नागपुर की टाप वर्थ इंफ्रा. प्रा.लि कंपनी ने उज्जैन MPRDC से 23.37 करोड़ की धोखाधड़ी की

नागपुर की टाप वर्थ इंफ्रा. प्रा.लि कंपनी ने उज्जैन MPRDC से 23.37 करोड़ की धोखाधड़ी की

brijesh parmar
उज्जैन। उन्हेल-जावरा रोड़ के ठेकेदार ने मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन से 23.37 करोड़ की धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। एमपीआरडीसी ने इस धोखाधडी के खिलाफ नीलगंगा थाने में जांच का प्रतिवेदन देते हुए प्रकरण दर्ज करवाया है।पुलिस नागपुर की टाप वर्थ इंफ्रास्टर प्रा. लि के संचालकों पर भादवि की धारा 409,420 में प्रकरण दर्ज किया है।

नीलगंगा थाना प्रभारी तरूण कुरील के अनुसार मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन की और से सहायक महाप्रबंधक दीपक पिता सालीगराम शर्मा निवासी प्रशांति एवन्यू की शिकायत पर यह प्रकरण दर्ज किया गया है। कार्पोरेशन ने एक जांच प्रतिवेदन भी शिकायत के साथ दिया था,जिसकी जांच करने पर धोखाधडी की पुष्टि हुई। इसके उपरांत पुलिस ने नागपुर की फर्म टाप वर्थ इंफ्रास्टक्चर प्रायवेट लिमिटेड के दो संचालक सुरेंद्र पिता चंपालाल लोढ़ा और दीपक पिता मनोहर कटकवार को प्रकरण में प्राथमिक स्तर पर आरोपी बनाया है। कुरील के अनुसार धोखाधडी का यह मामला संबंधित आरोपितों ने सितंबर 2018 से अक्टुबर 2020 के बीच 23.37 करोड की धोखाधडी को अंजाम दिया।प्रकरण में जांच के उपरांत अगर षडयंत्र पूर्वक धोखाधडी को अंजाम देने का मामला सामने आता है तो अन्य धाराएं भी बढेंगी।पुलिस को प्राथमिक जांच में सामने आया है कि कंपनी पर किसी मामले में सीबीआई ने भी प्रकरण दर्ज किया हुआ है।प्रकरण की जानकारी निकाली जा रही है।

इस तरह की धोखाधडी
मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के संभागीय महाप्रबंधक सुरेश मनवानी के अनुसार नागपूर की टापवर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रायवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक सुरेंद्र पिता चंपालाल लोढ़ा और दीपक पिता मनोहर कटकवार हैं। इन्होंने फर्म के नाम से कार्पोरेशन से अनुबंध कर उन्हेल से जावरा रोड़ का टोल वसूली का ठेका लिया था। अनुबंध के नियमानुसार कंपनी और कार्पोरेशन का संयुक्त खाता (एस्क्रो अकाउंट) बैंक में खोला गया था।सडक़ की मरम्मत और देखभाल  के लिए खोले गए इस खाते में 2018 से 2020 तक करीब 45 करोड़ रुपए आए थे।

रोड मेंटेनेस भी कंपनी ने नहीं किया

कार्पोरेशन की प्रिमियम एवं रोड मेंटेनेस भी कंपनी ने नहीं किया। इस पैसे को कार्पोरेशन के साथ सड़क के संधारण और अन्य कामों के उपयोग के लिए  कंपनी अनुबंधित थी। इसके विपरित  कंपनी के संचालकों ने  कार्पोरेशन को बताए बगैर ही इस खाते में से 23.37 करोड़ रुपए अपने खाते में बाले बाले ट्रांसफर कर लिए।2020 में हुए आडिट की रिपोर्ट में इसका खुलासा होने पर कार्पोरेशन के अधिकारी हतप्रभ रह गए।

टापबर्थ कंपनी का ठेका निरस्त

कार्पोरेशन ने नियमानुसार कार्यवाही करते हुए टापबर्थ कंपनी का ठेका निरस्त करके अन्य कंपनी से करार करके उसे ठेका दिया है।साथ ही कार्पोरेशन की और से सहायक महाप्रबंधक शर्मा ने कंपनी संचालकों के  खिलाफ सितंबर 2021 में ही थाने में शिकायत कर दी थी।कार्पोरेशन की शिकायत पर कंपनी संचालकों के  खिलाफ धारा 420 और 409 में केस दर्ज कर जाँच शुरू कर की गई है।