HAL ने नकारे कांग्रेस के आरोप, RTI के जवाब में कहा- विमानों की डिलीवरी में पार्टी नहीं
नई दिल्ली
बीते कुछ महीनों से देश के राजनीतिक गलियारों में राफेल डील की गूंज सुनी जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू जेट विमान खरीदने के फैसले को विपक्ष ने उन पर निशाना साधने का हथियार बना रखा है. खास तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मुद्दे को उठाने का कोई मौका नहीं चूकते. बीजेपी भी पूरी ताकत के साथ राफेल डील के पक्ष में तर्क दे रही है.
कांग्रेस के मुताबिक मोदी सरकार ने डील में प्रक्रिया का उल्लंघन किया है और मनमोहन सिंह सरकार के वक्त जो विमानों की कीमत तय की गई थी, उससे तीन गुणा दामों में विमान खरीदे. कांग्रेस का ये आरोप भी है कि सरकार की ओर से उस रिलायंस डिफेंस को 3.9 अरब यूरो के ऑफसेट ‘तोहफे’ में दिए गए, जिस रिलायंस डिफेंस को लड़ाकू जेट या रक्षा उपकरण बनाने का कोई अनुभव नहीं है. कांग्रेस के मुताबिक इससे हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को भारी नुकसान पहुंचा.
कांग्रेस ने 23 सितंबर को एक वीडियो जारी किया. पार्टी के मुताबिक इस वीडियो में दसॉ एविएशन के चेयरमैन एरिक ट्रैप्पियर 25 मार्च 2015 को बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं. ये वीडियो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राफेल डील की घोषणा किए जाने के 17 दिन पहले का बताया गया.
कांग्रेस के मुताबिक प्रधानमंत्री ने तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा और HALके तत्कालीन प्रमुख के एल राजू की मौजूदगी में ये ऐलान किया और साथ ही राफेल कॉन्ट्रेक्ट को जिम्मेदारियों के बंटवारे की स्थिति स्पष्ट की गई. कांग्रेस का आरोप है कि दसॉ एविएशन के चेयरमैन के इस बयान से साफ है कि दसॉ और HALतब तक समझौते को तकरीबन तय कर चुके थे.
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