विकसित राजस्थान - 2047 के तहत कृषि विभाग की राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

विकसित राजस्थान - 2047 के तहत कृषि विभाग की राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

जयपुर। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की विकसित राजस्थान-2047 की परिकल्पना को साकार करने के लिए कृषि एवं उद्यानिकी, कृषि विपणन, पशुपालन, डेयरी एवं सहकारिता विभाग से संबंधित हितधारकों के साथ विकसित राजस्थान-2047 के संबंध में राज्य स्तरीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को कृषि प्रबंध संस्थान (श्याम) दुर्गापुरा में आयुक्त कृृषि श्री कन्हैया लाल स्वामी की अध्यक्षता में आयोजन किया गया। 

कृषि आयुक्त ने कहा कि 2047 तक देश में राज्य को कृषि क्षेत्र में सर्वाेपरि बनाने के लिए जिला स्तरीय व एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन कर प्राप्त सुझावों को विकसित राजस्थान-2047 के विजन डाक्यूमेंट में शामिल किया जायेगा। उन्होनें कहा कि विकसित राजस्थान-2047 के सपने को साकार करने में कृषि विभाग की अहम भूमिका रहेगीं। देश में राज्य को कृषि क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए हितधारकों से सुझाव लिये गये है, जिनसे कृषि उद्यानिकी, विपणन, पशुपालन व सहकारिता विभाग की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक कृषकों को मिल सकेगा और कृषकों की आय में वृद्धि होगी। 

श्याम, दुर्गापुरा में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में प्रगतिशील कृषकों, कृषि विश्वविधालय के विशेषज्ञों, कृषि नीतियों से लाभान्वित कृषकों, आदान विक्रेताओं एवं अन्य हितधारकों से अपने सुझाव तैयार किये जाने वाले विजन-2047 के डॉक्यूमेंट के लिए प्रस्तुत किये। राज्य सरकार इस महत्वपूर्ण मिशन में आमजन की सहभागिता बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। आयुक्त कृृषि ने कहा कि 2047 तक देश में राज्य को कृषि क्षेत्र में सर्वोपरि बनाने के लिए विभाग एवं हितधारकों से सुझाव लिये गये है, जिससे कृषि एवं सम्बद्ध विभागों की योजनाओं द्वारा अधिक से अधिक किसानों को फायदा मिल सकेगा और हमारा प्रदेश कृषि क्षेत्र में देश के सर्वोपरि होगा।

कार्यशाला में श्री कन्हैया लाल स्वामी ने कहा कि 2047 तक विकसित राजस्थान के लिए हितधारकों के सुझाव कृषि एवं सम्बद्ध विभागों की कार्य प्रणाली में सुधार लाने के साथ-साथ नियमों का सरलीकरण करते हुए अधिक से अधिक कृषकों को लाभ पहुंचाने के लिए केन्द्रित है, जिससे हमारे किसानों के उत्पादन में वृद्धि होगी और वें आर्थिक रूप से   सुदृढ हो सकेंगे।

किसानों ने दिये सुझाव

कार्यशाला में जयपुर के प्रगतिशील किसान श्री सुरेन्द्र अवाना ने ऑर्गेनिक खेती के लिए मार्केटिंग को बढावा दिये जाने व खेतों की मेढों पर पेड़ लगाये जाने के सुझाव दिये।
जयपुर निवासी प्रगतिशील पशुपालक कृृषक श्रीमती सुनीता माहेश्वरी ने देसी नस्ल के पशुधन का ज्यादा से ज्यादा प्रचार कर नस्ल का संवर्धन किये जाने का सुझाव दिया। सवाईमाधोपुर के कृृषक श्री संतोष स्वामी ने प्रत्येक मण्डी प्रागंण में जैविक आडत की दूकान का सुझाव दिया। 

कार्यशाला में मिले अन्य सुझाव

- बागवानी फसलों के लिए ट्रान्सपोर्टेशन की सुविधा उपलब्ध् कराई जाये।
- बागवानी कृषकों के लिए कीटनाशक व फर्टिलाइजर जीएसटी फ्री किया जाये।
- फसल बीमा का दायरा बढाया जाये।
- बागवानी कृषकों को प्रशिक्षण दिया जाये।
- ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन को माफ किया जाये।
- वेस्ट वाटर को रिसाइकिं्लग कर लॉन व बगीचों में उपयोग किया जाये।
- कृृषकों को नई तकनीकी का उन्नत बीज उपलब्ध कराया जाये।
- नदियों को जोड़कर सिंचाई के लिए बांध बनाये जाये।
- जैविक खेती को बढावा देने के लिए जैविक दवाईयों पर सब्सिडी दी जाये, जिससे किसान कृषि में जैविक दवाईयों का उपयोग कर सके।
- सडकों के दोनो तरफ पीपल, बरगद व नीम के पेड़ लगाये जाये।
- संरक्षित खेती के लिए कोल्ड चेन व पोस्ट हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू किया जाये।
इस दौरान एक दिवसीय कार्यशाला में आयुक्त उद्यानिकी श्री लक्ष्मण सिंह कुड़ी, निदेशक कृृषि विपणन विभाग श्री जयसिंह, प्रबंध निदेशक राजस्थान राज्य बीज निगम श्रीमती निमिषा गुप्ता और कृृषि एवं सम्बद्ध विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

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