ज्ञानवापी सर्वे पूरा, एएसआई को रिपोर्ट जमा करने के लिए 17 नवंबर तक का मिला समय
वाराणसी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कोर्ट को बताया कि उसने ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है। एएसआई को रिपोर्ट जमा करने के लिए 17 नवंबर तक का समय मिला है। पहले सर्वे रिपोर्ट 6 नवंबर को सौंपी जानी थी।
सर्वे की सभी औपचारिकताएं पूरी
ज्ञानवापी प्रकरण में सुनवाई के दौरान भारत सरकार के स्टैंडिंग गवर्नमेंट काउंसिल अमित श्रीवास्तव व शंभू शरण ने जिला जज की अदालत में बताया कि मौके पर सर्वे की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। इस मामले में एएसआई की ओर से प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार है, मगर उसे अंतिम रूप देने के लिए 15 दिन का समय और मांगा गया था।
तकनीकी विशेषज्ञ डाटा का सर्वेक्षण कर रहे हैं
अदालत में कहा कि सर्वे में ऑर्कियोलॉजी, केमिस्ट, एपिग्राफिस्ट सर्वेयर, फोटोग्राफर और अन्य तकनीकी विशेषज्ञ डाटा का सर्वेक्षण कर रहे हैं। ये सभी अपनी अलग-अलग रिपोर्ट भेज रहे हैं। कुछ लोगों को रिपोर्ट भेजने में समय लग रहा है। कुछ सैंपल जांच के लिए हैदराबाद लैब में भेजा गया है। रिपोर्ट आने में समय लगेगा। एएसआई के इस आवेदन पर किसी भी पक्ष की ओर से आपत्ति दाखिल नहीं की गई।
24 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी में एएसआई ने सर्वे का काम शुरू किया था
यहां बता दें कि जिला जज की अदालत के आदेश से 24 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी में एएसआई ने सर्वे का काम शुरू किया था। लगभग साढ़े पांच घंटे बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सर्वे का काम रोक दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट और फिर हाईकोर्ट के आदेश से ज्ञानवापी में सर्वे का काम 3 अगस्त तक रुका रहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से ज्ञानवापी में एएसआई ने सर्वे का काम चार अगस्त को फिर शुरू किया था।
हिंदू पक्ष की दलीलों का अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने विरोध किया
ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने का रिसीवर जिलाधिकारी वाराणसी को मानते हुए उनकी सुपुर्दगी में दिए जाने के मामले में बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई। इस मामले में हिंदू पक्ष की दलीलों का अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने विरोध किया।
हिंदू पक्ष ने तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था
इस मामले में जिला जज ने मसाजिद कमेटी को आपत्ति के लिए छह नवंबर और सुनवाई के लिए 8 नवंबर की तिथि नियत की है। दरअसल, व्यासजी के तहखाने के वाद में 30 अक्तूबर को हिंदू पक्ष ने अर्जेंट आवेदन दिया था और इसमें तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। हिंदू पक्ष की तरफ से सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर व विष्णुशंकर जैन, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, सुधीर त्रिपाठी, दीपक सिंह आदि ने कहा कि 1993 से पहले पूजा पाठ ज्ञानवापी में होता रहा। जिसे तत्कालीन सरकार ने बैरिकैडिंग कर रोक दिया और वादी व हिंदुओं को उनके पूजा पाठ व अन्य अधिकारों से वंचित कर दिया गया। आरोप लगाया कि तहखाने का ताला खुला हुआ है और इसमें दरवाजा नहीं है, जिससे अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी कब्जा कर सकता है। ऐसे में तत्काल इस मामले की सुनवाई की जाए। अंजुमन पक्ष की तरफ से मुमताज अहमद ने हिंदू पक्ष की ओर से दी गईं दलीलों का विरोध किया।