2 दिन भी नहीं चला प्रोफेसर का आतंकी सफर, आखिरी बार पिता को फोन कर कहा-सॉरी

श्रीनगर

कश्मीर विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर मोहम्मद रफी भट की जिंदगी आतंक की राह पर चंद कदम चलकर खत्म हो गई। जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए पांच आतंकवादियों में वह भी शामिल था। आतंकी वारदात में भट की भागीदारी शुक्रवार की शाम से शुरू हुई और रविवार रात शोपियां के बडीगाम में सुरक्षा बलों की घेराबंदी में उसके इस नापाक सफर का अंत हो गया। 

समाजशास्त्र का सहायक प्रोफेसर था रफी
मध्य कश्मीर के गंदेरबल जिले के चुनडिना इलाके का निवासी भट विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग में अनुबंध पर सहायक प्रोफेसर था। शुक्रवार को दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद से वह लापता था। उस दिन अंतिम बार उसकी अपनी मां से बातचीत हुई थी लेकिन उसने अपने मंसूबों के बारे में नहीं बताया। वर्ष 2016 में हिज्बुल मुजाहिद्दीन कमांडर वुरहान वानी की मौत के बाद आतंकवाद की राह पर जाने वाले कई नौजवानों की उम्र बेहद कम रही और उनमें से कई एक पखवाड़े के भीतर ही मारे गए।

भट के परिवारवालों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को शनिवार सुबह उसके लापता होने के बारे में बताया जिसके बाद उसकी गैर मौजूदगी को लेकर विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन भी हुए। विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रदर्शनकारी छात्रों से मुलाकात की और उन्हें आश्वस्त किया कि लापता प्रोफेसर की तलाश के लिए तमाम प्रयास किए जाएंगे।  बहरहाल, दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के जैनापुरा इलाके के बडीगाम गांव में मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों में भट भी शामिल था।

पिता को की आखिरी कॉल
रफी भट्ट ने मुठभेड़ से कुछ समय पहले रविवार सुबह अपने पिता को फोन कर कहा कि अगर उसने उन्हें दुख पहुंचाया है तो वह माफी चाहता है।  रफी ने फयाज अहमद भट्ट को आखिरी बार फोन किया था। फयाज ने पुलिस को बताया कि वह आज सुबह जगे ही थे कि उनका फोन बजा। यह फोन उनके सामाजशास्त्री बेटे रफी का था। रफी ने अपने पिता से कहा, ‘‘ अगर मैंने आपको दुख पहुंचाया है तो उसके लिए मैं माफी मांगता हूं। ’’ इसके बाद उसके मुठभेड़ में मारे जाने की खबर मिली। जम्मू- कश्मीर पुलिस ने एक पुलिस दल भेजकर फयाज और उनके परिवार को रफी को आत्मसमर्पण के लिए मनाने को कहा। फयाज उनकी पत्नी और बेटी बोटा कदाल स्थित मुठभेड़ स्थल पर पहुंचे ही थे कि उन्हें रफी की मौत की खबर मिली।