक हो और इसके जरिए अनुसूचित जाति वर्ग को लाभ पहुंचना सुनिश्चित हो। सदस्यों को बैठक की सूचना एक माह पहले दें, 15 दिन पहले सुझाव लें और फिर बैठक में सुझावों पर चर्चा कर फैसले लिए जाएं।
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि सरकार की मंशा है कि यह बैठक नियमित रूप से हो। इसके सुझाव और सलाह पर अनुसूचित जाति वर्ग के हित में निर्णय हों। मुख्यमंत्री ने ना सिर्फ बैठक बुलाई बल्कि समय-समय पर बैठक आयोजित करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए हैं। विभागीय समीक्षा के दौरान उनके ध्यान में यह बात आई कि वर्ष 2013 से अनुसूचित जाति सलाहकार मंडल की कोई बैठक नहीं हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक गंभीर चूक थी और आगे ऐसा न हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आज की बैठक में सलाहकार मंडल की भूमिका और उसकी सार्थकता के साथ एक ऐसी व्यवस्था बने, जो अनुसूचित जाति के अधिकारों की रक्षा कर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान, कानून और अनुसूचित जाति वर्ग के हितों का संरक्षण करने वाली योजनाओं का सख्ती से पालन हो। श्री कमल नाथ ने कहा कि अनुसूचित वर्गों को लाभ पहुंचाने में हम कहाँ असफल हो रहे हैं, इसके सुझाव भी मिलें, ताकि उन कमियों को दूर किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि हमारी योजनाओं की क्रियान्वयन प्रक्रिया ठीक नहीं है। इसमें व्यापक सुधार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सलाहकार मंडल के सिस्टम में बदलाव होना चाहिए। बैठक के पूर्व सदस्यों के सुझाव प्राप्त किए जाएं। इन सुझावों पर संबंधित विभागों की टीप के साथ बैठक में चर्चा हो, जिससे उन पर निर्णय लिया जा सकें।