विश्व दिव्यांग दिवस पर विशेष: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की नेतृत्व में दिव्यांग व्यक्तियों को मिल रहा है कई योजनाओं का लाभ: महेन्द्र सिंह मरपच्ची

विश्व दिव्यांग दिवस पर विशेष: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की नेतृत्व में दिव्यांग व्यक्तियों को मिल रहा है कई योजनाओं का लाभ: महेन्द्र सिंह मरपच्ची

एमसीबी, विश्व दिव्यांग दिवस हर वर्ष 3 दिसंबर को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को सुनिश्चित करना, उनके लिए अवसरों का विस्तार करना और उनके प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिव्यांग दिवस की शुरुआत 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक ऐसा समाज बनाना जहां वे बिना किसी भेदभाव के अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें, इस दिव्यांग दिवस का मुख्य लक्ष्य है।
सन् 1981 में संयुक्त राष्ट्र ने ’’अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग वर्ष’’ मनाया। इसके बाद 1983 से 1992 के दशक को ’’दिव्यांग व्यक्तियों का दशक’’ घोषित किया गया। इस दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में दिव्यांग व्यक्तियों को समान अवसर प्रदान करने के प्रयास किए गए। 2006 में संयुक्त राष्ट्र ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर अभिसमय (United Nations Convention on the Rights of Persons with Disabilities) लागू किया। यह अभिसमय दिव्यांग व्यक्तियों को समाज के हर क्षेत्र में अधिकार और समावेश प्रदान करने के लिए कानूनी मान्यता देता है। भारत ने इसे 2007 में अंगीकृत किया और इसे अपनी नीतियों में सम्मिलित किया। भारत में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को लेकर 1995 में ’’दिव्यांग व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम’’ लागू हुआ। इस अधिनियम ने शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक स्थानों पर दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को सुनिश्चित किया। 2016 में इस कानून को संशोधित कर दिव्यांगताओं की संख्या 21 कर दी गई और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षण, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को मजबूत बनाया गया है। केंद्र सरकार ने दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें ’’सुगम्य भारत अभियान’’ प्रमुख है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक भवनों, परिवहन और डिजिटल सेवाओं को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ बनाना है। ’’दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग’’ दिव्यांग व्यक्तियों के लिए शिक्षा, रोजगार और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराता है। वहीं ’’स्किल इंडिया’’ पहल के अंतर्गत दिव्यांग युवाओं को स्वरोजगार और रोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नेतृत्व में दिव्यांग व्यक्तियों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की गई हैं। समावेशी शिक्षा के तहत विशेष स्कूल और उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।  दिव्यांगजन स्वरोजगार योजना के तहत दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार के अवसर देने के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ’’सुगम छत्तीसगढ़ अभियान’’ के माध्यम से सार्वजनिक भवनों और परिवहन को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अनुकूल बनाया गया है। सरकार ने विभिन्न प्रकार के नि:शुल्क उपकरण वितरण और दिव्यांग पेंशन योजना के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों को आर्थिक और भौतिक सहायता प्रदान की है। फिर भी आज दिव्यांग व्यक्तियों के समक्ष कई चुनौतियां हैं। इनमें समाज में भेदभाव, सुविधाओं की कमी और रोजगार और शिक्षा में सीमित अवसर प्रमुख हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने, ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष स्कूल खोलने और तकनीकी नवाचार का उपयोग करने की आवश्यकता है।
आज दिव्यांगता को शारीरिक, मानसिक, संवेदी और बौद्धिक श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। शारीरिक दिव्यांगता जैसे पोलियो या रीढ़ की हड्डी में चोट, दृष्टिबाधित दिव्यांगता, श्रवण बाधित दिव्यांगता, मानसिक और बौद्धिक दिव्यांगता और न्यूरोलॉजिकल दिव्यांगता मुख्य प्रकार हैं। इनके प्रमुख कारणों में जन्मजात दोष, दुर्घटनाएं, संक्रमण, कुपोषण और मानसिक आघात शामिल हैं। इन समस्याओं का उपचार फिजियोथेरेपी, सर्जरी, काउंसलिंग और सहायक उपकरणों के माध्यम से किया जा सकता है। दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज भी उन्हें कहीं-कहीं भेदभाव का शिकार बनाया जाता है, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में उनके अवसर सीमित होते हैं, और सार्वजनिक स्थानों तक उनकी पहुंच नहीं होती। स्वास्थ्य सेवाओं और उपकरणों की कमी भी उनकी चुनौतियों को बढ़ाती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए जागरूकता अभियान चलाने, सुलभता बढ़ाने, विशेष स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने और आर्थिक सहायता देने की आवश्यकता है।
केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार ने दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इनमें ’’सुगम्य भारत अभियान’’, ’’दिव्यांगजन स्वरोजगार योजनाएं’’ और ’’कृत्रिम अंग योजनाएं’’ प्रमुख हैं। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नेतृत्व में समावेशी शिक्षा, स्वरोजगार योजना और ’’सुगम छत्तीसगढ़ अभियान’’ जैसी योजनाओं के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बेहतर अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। यह विश्व दिव्यांग दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह दिव्यांग दिवस हमें एक ऐसा समाज बनाने की प्रेरणा देता है जो समानता, अधिकार और समावेशिता के मूल्यों पर आधारित हो। केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ की सरकार ने इस दिशा में सराहनीय प्रयास किए हैं। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इन प्रयासों को आगे बढ़ाएं और एक ऐसा वातावरण बनाएं जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों को सम्मान और समान अवसर मिले।

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