भोपाल। कांग्रेस द्वारा शिवराज सरकार का घेराव जारी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के 40 दिन 40 सवाल का मंगलवार चौथा दिन रहा। पहले दिन कमलनाथ ने शिवराज सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं, दूसरे दिन घोषणाओं और उनकी जमीनी हकीकत और तीसरे दिन महिला सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए थे।आज चौथे दिन कमलनाथ ने शिवराज को गरीबी को लेकर घेरा है। नाथ ने शिवराज पर एक के बाद एक कई सवाल दागे है। नाथ ने पूछा है कि मामा जी,क्या समृद्धि का नारा भाजपा नेताओं और मंत्रियों के लिए गढ़ा?..तो फिर बताओ मध्यप्रदेश की गरीबी का ग्राफ लगातार क्यों बढ़ा? सवालों में कमलनाथ ने महिला गरीबी, खाने,पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का आंकड़ों के साथ जिक्र किया है।साथ ही पूछा है कि इतनी खराब स्थिति बड़े राज्यों में छत्तीसगढ़ और बिहार की है, जिसमें अब मप्र भी शामिल हो रहा है।
सवाल नंबर चार-
वो ही फैला रहे हैं स्वर्णिम से समृद्धि का झूठ, जिन्होंने लिया मध्यप्रदेश को लूट
मामा जी,क्या समृद्धि का नारा भाजपा नेताओं और मंत्रियों के लिए गढ़ा?
तो फिर बताओ मध्यप्रदेश की गरीबी का ग्राफ लगातार क्यों बढ़ा?
मोदी सरकार ही खोल रही है 'स्वर्णिम से सम्रद्धि' की पोल,
बता रही है मामा जी का फूटा हुआ है ढोल।
मोदी सरकार ने राज्यों का संपत्ति सूचकांक जारी किया है, जिसमें मप्र के सिर्फ़ 15.8% परिवार ही इसके दायरे में आते हैं।इतनी खराब स्थिति बड़े राज्यों में छत्तीसगढ़ और बिहार की है। जहाँ चंडीगढ के 78.5% ,पंजाब के 60.7%, हिमाचल जैसे राज्य के 31% परिवार संपन्न हैं। ( लोकसाभा - प्रश्न 174- 2/2/2018 )
मोदी सरकार की सितम्बर 2017 (ठऋऌर) में जारी रिपोर्ट बताती है कि 2006 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की जनसंख्या 27 % बढ़ गई है।
केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए गए सर्वे (2016) में मप्र में सिर्फ 36% लोग पक्के घरों में रहते है
मप्र में सिर्फ 23% घरों में नल द्वारा पीने का पानी आता है(शहरों में 51% और गांवों मे 11%)
मप्र के सिर्फ 30% लोग खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करते है
मध्यप्रदेश में 57% परिवार अभी भी खुले में शौच के लिए मजबूर हैं।
मोदी सरकार का नीति आयोग कहता है कि मध्यप्रदेश के 45 लाख 82 हजार 607 (40.33 %) ग्रामीण घरों में बिजली नहीं है । ( 30 /4/2017 )
हैंडबुक आॅफ स्टेटिस्टिक्स (आर बी आई) के अनुसार यू पी और बिहार के बाद सबसे ज्यादा गरीब लोग मध्यप्रदेश में हैं - 2करोड़ 34लाख 6000 ।
केंद्र की कृषि लागत और मूल्य आयोग की वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट
मध्यप्रदेश में कृषि मजदूरी सबसे कम ,मात्र 210 रुपये है बिहार में 251रु प्रति दिन,आंध्रप्रदेश में 291रु., महाराष्ट्र में 269 रु,पश्चिम बंगाल में 232रु कृषि मजदूर को मिलते हैं
पिछले 15सालों से मप्र में सबसे कम मजदूरी मिलती है
मप्र में मनरेगा में दर्ज परिवार -68.25 लाख
अर्थात मध्यप्रदेश की लगभग आधी आबादी मजदूरी के लिए बाध्य।
2014-15 में100दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार-1,58,776(2.33%)
2015-16 में 100दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार-2,25,502(3.30%)
2016-17 में 100दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार-1,40,990(2.1%)
2017-18 में 100 दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार - 1,34,724 (1.97%)।
(11)मोदी सरकार के नीति आयोग के सीईओ अमिताभकांत मध्यप्रदेश के विकास पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा करते हुए अप्रैल 2018 में कहते हैं कि मध्यप्रदेश जैसे पिछड़े राज्यों के कारण देश पिछड़ गया ।
-40 दिन 40 सवाल-
मोदी सरकार के मुँह से जानिए,
मामा सरकार की बदहाली का हाल।
हार की कगार पर,मामा सरकार