30 नवंबर को है भैरव जयंती, कष्ट से मुक्ति और संकट के निदान में फलदायी है भैरव साधना

हिंदू धर्म में भैरव जी की विशिष्टता प्राचीन समय से कायम है। देश के प्राय: सभी क्षेत्रों में श्री भैरव की पूजा होती है। भैरव देवीतीर्थ में हैं, तो शिवधाम में भी हैं। भैरव बड़े-बड़े राजप्रासादों, चौक-चौराहे व नगर प्रवेश द्वार पर हैं। वहीं हरेक गांव-टोले में विराजमान सप्तमातृका देवी स्थान में भी भैरव की पूजा पिंडी रूप में अवश्य होती है। भगवान शिव के क्रोधावतार, देवी के पहरुआ, कालों के काल महाकाल भैरव की लोकप्रियता शैव, शाक्त व वैष्णव, तीनों संप्रदायों में समान रूप से है। ऐसे तो भैरव की आराधना रोज होती है, पर वर्ष में एक बार मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को भैरव जयंती मनाई जाती है। कष्ट से मुक्ति और संकट के निदान में भैरव साधना तुरंत फलदायी है।
उत्तर में अमरनाथ के बाबा अमर भैरव, दक्षिण में कन्याकुमारी के भूत काल भैरव, पूरब में ब्रह्मपुत्र नद के उमानाथ भैरव और पश्चिम में अम्बा जी के सिद्ध भैरव से भारत रक्षित है। हमारे देश में भैरव विभिन्न नामों से पूजे जाते हैं। श्री भैरव जी के प्रधान रूपों की संख्या आठ है और इनके कुल 64 रूपांश हैं। देश में महाकाल तीर्थ उज्जैन का भैरव गढ़, राजरप्पा की भैरवी नदी, गिरनार का भैरव पर्वत, ओंकारेश्वर का भैरव घाट, देवघर का भैरव बाजार, त्रिकूट पर्वत की भैरव घाटी और रामेश्वरम में समुद्री क्षेत्र में भैरव तीर्थ, भैरव उपासना के प्रसिद्ध स्थलों में शामिल हैं। अष्टमी तिथि को भैरव का प्रादुर्भाव होने के कारण आठ अंक भैरव को प्रिय है। इनके अष्ट प्रधान पीठ हैं, तो आठ उप पीठ भी हैं।
संपूर्ण देश में काशी के काल भैरव का विशेष मान है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा गया है। इसके साथ ही यहां भैरव के एकादश रूप विराजित हैं। विंध्याचल के लाल भैरव दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं, साथ ही यहां सभी चौसठों भैरव का स्थान है। उज्जैन के विक्रांत भैरव आशु फलदाता हैं। गया के रुद्रकपाल अष्ट भैरव में छठे हैं। देश की राजधानी नई दिल्ली में किलकारी भैरव का सुनाम है।
हरिद्वार के आनंद भैरव, वंृदावन के भूतेश भैरव, कामाख्या के उमानाथ, तारापीठ के वाम भैरव, कश्मीर के त्रिसंध्येश्वर भैरव, प्रयाग के भव भैरव, पटना के ब्योमकेश भैरव, कुरुक्षेत्र के स्थाणु भैरव, कोलकाता के नकुलीश भैरव, मैहर के महा भैरव, अगरतला के त्रिपुरेश भैरव, हिंगलाज के भीमलोचन भैरव, जोधपुर के चमत्कारी भैरव, हरिहरेश्वर के काल भैरव आदि की महिमा प्राचीन काल से पूरे देश में है। ऐसे कहीं-कहीं भैरव जी स्थान के *नाम से भी अवतार रूप में प्रसिद्ध हुए। जैसे जगन्नाथपुरी में जगन्नाथ भैरव, देवघर में वैद्यनाथ भैरव, गया गदाधर में गदाधर भैरव। भैरव के ये सभी रूप न सिर्फ अत:करण को शुद्ध करते हैं, वरन् यश, वैभव, धन व ज्ञान भी प्रदान करते हैं।.