हनीट्रैप मामला: रडार पर 40 बड़े अफसर और नेता, ईडी ने 14 लोगों को भेजा नोटिस

भोपाल। मध्यप्रदेश का बहुचर्चित हनीट्रैप मामला काफी सुर्खियों में रहा है। अब एक बार फिर हनीट्रैप का जिन्न बाहर आया है। हनीट्रैप में पहली बार केंद्रीय जांच एजेंसी ने दखल दी है। केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हनीट्रैप मामले की जांच शुरू कर दी है। ईडी ने हनीट्रैप से जुड़े 14 लोगों को नोटिस जारी किया है। उनसे दिल्ली में पूछताछ की जाएगी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले में आरोपी रही श्वेता जैन, आरती दयाल, श्वेता स्वपनिल जैन, बरखा भटनागर समेत अन्य लोगों को नोटिस भेजा है। सभी को अलग अलग तारीखों में पूछताछ के लिए दिल्ली मुख्यालय बुलाया गया है। ईडी की रडार पर एमपी 40 बड़े अफसर और सफेदपोश नेता हैं, जिनका नाम एसआईटी की जांच में सामने आया था। उस वक्त राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया था।
17 सितंबर 2019 को मध्यप्रदेश के इंदौर जिला नगर निगम में कार्यरत इंजीनियर हरभजन सिंह ने पलासिया थाने में खुद को ब्लैकमेल किए जाने की एफआईआर दर्ज कराई थी, तो उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं था कि यह मामला इतना बड़ा बन सकता है। अब जैसे-जैसे प्रदेश में फैली हनीट्रैप मामले की कहानियां उजागर होनी शुरू हुईं हैं, वैसे-वैसे इसमें कई नौकशाह, राजनेता और पत्रकारों की संदिग्ध भूमिका सामने आ रही है। एफआईआर में हरभजन सिंह ने दावा किया था कि उन्हें 29 वर्षीय आरती दयाल नाम की एक महिला द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा था। उक्त महिला ने तीन करोड़ रुपये की रंगदारी की मांग की थी और रकम न चुकाने पर इंजीनियर के कथित अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी गई थी।
पुलिस ने जब जांच शुरू की तब पता चला कि एक गैर सरकारी संगठन ने कथित तौर पर राजनेताओं, नौकरशाहों और कई बड़े रसूखदारों को ब्लैकमेल करने के लिए उनके अश्लील वीडियो बनाए हैं। जिन्हें सार्वजनिक करने की धमकियों के एवज में जबरन वसूली की जाती थी। जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में गिरोह के द्वारा छह वरिष्ठ राजनेताओं और कम से कम 10 आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के अलावा सिविल इंजीनियरों और बिल्डरों को लालच दिया गया था।