डिप्टी रेंजर पर बरसी सीसीएफ की कृपा, सालों से नियम विरूद्ध रेंजर का प्रभार

डिप्टी रेंजर पर बरसी सीसीएफ की कृपा, सालों से नियम विरूद्ध रेंजर का प्रभार

अपने हित साधने के लिए विभागीय नियमों को फाईलों में कैद कर रख दिया स्वार्थी अधिकारी ने, विभाग में कुछ पर कृपा तो कुछ को बेवजह का दंड

brijesh parmar उज्जैन। मुख्य वन संरक्षक उज्जैन वृत्त की कृपा डिप्टी रेंजर पर ऐसी बरसी की विभागीय नियमों के विपरित उसे उज्जैन के रेंजर का प्रभार दिया गया है।साहब विभाग में भाई भतीजा वाद के दोहरे नियम चलाकर अपने स्वार्थ साधने के लिए कुछ पर कृपा बरसा रहे हैं तो कुछ कर्मचारियों को बेवजह का दंड दिया जा रहा है। वन विभाग उज्जैन वृत्त जंगल के कानून पर चल रहा है।मंडल कार्यालयों में सीधे हस्तक्षेप की स्थिति के कारण मंडल कार्यालयों में अधिकारी मात्र सफेद हाथी साबित हो रहे हैं।कतिपय रेंजर इसका लाभ अर्जित कर अनियंत्रित होकर बडे साहब के काम में ही लगे रहते हैं।इनमें से कुछ स्वार्थ के तहत उपयोग किए जा रहे हैं।उज्जैन वन परिक्षेत्र में सीसीएफ ने अपने चहेते डिप्टी रेंजर गयाप्रसाद मिश्रा को उपकृत करते हुए उन्हे रेंजर का दायित्व सालों से दे रखा है।विभागीय नियमों के विपरित यह प्रभार सक्रिय है।विभागीय नियमों के अनुसार विभागीय परीक्षा पास करने वाले को ही यह प्रभार दिया जा सकता है।इसे लेकर मुख्यालय से विभागीय स्तर पर भी आदेश जारी किए गए हैं।इसके बाद भी यह प्रभार जारी रखा गया है।खास बात तो यह है कि संबंधित डिप्टी रेंजर इसी माह के अंत में सेवा निवृत्त होने वाले हैं। पौधा रोपण के साथ ही बीड की जमीन में हेराफेरी के मामले में भी साहब अपने चहेते डिप्टी को आरोप पत्र नहीं देते । बीड की जमीन में हेराफेरी, सिंहस्थ की खरीदी में हेराफेरी,नदी किनारे के पौधारोपण में हेराफेरी के बाद भी डिप्टी रेंजर बनाम प्रभारी रेंजर ही योग्य माने जा रहे हैं।यही नहीं उज्जैन रेंज काफी बडी होने पर भी उन्हे ही उपकृत करने के पीछे स्वार्थ से परे की स्थिति को विभागीय स्तर पर भी नहीं नकारा जा रहा है।विभागीय सूत्रों का कहना है कि शासन स्तर से अटैचमेंट पर रोक होने के बावजूद वृत्त में करीब तीन रेंजर अटैच्ड किए गए हैं।इनमें से कुछ के मुख्यालय उज्जैन हैं उनका वेतन भी उज्जैन से ही आहरित हो रहा है इसके बाद भी उनसे उज्जैन में काम नहीं लेकर प्रतिमाह शासन को लाखों रूपए का फटका लगाया जा रहा है।विभागीय सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे उज्जैन की 130 आरा मशीनों से बसूली और घर का काम फ्री में कराने का स्वार्थ ही मुख्य बताया जा रहा है। आरा मशीनों से जुडे सूत्रों का कहना है कि प्रति माह का जजिया कर पांच पुराने हरे की बजाय 10 नीले में तब्दील हो चुका है। हाल ही में यह तब्दीली वृत्त में हुए टीपी कांड के बाद की गई है। इससे प्रतिमाह करीब 1 पेटी और 30 डब्बे की वसूली की जा रही है। विभागीय स्तर पर भी कमाउ पूत के सौ खून माफ किए जाना स्वार्थ से परे नहीं देखा जा रहा है। बीड की नपती हो तो राज खुले उज्जैन वन मंडल अंतर्गत मक्सी रोड पर नौलखी बीड है। यह बीड रियासत कालीन है। इसमें किसी भी प्रकार का अंतरण करने का अधिकार किसी को नहीं है। इसके बावजूद डिप्टी बनाम प्रभारी रेंजर ने इसकी जमीन में हेरफेर करवा कर रास्ता निकलवा दिया और करीब 5 बीघा जमीन का घोटाला बीड की जमीन में अंजाम दे दिया गया है। सिंहस्थ के नाम पर रेस्ट हाउस के लिए आए पैसे का भी दुरूपयोग किया गया है।रेस्ट हाउस की बजाय अधिकारियों को खूश करने की जमकर परंपरा निभाई गई और रेस्ट हाउस में घटिया काम किया गया। सिंहस्थ-16 खरीदी का घोटाला सिंहस्थ-16 के लिए विभाग ने जो खरीदी की उसमें जमकर घोटाला किया गया है।यहां तक की सूचना के अधिकार में जानकारी देने से विभाग बचते हुए कागज न होने और खरीदी न किए जाने जैसे जवाब देकर बच रहा है।रेंजरों ने अब तक हिसाब नहीं देने के मामले को भी अधिकारी पुरी तरह दबाए बैठे रहे। इसके बावजूद विभाग के अंदर खाने से निकल कर आई तथ्यात्मक खबरों के अनुसार सिंहस्थ की खरीदी का सामान काफी मात्रा में रफादफा कर सबूत नष्ट कर दिए गए हैं।सिंहस्थ खरीदी की फाइलों की अफरा तफरी कर दी गई है। सिंहस्थ में विभागीय स्तर पर फायर बकेट स्टैंड 10 खरीदे गए थे जो 2017 में बढकर 15 हो गए । लकडी तौलने के 10 तौल कांटों में से 6 गायब हो गए हैं मात्र 4 ही शेष बचे हैं।इसी प्रकार फायर बकेट खरीदी 32 गई और पडे पडे ही वो 48 हो गई हैं।इस प्रकार घोटाले की स्थिति को समझा जा सकता है।