नववर्ष की अनन्त शुभकामनायें, जानिए हिन्दू नववर्ष के बारे में...

नववर्ष की अनन्त शुभकामनायें, जानिए हिन्दू नववर्ष के बारे में...

"रिद्धि दे, सिद्धि दे,

वंश में वृद्धि दे, ह्रदय में ज्ञान दे,

चित्त में ध्यान दे, अभय वरदान दे,
दुःख को दूर कर, सुख भरपूर कर, आशा को संपूर्ण कर,
सज्जन जो हित दे, कुटुंब में प्रीत दे,
जग में जीत दे, माया दे, साया दे, और निरोगी काया दे,
मान-सम्मान दे, सुख समृद्धि और ज्ञान दे,
शान्ति दे, शक्ति दे, भक्ति भरपूर दें...
आप  को 2 अप्रैल से शुरू होने वाले नव वर्ष विक्रम संवत 2079 की शुभकामनाएं।
राष्ट्रकवि  राम धारी सिंह 'दिनकर 'की कालजयी नवसंवत्सर पर काव्य रचना
ये धुंध कुहासा छंटने दो
          रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
          फागुन का रंग बिखरने दो,
प्रकृति दुल्हन का रूप धर
           जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
           घर -घर खुशहाली लायेगी,
तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि
           नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जानिए हिन्दू नववर्ष के बारे में
ॐ युगाब्द 5124 ॐ
वि. सं. 2079 (गुजरात 2078)
'हिंदू नववर्ष
चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को नव वर्ष का शुभारंभ होता है।
(2022 में 2 अप्रैल)
करोड़ों वर्ष की सनातन भारतीय परम्परा *'हिंदू नव वर्ष'* पर स्वागत कीजिए नवप्रभात का।
विश्व में उत्सव के पीछे भावनाओं की प्रधानता है लेकिन भारत में भावनाओं के साथ साथ
सत्य, तर्क, ज्ञान-विज्ञान, इतिहास, संस्कार और संस्कृति की आधारशिला पर उत्सवों का सृजन हुआ है।
उत्सवों के देश भारत में नववर्ष की अवधारणा के पीछे
महान इतिहास, श्रेष्ठ ज्ञान-विज्ञान और संस्कार सन्निहित है।
यह भारतीय नववर्ष, काल गणना के अनुसार, विशुद्ध व सर्वोत्कृष्ट है।
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्त्व
शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात नवरात्र (वासन्तिक) का प्रथम दिवस है।
वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान के श्रम का फल मिलने का भी यही समय होता है; नया धान्य तैयार हो जाता है। पेड़ पौधों में नई-नई कोपलें निकलने लगती है; चारों ओर हरियाली छा जाती है। ना अधिक ठंड होती है और ना ही अधिक गर्मी। साम्य, सौम्य और सुंदर वातावरण होता है।
नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
इस पावन तिथि पर
परमपिता ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था।
ब्रह्म पुराण के अनुसार नव संवत्सर का आरंभ हुआ था।
सृष्टि संवत’ का 1972949123वां वर्ष का शुभारंभ; तथा
सृष्टि के प्रथम राष्ट्र, ‘भारत वर्ष’ का उदय हुआ था।
इस तिथि पर
चारों युगों में प्रथम, सतयुग का शुभारंभ; हुआ था। तथा
कलियुग’ (युगाब्द) का 5124 वां वर्ष का आरंभ।
इस पावन तिथि पर
त्रेता युग में, भगवान श्री रामचंद्र का राज्याभिषेक हुआ था भगवान श्री राम द्वारा वननरों (वानरों) का विशाल सशक्त संगठन बनाकर राक्षसी आतंक का विनाश किया था। अधर्म पर धर्म की विजय हुई और रामराज्य की स्थापना हुई।
इस पावन तिथि पर
भगवान श्री रामचंद्र ने बाली का वध करके, दक्षिण को आतंक से मुक्त किया था। (इसलिए दक्षिण में गुड़ी पड़वा पर्व मनाया जाता है।)
इस पावन तिथि पर
द्वापर युग में, धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ था।
महाभारत के धर्मयुद्ध में धर्म की विजय हुई और युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ के साथ 'युधिष्ठिर संवत’ का प्रारंभ हुआ।
इस पावन तिथि पर
कलियुग में, सम्राट विक्रमादित्य ने परकीय विदेशी आक्रमणकारियों से भारत को मुक्त कराने के महा-अभियान की सफलता का प्रतीकस्वरूप:
‘विक्रमी संवत’ का शुभारंभ किया था।
(कलीयुग में भारत का सर्वमान्य विक्रम संवत ही एकमात्र शास्त्रसम्मत संवत है।)
(नेपाल का भी आधिकारिक ‘कैलेंडर’ है विक्रम संवत।)
इस पावन तिथि पर
राजा शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर ‘शक संवत’ का शुभारंभ किया था।
इस पावन तिथि पर
सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक, वरूणावतार संत झूलेलाल का प्राकट्य हुआ था।
इस पावन तिथि पर
महर्षि गौतम की जन्म जयंती इसी तिथि को पड़ती है।
इस पावन तिथि पर
सिक्खों के द्वितीय गुरु श्रीअंगद देवजी का प्राकट्य हुआ था।
इस पावन तिथि पर
स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्यसमाज की स्थापना की थी।
इस पावन तिथि पर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक
डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ था।
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नोट:-
[गुजरात में विक्रम संवत का नया वर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है; किंतु चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन, सारे भारत की तरह गुजरात में भी वर्ष प्रतिपदाउल्लास, उमंग, प्रसन्नता से मनाया जाता है]
संकलन: रमेश वाढेर (कर्णावती-गुजरात)