विधानसभा में कर्ज पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

वित्त मंत्री बोले-कोरोना काल में बढ़ा कर्ज चुका देंगे
भोपाल। मध्यप्रदेश पर बढ़ते कर्ज को लेकर बुधवार को विपक्ष ने सरकार को घेरा। पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा कि राज्य के बजट से ज्यादा कर्ज हो गया है, तो वहीं डॉ. गोविंद सिंह ने मंत्री से पूछा कि इतना अधिक कर्ज है इसकी वापसी कैसे करेंगे। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में बताया कि कोरोना काल में आवक कम हुई थी, इसलिए कर्ज बढ़ गया। कर्ज केन्द्र सरकार की तय लिमिट के अंदर है और अपने वित्तीय संसाधनों से हम इसे चुका देंगे। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिह ने वित्त मंत्री से पूछा कि एक अप्रैल 2020 से प्रश्न दिनांक तक किन किन वित्तीय संस्थाओं से कब-कब कितना कर्ज किन-किन प्रयोजनों के लिए लिया गया।
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वित्त मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार मार्च 2022 की समाप्ति पर प्रदेश पर 2 लाख 95 हजार 532 करोड़ रुपए का कर्ज रहने का अनुमान है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 15 917.87 करोड़ और वर्ष 21-22 के लिए 20040.73 करोड़ रुपए के ब्याज लगने का अनुमान है। जब डॉ. गोविंद सिंह ने पूछा कि इतना अधिक कर्ज वे कैसे चुकाएंगे, किस्ते कैसे देंगे। इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि नियम और प्रक्रियाओं से कर्ज लिया गया है। केंद्र सरकार तय सीमा के भीतर ही कर्ज लेने की अनुमति देती है। उनकी अनुमति से यह कर्ज लिया गया है। इस पर पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा कि काफी ज्यादा कर्ज ले लिया गया है। बजट से ज्यादा कर्ज हो गया। इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि राजस्थान में भी ऐसा ही है। डॉ. गोविंद सिंह कहा कि इतना अधिक कर्ज कैसे बढ़ गया और इसे कैसे चुकाएंगे। इस पर वित्त मंत्री न कहा कि कोरोना काल में राजस्व वसूली और करों से होने वाली आय कम हो गई थी, इसलिए ज्यादा कर्ज लेना पड़ा हम अपने संसाधनों से कर्ज चुका देंगे।
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पेंशनरों को केंद्र से 14 फीसदी कम राहत
राज्य सरकार एक ओर मप्र के नियमित सरकारी कर्मचारियों को 31 फीसदी महंगाई राहत दे रही है। वहीं प्रदेश के पेंशनर छले जा रहे हैं। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने स्वीकार किया है कि केन्द्र के पेंशनरों को 31 फीसदी महंगाई राहत दी जा रही है। वहीं राज्य के पेंशनरों को मात्र 17 प्रतिशत महंगाई राहत दी जा रही है। विधायक कमलेश जाटव के सवाल के लिखित जवाब में वित्त मंत्री ने यह जानकारी दी है। जाटव ने पूछा था कि क्या जुलाई 2019 से सितंबर 2021 तक प्रदेश के पेंशनरों को कोई मंहगाई राहत दी गई। यदि नहीं तो क्यों। इस पर वित्त मंत्री ने जवाब दिया कि प्रदेश में पेंशनरों को छत्तीसगढ़ राज्य से सहमति के अनुक्रम में 17 प्रतिशत मंहगाई राहत दी जा रही है।
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20 प्रतिशत अतिरिक्त पेंशन का प्रावधान
जाटव ने वित्त मंत्री से यह भी पूछा कि जनवरी 2006 से 31 अगस्त 2008 तक 32 माह का छटवें वेतनमान का एवं जनवरी 2016 से 31 मार्च 2018 तक 27 माह का सातवें वेतनमान का एरियर प्रदेश के पेंशनरों को प्रदाय किया जा चुका है। यदि नहीं तो क्यों नहीं। इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि छटवें वेतनमान का लाभ एक सितंबर 2008 से देय है और वित्त विभाग के ज्ञापन 11 जून 2018 द्वारा सातवं वेतनमान का लाभ माह अप्रैल 2018 से देय है। इसलिए 32 माह एवं 27 माह के एरियर्स की स्थिति निर्मित होती है। वित्त मंत्री ने यह भी स्वीकार कि पेंशनरों को स्वत्वों का प्रदाय करने के लिए दोनों प्रदेशों को एक दूसरे की सहमति का इंतजार करना पड़ता है। पेंशनर की आयु का 80 वर्ष प्रारंभ हो जाने पर बीस प्रतिशत अतिरिक्त पेंशन दिए जाने का प्रावधान है।
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इतिहास और भविष्य जानने कांग्रेसी देखें 'द कश्मीर फाइल्स'
विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने विधायकों को द कश्मीर फाइल्स देखने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कांग्रेस विधायकों से कहा कि इतिहास और भविष्य जानने के लिए द कश्मीर फाइल्स देखने चलें। उन्होंने कहा कि कमलनाथ, डॉ.गोविंद सिंह, सज्जन वर्मा, लक्ष्मण सिंह को भी इसके लिए आमंत्रित किया। इस पर वर्मा ने कहा कि सदन के सारे मुद्दे पूरे हो जाएं तो चलेंगे। विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा कि फिल्म देखूंगा। साथ ही सिंह ने कहा कि कश्मीर से जब पलायन हुआ तो वीपी सिंह प्रधानमंत्री थे, भाजपा का उनको समर्थन था। राजीव गांधी नेता प्रतिपक्ष थे। राजगढ़ सांसद थे प्यारेलाल खंडेलवाल जिन्होंने कहा था कि भाजपा ने समर्थन देकर गलत किया है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री मिश्रा ने कहा कि इसे भाजपा कांग्रेस से न देखें। राजनीतिक चश्मे के बजाय वहां हुए अत्याचार से देखें। विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि फिल्म में क्या है, यह तो बता दें। इस पर मंत्री मिश्रा ने कहा कि प्रदेश के बजट, राज्यपाल के अभिभषण में क्या होता है, यह पता तो कांग्रेस को होता ही है। मुख्यमंत्री क्या बोलने वाले हैं, यह भी पता होता है। जब सब कुछ पता होता है तो फिल्म के बारे में पूछ रहे हैं।