कमिश्नर, कलेक्टर के लिए दूसरी बार मुसीबत बनी अमावस्या 

कमिश्नर, कलेक्टर के लिए दूसरी बार मुसीबत बनी अमावस्या 

त्रिवेणी पर श्रद्धालुओं का किचड़ स्नान, उज्जैन संभागायुक्त, कलेक्टर को हटाया

brijesh parmar उज्जैन। उज्जैन में शनिश्चरी अमावस्या की गाज प्रशासन पर गिरी है। पहली बार शनिचरी अमावस्या पर महाकाल मंदिर में भगदड़ के चलते 37 श्रद्धालुओं की मौत पर संभागायुक्त , कलेक्टर और तमाम जिम्मेदार अफसर बदले गए थे।जांच आयोग बैठाया गया था दुसरी बार हाल ही में शनिवार को त्रिवेणी पर श्रद्धालुओं को पानी के अभाव में किचड में स्नान करने पर मजबुर होना पड़ा, जिसकी गाज इन पर गिरी। उज्जैन संभागायुक्त एम बी ओझा और कलेक्टर मनीषसिंह को इसके तहत जिम्मेदार मानकर हटा दिया गया है। Commissioner, second time troublemaker Amavasya 21 साल पहले भी सोमवती अमावस्या पर हादसा करीब 21 साल पहले शनिश्चरी अमावस्या पर महाकाल में भगदड के कारण हादसा हुआ था ।15 जुलाई 1997 को यह हादसा हुआ था।हादसे में मंदिर में 37 श्रद्धालुओं की मौत होने पर तत्कालीन संभागायुक्त पीएस तोमर, कलेक्टर के पी सिंह, एसडीएम विनोद शर्मा सहित पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों को हटाया गया था। शनिश्चरी अमावस्या पर उज्जैन में श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी पर पानी के अभाव में बुरी स्थिति में मानो किचड स्नान ही किया था। इसकी जानकारी जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंची थी जिस पर मुख्य सचिव से मामले पर प्रतिवेदन मंगवाया गया था । प्रतिवेदन उपरांत शनिश्चरी अमावस्या में हुई अव्यवस्थाओं पर संभागायुक्त उज्जैन एम बी ओझा और कलेक्टर मनीषसिंह को उज्जैन से हटा दिया गया है। उनके स्थान पर वर्तमान उच्च शिक्षा आयुक्त अजीत कुमार को नया संभागायुक्त बनाया है । वित्त सचिव शशांक मिश्रा को उज्जैन का नया कलेक्टर बनाया है। यही नहीं जल संसाधन एवं एनवीडीए के अफसरों पर भी तबादले की गाज गिरी है श्रद्धालुओं के कीचड़ स्नान मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रिपोर्ट तलब की थी। आज सुबह मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने मुख्यमंत्री को पूरी घटना से अवगत कराया। रिपोर्ट में शनिचरी अमावस्या पर क्षिप्रा में पानी उपलब्ध नहीं कराने के लिए प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदारी ठहराया। इसके बाद अफसरों पर कार्रवाई की है। ये रही प्रशासनिक कमजोरी शनिश्चरी अमावस्या पर धर्म नगरी उज्जैन में शनिवार 5 जनवरी को वर्ष की पहली शनिश्चरी अमावस्या थी और शिप्रा पूरी तरह से सूख चुकी थी, ऐसे में श्रद्धालुओं के नहाने के लिए प्रशासन ने फव्वारों से स्नान का इंतजाम किया था लेकिन ऐनवक्त पर ज्यादातर फव्वारे बंद हो गए। श्रद्धालुओं ने कीचड़ से सने पानी के शरीर पर छींटे डालकर अमावस स्नान की औपचारिकता पूरी की। इस पर श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुई थी और गुस्सा फूटा था । मामला बाद में मु्ख्यमंत्री की जानकारी में आने पर उन्होंने जांच के आदेश दिए थे।मुख्यसचिव के प्रतिवेदन पर सोमवार को प्रशासन के अधिकारियों पर यह कार्रवाई हुई । अब मकर संक्रांति पर पर्व स्नान उज्जैन। शनिश्चरी अमावस्या पर त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं को पर्व स्नान कराने में विफल रहे प्रशासन द्वारा नर्मदा का पानी शिप्रा नदी में आने से पहले ही गऊघाट बैराज पर रुके खान नदी के पानी को एक गेट खोलकर रामघाट के लिये छोडऩा शुरू किया है।अधिकारियों का मानना है कि नया पानी शिप्रा नदी में मिलने से मकर संक्रांति पर्व पर श्रद्धालुओं को स्नान में सुविधा होगी, जबकि यह पानी गुणवत्ताहीन होकर पूजन-आचमन योग्य भी नहीं है। त्रिवेणी घाट से लेकर किठोदा तक शिप्रा नदी पूरी तरह सूखी है। बताया जाता है कि बारिश के बाद नदी में एकत्रित पानी को सिंचाई के उपयोग में लिया गया इस कारण नदी पूरी तरह सूख गई स्थिति यह हुई कि वर्ष के प्रथम पर्व स्नान शनिश्चरी अमावस्या पर प्रशासन श्रद्धालुओं को नदी तो दूर फव्वारों में भी ठीक से स्नान नहीं करा पाया जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंची और उन्होंने प्रशासनिक लापरवाही की जांच के आदेश भी दिये। शनिश्चरी अमावस्या पर हुई अव्यवस्था से डरे प्रशासनिक अधिकारियों ने बीती रात त्रिवेणी और गऊघाट बैराज के बीच रुके पानी को बैराज के 6 इंच तक गेट खोलकर रामघाट के लिये छोडऩा शुरू किया है। कहां गया नदी का पानी बारिश का सीजन थमने के बाद शिप्रा नदी के सभी बैराज अपने लेवल पर मेंटेन थे और इन बैराजों में इतना पानी था कि उसे शहर में पेयजल सप्लाय के लिये उपयोग में लिया जा सकता था, लेकिन वर्तमान में गऊघाट बैराज के अलावा इसके पीछे के बैराज खाली हो चुके हैं और नदी सूख चुकी है।नदी में मौजूद पानी कहां चला गया जबकि इसे कलेक्टर द्वारा संरक्षित घोषित किया गया था।