किन्नर प्रत्याशी काजल मौसी की, चर्चा में शहडोल 

किन्नर प्रत्याशी काजल मौसी की, चर्चा में शहडोल 

शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा से किन्नर प्रत्याशी कर रही दावेदारी

भोपाल। शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा से किन्नर प्रत्याशी काजल मौसी की दावेदारी ने फिर से शहडोल को देश के पटल पर चर्चा में ला दिया है। गौरतलब है कि जिले की सोहागपुर विधानसभा से शबनम मौसी ने एक-तरफा जीत कर देश की पहली किन्नर विधायक का तमगा हासिल किया।  अब हर तरफ काजल मौसी की चर्चा हो रही है। नामांकन दाखिले के समय उनके जेंडर पर सवाल उठाए गए थे। इस पर काजल मौसी ने कहा आधार कार्ड, पैन कार्ड व अन्य दस्तावेज में महिला लिखा है। इस वजह से लिखा-पढ़ी में भले प्रशासन महिला बताए, लेकिन जनता के बीच काजल मौसी बनकर ही जाएंगी, जिस रूप में जनता उन्हें जानती-पहचानती हैं।

इमरजेंसी के दौरान यहां इंदिरा गांधी को अपनी सीट गंवानी पड़ी थी
चुनावों को लेकर शहडोल जिला हमेशा से चर्चित रहा है। इमरजेंसी के दौरान यहां इंदिरा गांधी को अपनी सीट गंवानी पड़ी थी। हार का मुंह देखना पड़ा था। शहडोल जिले की तब की सोहागपुर विधानसभा, जो अब जयसिंहनगर बन चुकी है, से कृष्ण पाल सिंह ने जीत हासिल की थी। इसके बाद सोहागपुर विधानसभा की चर्चा उस समय देश में हुई जब किन्नर प्रत्याशी शबनम मौसी ने एक-तरफा जीत हासिल की। देश की पहली किन्नर विधायक का तमगा उन्होंने हासिल किया। अब शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा से किन्नर प्रत्याशी के रूप में काजल मौसी की दावेदारी ने शहडोल को चर्चा में ला दिया है।

शहडोल की जनता ने चुना था देश का पहला किन्नर विधायक
23 साल पहले साल 2000 में शहडोल जिले के सोहागपुर (वर्तमान जयसिंहनगर) विधानसभा में हुए उपचुनाव में शबनम मौसी ने जीत दर्ज कर प्रदेश की राजनीति में एक अलग लाइन खींच दी थी। शबनम मौसी देश की पहली थर्ड जेंडर विधायक बनी थी। सोहागपुर सीट 1999 में कांग्रेस के कद्दावर नेता केपी सिंह के निधन से खाली हुई थी। तब उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी से केपी सिंह के पुत्र बृजेश सिंह और भाजपा से लल्लू सिंह मैदान में थे। उस समय शहडोल की जनता ने कांग्रेस और भाजपा के बजाय किन्नर शबनम मौसी को चुनना ज्यादा बेहतर समझा था। शहडोल की जनता की इसी पसंद के बाद प्रदेश में शहडोल को राजनीति में प्रयोग के लिए जाना गया। अब 23 साल बाद जैतपुर विधानसभा से काजल मौसी ने वास्तविक भारत पार्टी से नामांकन दाखिल किया है।

निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दाखिल किया नामांकन
थर्ड जेंडर शबनम मौसी अनूपपुर में रहती थीं। विधायक बनने से पहले वे उत्सवी माहौल में नाच-गाकर अपना गुजर बसर किया करती थीं। यह वह दौर था जब लोगों में राजनीतिक दलों के प्रति जमकर गुस्सा था। लोग कांग्रेस की दिग्विजय सरकार से भी बेहद नाराज थे। पब्लिक के बीच से ही शबनम मौसी को सुहागपुर सीट से उपचुनाव लडऩे के लिए प्रेरित किया गया। शबनम मौसी ने एमएलए बनने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में नामांकन दाखिल कर दिया। कांग्रेस और बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशियों सहित कुल 9 लोग चुनाव मैदान में थे। शबनम मौसी को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव चिन्ह पतंग मिला था। इसके बाद जनता उम्मीदवार या प्यूपिल कैंडिडेट शबनम मौसी की पतंग ने चुनावी आसमान में इतनी ऊंची उड़ान भरी कि बाकी प्रत्याशी उनके आसपास तक भी नही पहुंच सके। सबकी चुनावी पतंग काटते हुए शबनम मौसी ने इतिहास रच दिया। थर्ड जेंडर समुदाय से आने वाली शबनम मौसी ने यहां पर चुनाव जीतकर भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया था।अब यह देखना होगा क्या काजल मौसी भी शबनम मौसी की तरह विधायक बनकर एक बार फिर इतिहास दोहराएंगी।

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