18 या 19 मार्च को होली, तारीख का लेकर कन्फ्यूजन? ये है मुहूर्त
भोपाल। हिंदुस्तान में रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाता है, इसको लेकर देशभर में रंग—गुलाल की धूम रहती है, लेकिन इस बार फेमस बॉलीवुड फिल्म शोले की होली मनाए जाने को लेकर कन्फ्यूजन है। फिल्म में गब्बर सिंह ने अपने गिरोह के सदस्यों से पूछा था कि होली कब है? यही सवाल आज देशभर में बार-बार पूछा जा रहा है। इस बार तारीख को लेकर लोगों में बहुत कन्फ्यूजन है कि आखिर होली 18 को है या फिर 19 तारीख को। उधर, इस सवाल का जवाब ज्योतिषाचार्य भी अपने अलग अंदाज में दे रहे हैं।
ज्योतिषियों के मुताबिक, पंचांग की गणना के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका की पूजन की मान्यता है, इस बार होलिका का पर्व 17 मार्च गुरुवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शूल योग वणिज उपरांत बव करण तथा कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। धर्म शास्त्रीय मान्यता के आधार पर होलिका की पूजन का समय प्रदोष काल का माना जाता है। प्रदोष काल का समय शाम 6:40 से शुरू होगा। पारिवारिक सुख शांति तथा संतान के रोग दोष के निवारण एवं दीर्घायु के लिए होलिका का पूजन करने की मान्यता है। भद्रा का अलग-अलग वास अलग-अलग प्रकार की स्थिति को दर्शाता है, जिसे स्वर्ग में पाताल में पृथ्वी पर भद्रक के वास होने से क्या फल प्राप्त होता है आदि की स्थिति कार्य की सफलता से निर्भर करती है।
चंद्र राशि अनुसार भद्रा का निवास करती है। मेष, वृषभ, मिथुन तथा वृश्चिक राशि के चंद्रमा के होने पर भद्रा स्वर्ग लोक में रहती है। कन्या, तुला, धनु और मकर का चंद्रमा होने पर पाताल में रहती है। कुंभ, मीन, कर्क तथा सिंह का चंद्रमा होने पर भद्रा भूलोक अर्थात पृथ्वी पर रहती है। भूलोक वासिनी में वर्जित मानी गई है स्वर्ग तथा पाताल लोक वासिनी भद्रा शुभ मानी गई है। स्वर्ग में भद्रा हो तो धनधान्य की उपलब्धि होती है। पाताल लोक वासिनी भद्रा में धन का लाभ होता है।
पंचांग की गणना के अनुसार कुंभ राशि पर सूर्य बुध गुरु का गोचर रहेगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार देखे तो सूर्य का शनि राशि पर परिभ्रमण साधना विशेष के लिए उत्तम बताया गया है। वहीं अगर बुध व गुरु का भी गोचर का इस प्रकार से युति कृत हो तो वो विशेष लाभकारी बताया जाता है। ये भी कहा जाता है कि सूर्य उपासना गणेश उपासना और नारायण की उपासना का ये विशेष दिन है। इस दृष्टि से इन तीनों की संयुक्त साधना का अनुक्रम स्थापित किया जा सकता है। ये करने से अनुकूलता के साथ-साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषियों के मुताबिक गुरुवार को होली का पूजन किया जाएगा। शुक्रवार सुबह 4:30 बजे ब्रह्म मुहूर्त में होलिका दहन होगा, इसके बाद धूलेंडी का पर्व मनाया जाएगा। भाद्र पक्ष के दौरान होलिका पूजन तो होता है, लेकिन होलिका दहन भाद्र पक्ष के बाद किया जाता है, इस बार रात 1:30 बजे से सूर्योदय के पहले होलिका दहन होगा। वर्ष 2022 में सुबह 5:00 बजे तक भाद्र पक्ष रहेगा, इसलिए अगले साल रात में होली दहन सुबह 5:00 बजे से सूर्य उदय के पहले होली दहन किया जाएगा। इसके बाद 18 मार्च को रंग का त्योहार मनाया जाएगा। उधर, कोरोना काल के बाद देशभर में होली को लेकर उत्साह है। पिछले दो सालों में कोरोना काल की पाबंदियों के कारण लोग खुलकर होली नहीं मना पाए थे, इसके चलते होली को लेकर लोगों में उमंग का माहौल है।