नैशनल क्वांटम मिशन: दुनिया के उन चुनिंदा टॉप 7 देशों में शुमार हुआ भारत, जानिए क्या है मिशन और कैसे फायदा

नैशनल क्वांटम मिशन: दुनिया के उन चुनिंदा टॉप 7 देशों में शुमार हुआ भारत, जानिए क्या है मिशन और कैसे फायदा

नई दिल्ली, नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने नैशनल क्वांटम मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन पर अगले 8 वर्षों में करीब 6 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस मिशन के साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा टॉप 7 देशों में शुमार हो गया है जो क्वांटम टेक्नॉलजी के क्षेत्र में रिसर्च और डिवेलपमेंट कर रहे हैं। इसके जरिए भारत सामान्य कंप्यूटरों के कई गुना पावरफुल और बहुत ही सुरक्षित ढंग से जटिल समस्याओं को हल करने वाले कंप्यूटर तैयार किए जाएंगे। 2023-24 से 2030-31 तक 8 सालों के दौरान इस मिशन पर 6003.65 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आइए समझते हैं कि आखिर क्या है और इससे क्या फायदे होंगे।

उन्नीसवीं सदी में क्वांटम फीजिक्स का जन्म हुआ 
ये टेक्नॉलजी क्वांटम थिअरी के सिद्धांत पर आधारित है जो सबअटॉमिक स्तर पर ऊर्जा और पदार्थ की व्याख्या करती है। इसके इस्तेमाल के जरिए बेहद कम समय में डेटा और इन्फॉर्मेशन को प्रोसेस किया जा सकता है। उन्नीसवीं सदी में क्वांटम फीजिक्स का जन्म हुआ था। इसी की वजह से यह जानना मुमकिन हो पाया कि प्रकाश एनर्जी-फोटान के बहुत ही सूक्ष्म, अविभाज्य यूनिट्स या क्वांटा से बना होता है। कंवाटम कंप्यूटर के जरिए गणना से जुड़े काम बहुत ही कम समय में किए जा सकते हैं। ये कंप्यूटर पारंपरिक कंप्यूटरों के मुकाबले बेहद शक्तिशाली होते हैं।

क्वांटम मिशन के तहत ये लक्ष्य
क्वांटम मिशन के तहत सूचनाओं की प्रोसेसिंग न सिर्फ तेज होगी बल्कि कहीं ज्यादा विश्वसनीय होंगी। इसके तहत भारत अगले 8 सालों में 50 से 1000 क्यूबिट्स की मीडियम रेंज क्षमता वाले क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने का लक्ष्य रखा है। 50 फीजिकल क्यूबिट वाले कंप्यूटरों को अगले 3 सालों में बनाया जाएगा। 50 से 100 फीजिकल क्यूबिट वाले कंप्यूटर अगले 5 साल और 1000 फीजिकल क्यूबिट वाले कंप्यूटरों को अगले 8 साल में तैयार करने की योजना है।

शुरुआती 3 साल में भारत के भीतर 3000 किलोमीटर की सीमा में क्वांटम कम्यूनिकेशन सिस्टम तैयार किया जाएगा
नैशनल क्वांटम मिशन के तहत शुरुआती 3 साल में भारत के भीतर 3000 किलोमीटर की सीमा में ग्राउंड स्टेशनों और रिसिवर के बीच सैटलाइट बेस्ड सुरक्षित क्वांटम कम्यूनिकेशन सिस्टम तैयार किया जाएगा। 2000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी वाले भारतीय शहरों के बीच क्वांटम की डिस्ट्रिब्यूशन का इस्तेमाल करते हुए कम्यूनिकेशन लाइन बनेगी। ज्यादा दूरियों खाकर दूसरे देशों के साथ क्वांटम कम्यूनिकेशन के लिए आने वाले सालों में टेस्ट किए जाएंगे।

क्या होगा फायदा
संचार और मौसम विज्ञान के क्षेत्र में क्वांटम टेक्नॉलजी का क्रांतिकारी असर दिखेगा। इससे न सिर्फ कम्यूनिकेशन सिस्टम तेज होगा बल्कि काफी सुरक्षित होगा। इससे ऐयरो-स्पेस इंजीनियरिंग, वेदर प्रेडिक्शन, कम्यूनिकेशन, फाइनैंशियल ट्रांजैक्शन, साइबर सिक्यॉरिटी, हेल्थ, एजुकेशन, एग्रीकल्चर जैसे सेक्टर की सूरत बदल सकती है। इससे नेक्स्ट जेनरेशन टेक्नॉलजी सामने आएंगी।

क्वांटम टेक्नॉलजी के क्षेत्र में अमेरिका समेत टॉप देशों की कतार में भारत
डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी अन्य डिपार्टमेंट के सहयोग से नैशनल क्वांटम मिशन की अगुआई करेगा। फिलहाल सिर्फ 6 देशों- अमेरका, कनाडा, फ्रांस, फिनलैंड, चीन और ऑस्ट्रिया में ही क्वांटम टेक्नॉलजी पर काम चल रहा है। इस तरह इस फील्ड में रिसर्च और डिवेलपमेंट का काम शुरू कर भारत इन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है।

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