चांद चांद तक पहुंचा तिरंगा, मिशन मून चंद्रयान-3 लॉन्च

हैदराबाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार (14 जुलाई) को देश के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च किया। एलवीएम3एम4 रॉकेट के जरिए इसरो के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चंद्रमा की यात्रा पर ले गया। इस रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था। भारी उपकरण ले जाने की इसकी क्षमता के कारण अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे फैट बॉय और बाहुबली भी कहते हैं। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से चंद्रयान को लॉन्च किया गया। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से 10,000 से ज्यादा लोग सुबह से ही श्रीहरिकोटा में मौजूद थे, जो इस ऐतिहासिक क्षणों के गवाह बने।
अगर सब ठीक रहा तो 23 अगस्त को रोवर के साथ चंद्रयान-3 लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। लैंडर के टचडाऊन करने के थोड़ी देर बाद उसका रैंप खुलेगा, जिससे रोवर उतरकर नीचे सतह पर आएगा। लैंडर-रोवर दोनों भारतीय तिरंगे के साथ अपनी पहली सैल्फी इसरो को भेजेंगे। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का है। चंद्रयान-2 मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर विक्रम पथ विचलन के चलते सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हुआ था।
40 दिन बाद चांद पर उतरेगा
चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद, यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे। ये दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि लूनर सरफेस कितनी सिस्मिक है, सॉइल और डस्ट की स्टडी की जाएगी।